हमारे देश में देव भूमि के तौर पर जाना जाने वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की पर्यटन की दुनिया में एक खास पहचान है ये बात हम सभी जानते हैं। हिमालय की बर्फ से ढ़की चोटियां, हरियाली की चादर ओढ़ी पहाड़ियां, ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, वादियों के बीच बेहद सुन्दर झीलें, अनेकों धार्मिक और पवित्र स्थान और न जाने क्या-क्या हिमाचल प्रदेश की इस पवित्र भूमि पर धरती पर मौजूद स्वर्ग जैसा अनुभव देते हैं। आज हम हिमाचल की पवित्र भूमि पर स्थित एक महान ऋषि की तपोभूमि के बारे में बताने जा रहे हैं जो आध्यात्मिक दृष्टि से तो एक महत्वपूर्ण स्थान है ही साथ ही इस तपोभूमि के साथ एक सुन्दर व अनूठी झील भी इस स्थान को पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रही है।
इस झील की खूबसूरती तो आपको एक ही झलक में अपना दीवाना बना ही लेगी लेकिन इसी झील से जुडी एक खास बात यह है कि इसमें मौजूद एक द्वीप झील के पानी में तैरता रहता है जिसके पीछे का कारण आज तक किसी को समझ नहीं आया है। तो चलिए बताते हैं आपको इसकी पूरी जानकारी..
पराशर झील, मंडी
जिस सुन्दर और पवित्र झील की बात हम ऊपर कर रहे थे वह मंडी जिले में समुद्रतल से करीब 9000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित पराशर झील है। वैसे तो आपको हिमाचल प्रदेश में हर कहीं सुन्दर दृश्य देखने को मिल जाते हैं लेकिन इस झील की खूबसूरती और वो भी चारों तरफ के अत्यंत सुन्दर नज़ारों इस स्थान को हिमाचल प्रदेश के सबसे आकर्षक दार्शनिक स्थलों में से एक बनाता है। इस झील के चारों और का नज़ारा हर मौसम में अपनी अलग सुंदरता बिखेरता है और हर मौसम में इसे देखना का अनुभव बेहद अलग और शानदार होता है।
सर्दियों में यहाँ भारी बर्फ़बारी होती है जिससे झील के चारों तरफ आपको बर्फिस्तान जैसा अनुभव होता है। यकीन मानिये बर्फिस्तान के नज़ारों के बीच इस झील का दृश्य एक ही झलक में आपके होश उड़ा देगा। व्ही अगर आप हरियाली देखने के शौक़ीन हैं तो आपको गर्मी या फिर बारिश के मौसम में पराशर झील की यात्रा करनी चाहिए। इस समय आस-पास की सभी पहाड़ियों पर हरियाली की मोटी चादर बिछ जाती है जिसके साथ झील का नज़ारा वास्तव में अद्भुत लगता है।
ऋषि पराशर को समर्पित है यह स्थान
आपको बता दें कि मंडी जिले में स्थित यह झील ऋषि पराशर को समर्पित है। यहाँ झील के पास ही पैगोडा शैली में बना ऋषि पराशर मंदिर भी है जो भी अपने आप में हिमाचली वास्तुकला का एक बेहतरीन उदारहण है। बताया जाता है कि यह इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में राजा बाणसेन ने करवाया था।
यहाँ मंदिर बनवाने के पीछे की वजह ये है कि यही वो स्थान है जहाँ प्राचीन समय में ऋषि पराशर ने वर्षों तक तपस्या की थी और ठीक उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया जहाँ ऋषि पराशर तपस्या किया करते थे। बताया जाता है कि ऋषि पराशर मुनि शक्ति के पुत्र और वशिष्ठ ऋषि के पौत्र थे। पराशर झील भी एक पवित्र झील है जिसके पानी को पूजा-पाठ में काम में लिया जाता है और इसीलिए झील तक केवल पास के मंदिरों के पुजारी ही जाया करते हैं।
आश्चर्यचकित कर देता हैं झील में तैरता द्वीप
इस झील से जुडी एक बेहद रोचक बात जो हर किसी को आश्चर्यचकित कर देती है वो ये है कि झील में मौजूद द्वीप एक स्थान पर स्थिर नहीं रहता। यह झील के पानी में तैरता रहता है जिसके पीछे का कारण आज तक कोई समझ नहीं पाया है। झील में तैरता यह भूखंड झील के करीब 7 प्रतिशत हिस्से को ही कवर करता है और जब आप इस झील की यात्रा करेंगे तो हो सकता है कुछ देर में ही आपको इसकी स्थिति में कुछ अंतर दिखे। इसके अलावा आप पराशर झील की इंटरनेट पर फोटोज देख सकते हैं जिसमें यह द्वीप आपको अलग अलग स्थिति में दिखेगा।
बताया जाता है कि यह द्वीप पहले दिन के पहर के अनुसार दिशा बदलता था लेकिन कुछ समय से यह कभी-कभी एक तरफ लगातार चलता है और फिर कुछ दिन एक जगह स्थित हो जाता है। इस द्वीप को स्थानीय भाषा में 'टाहला' कहा जाता है।
झील से जुड़े अन्य कुछ रहस्य
यह पवित्र झील में तैरते द्वीप के अलावा कुछ अन्य रहस्यमयी बातें भी हैं जो भी आपको जरूर जननी चाहिए। स्थानीय लोगों की माने तो इस झील की गहराई आखिर कितनी है ये अभी तक किसी को पता नहीं चल सका है। लोग बताते हैं कि उन्होंने इस झील में बड़े-बड़े पेड़ों को गिरते भी देखा है। इसीलिए देखने पर तो यह झील एक छोटी से झील दिखाई देती है लेकिन इसकी इतनी अधिक गहराई इससे जुड़े एक और रहस्य को जन्म देती है जिसका जवाब आज तक नहीं मिल सका है।
कैसे पहुंचे ?
पराशर झील पहुंचना बेहद आसान है और झील तक आप आसानी से अपने वाहन से पहुँच सकते हैं। सड़क की स्थिति भी कुल मिलकर अच्छी है हालाँकि कुछ छोटे-मोटे ऑफ-रोड पैच के लेकिन वो भी आप आसानी से किसी भी फोर-व्हीलर या फिर टू-व्हीलर से पूरा कर सकते हैं। पराशर झील पहुँचने के लिए आप मंडी की तरफ से भी जा सकते हैं या फिर अगर आप कुल्लू या फिर मनाली की तरफ से जाना चाहते हैं तो आप भुंतर के आगे बजौरा होते हुए मंडी रोड पकड़ सकते हैं और फिर पराशर रोड के साथ पराशर झील पहुँच सकते हैं।
मनाली से पराशर लेक की दूरी करीब 100 किलोमीटर है वहीं अगर आप मंडी के पास हैं तो मंडी शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित पराशर झील आसानी से सड़क मार्ग से पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि मंडी से सुबह करीब 8 बजे हिमाचल प्रदेश परिवहन की बस भी पराशर लेक के लिए निकलती है जिसके द्वारा भी आप इस पवित्र झील तक पहुँच सकते हैं।
इसके साथ ही पराशर झील ट्रेक भी अपने आप में एक बेहद सुन्दर अनुभव वाला ट्रेक है। अगर आप ट्रेक करके झील तक पहुंचना चाहते हैं तो मंडी में स्थित बग्गी गाँव के पास ब्यास नदी के बेसिन से शुरू होता है और घनी हरियाली ऑफ़ जंगल के शानदार नज़ारों से होते हुए आप इस खूबसूरत ट्रेक को करीब 4 से 6 घंटे में पूरा कर सकते हैं।
तो अगर आप भी मनाली के बाकी के भीड़ से भरे प्रसिद्द पर्यटन स्थलों से दूर रोचक किस्सों से जुडी पवित्र और सुकून भरी खूबसूरत झील की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको पराशर झील की यात्रा जरूर करनी चाहिए। इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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