हर किसी का मन करता है कि वो कहीं शांत-सी जगह पर कुछ दिन गुज़ारे। जहाँ मन बावरा होकर कहीं भी चलने को आतुर हो। लेकिन इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में हर नई जगह कल पुरानी हो जाती है। उसके बाद तो उस जगह पर लोग आने लगते हैं। लोग आते हैं तो उनके साथ गाड़ियों का हुजूम भी साथ रहता है। फिर वहाँ रहने से लेकर कहीं भी जाने के लिए मारामारी करनी पड़ती है। तब आप एक ऐसी जगह की खोज में रहते हैं जो नई हों। जहाँ लोग कम जाते हैं, जहाँ हरियाली भी हो और सुकून भी। अगर आप ऐसी ही कोई सुकून भरी खूबसूरत जगह के बारे में जानना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश का सराहन गाँव आपको ज़रूर पसंद आएगा।
आओ चलें सराहन
वैसे तो पहाड़ का हर कोना खूबसूरत होता है। लेकिन जहाँ सुकून हो उससे सुंदर जगह कोई नहीं हो सकती। ऐसा ही है सतलुज नदी के किनारे बसा सराहन गाँव। जो शिमला से 180 कि.मी. दूर है। शिमला से सराहन पहुँचने का रास्ता इतना खूबसूरत है कि आपको यहाँ की खूबसूरती से प्यार हो जाएगा। शिमला से सराहन आते वक्त आपको बीच में नारकंडा भी मिलेगा। रास्ते में एक तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं तो दूसरी तरफ गहरी खाई है। ये रास्ता वैसा ही है जैसा अक्सर पहाड़ों में होता है। आपको रास्ते में कई प्रकार के पेड़ भी मिलेंगे। जिसमें आप सेब देखकर खुश भी हो सकते हैं। अगर शाम के समय पहाड़ के रास्ते में हैं तो इससे सुंदर कुछ नहीं हो सकता। जब सूरज की किरणें पहाड़ की चोटियों पर पड़ती है तो वो नज़ारा किसी को भी आकर्षित कर सकता है।
रास्ता घुमावदार ज़रूर है लेकिन खतरनाक तो बिल्कुल भी नहीं। रास्ते में खुमानी के बगीचे के बगीचे आपको मिलेंगे। ये पहाड़ों का प्यार है जो हमें रास्ते भर मिलता रहता है। आप यहाँ से खुमानी लेकर अपने सफर को और भी अच्छा बना सकते हैं। सच में ये फल आपको खुश कर देगा। वैसे भी यात्राएँ तो होती हैं एक सहज मुस्कान के लिए। सरहान पहाड़ और नदी से घिरा एक खूबसूरत गाँव है जहाँ आपके लिए पैदल चलने के लिए लंबा रास्ता है। सुकून में बैठने के लिए पहाड़ हैं और ये सतलुज नदी है। सेब, बादाम, नाशपाती के बगीचे, सुंदर लुभावने सीढ़ीदार खेत, जंगली फूल और दूर तलक दिखती श्रीखंड की चोटी पर बर्फ की चादर। ऐसी खूबसूरत और रूमानी वातावरण वाली जगह पर पागल ही होगा। जो नहीं आना चाहेगा।
सराहन की जान है ये मंदिर
सराहन, हिमाचल प्रदेश की सबसे पुरानी जगहों में से एक है। इस जगह को खूबसूरत सिर्फ यहाँ की हरियाली, पहाड़ और बर्फ नहीं बनाते। इस जगह को और भी खास बनाते हैं यहाँ के प्राचीन मंदिर। इसमें से एक है भीमकाली मंदिर जिसकी बनावठ एक मठ के जैसी है। हिंदू और बौद्ध वास्तुशिल्प वाला यह मंदिर लगभग 2,000 साल पुराना है। पत्थरों और लकड़ी से बना ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसकी बनावट को देखकर आप तन और मन से प्रसन्न हो जाएँगे। ये मंदिर अंदर से इतना खूबसूरत है कि आप एक जगह बैठ ही नहीं पाएँगे। आप पैदल चलकर इस मंदिर की करीने को अच्छी तरह से देखना चाहेंगे। इस मंदिर की बनावट आपके अंदर की जिज्ञासा जगा देगी।
भीमकाली मंदिर का परिसर खूबसूरत ढंग से सुसज्जित है। मंदिर के दरवाजों पर चाँदी की नक्काशी भी आपको अच्छी लगेगी। इस मंदिर के लिए यहाँ के स्थानीय लोगों की आस्था अनंत है। स्थानीय लोग इस मंदिर की देवी को क्षेत्र का रक्षक मानते हैं। 1984 में हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस मंदिर का अधिग्रहण कर लिया था। कहा जाता है कि सराहन रियासत बुशहर की राजधानी रही है। यहा आप आस-पास घूमेंगे तो पहाड़ी रहन-सहन देखकर आपको अच्छा लगेगा। दिन ढलते ही सभी मंदिर में पूजा करने के लिए जुटने लगते हैं। अगर आप सराहन आते हैं तो आपको शाम की पूजा को जरुर देखना चाहिए।
ये भी देख सकते हैं
सराहन समुद्र तल से 2,165 मीटर की उँचाई पर स्थित गाँव है। यह जगह अपने सेब के बगीचों, देवदार के जंगलों, गाँव के माहौल और स्लेट की छत वाले घरों के लिए खास फेमस हैं। मंदिर के पास ही एक छोटा-सा बाज़ार है, जहाँ से आप खरीदारी कर सकते हैं। आप जंगल के जीवन को देखना चाहते हैं, तो यहाँ वो भी देख सकते हैं, जहाँ आपको जानवर भी मिलेंगे और पक्षी भी। यहाँ आपको राज्य पक्षी मोनाल भी दिख जाएगा। इसके अलावा थोड़ी ऊँचाई पर जाएँगे तो आपको वो पक्षी मिलेंगे जो हर जगह कम ही दिखाई देते हैं।
सराहन से कुछ ही दूर कामरू का ऐतहासिक किला है, चितकुल घाटी और बस्पा नदी भी है। जिसे आपको अच्छी तरह से देखना चाहिए। सराहन कई टेकिंग रूट्स के लिए बेस कैंप भी है और किन्नौर की आकर्षक धरती का स्वागत द्वार भी है। सराहन में एक छोटा म्यूजियम भी है, जो देखने लायक है। आपके पास अगर एक और दिन बचता है तो सराहन से 50 कि.मी दूर भाभा वैली है जहाँ आप खूबसूरती भी पाएँगे और खुद को जानने का एक मौका। यहाँ आकर आप जिंदगी का असली मकसद समझ पाते हैं।
कैसे पहुँचें सराहन?
सराहन और उसके आसपास के इलाके में यात्रा करने का सबसे बेस्ट टाइम अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर महीना होता है। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे निकटतम एयरपोर्ट शिमला से जबरहहट्टी एयरपोर्ट है। यहाँ से आप बस और प्राइवेट टैक्सी से सराहन जा सकते हैं। निकटतम रेलमार्ग शिमला से 175 कि.मी. दूर है। स्टेशन से हिल स्टेशन तक जाने के लिए टैक्सी या बसें लेनी होंगी। ठहरने के लिए हिमाचल टूरिज़म का होटल, मंदिर परिसर आरामशाला और प्राइवेट आरामगाहें हैं। वैसे यहाँ होम स्टे का मजा कुछ अलग होता है।
अपनी यात्रा के अनुभवों को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
रोज़ाना वॉट्सऐप पर यात्रा की प्रेरणा के लिए 9319591229 पर HI लिखकर भेजें या यहाँ क्लिक करें।