हेमकुंड साहिब विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह गुरुद्वारा हिमालय में 4632 मीटर की ऊंचाई पर एक बर्फीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है। उत्तर भारत की हिमालयी श्रृंखला में मौजूद इस गुरुद्वारे में ठंड के मौसम में यात्रियों की आवाजाही बंद रहती है। चारधाम यात्रा की शुरुआत के आस-पास ही हेमकुंड साहिब की यात्रा भी शुरू हो जाती है। सिख धर्म के सबसे पवित्र और लोकप्रिय तीर्थस्थलों में से एक हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 25 मई को खुल चुके हैं। श्री हेमकुंड साहिब सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तपोस्थली है।
एक दिन में 3500 श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन
ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से हेमकुंड साहिब के मार्ग पर यात्रियों को मई के महीने में भी बर्फ से होकर गुजरना होता है। ऐसे में यात्रियों को मार्ग में कोई असुविधा ना इसलिए प्रशासन द्वारा शुरुआती दिनों में प्रतिदिन केवल 3500 यात्रियों को दर्शन करने की अनुमति दी गई है। हालांकि बाद में इस संख्या को बढ़ाया भी जा सकता है। यह गुरुद्वारा वर्ष के सिर्फ 5 महीने श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है।
यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। यात्रियों की भीड़ और व्यवस्थाओं को देखते हुए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। श्रद्धालु पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन में आपको अपना पता, मोबाइल नंबर और शहर के साथ-साथ देश का नाम लिखना अनिवार्य है। 10 अक्टूबर, 2024 को कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
यात्रा के लिए साथ रखे ये जरूरी सामान
यह यात्रा बेहद कठिन चढ़ाई और बर्फीले पहाड़ों के रास्तों से होती है। इसलिए घर से निकलने से पहले गर्म कपड़े, खाने पीने का सामान और जरूरी दवाइयां अपने साथ रखें। यहां एटीएम की सुविधा भी नहीं है. अपने साथ कैश भी साथ लेकर चलें। आपको इस यात्रा में पैदल अधिक चलना होगा। इसलिए जूते कंफर्टेबल पहनकर यात्रा की शुरुआत करें। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से यहां पर हेली सर्विस और घोड़े खच्चरों की व्यवस्था की गई है। आप उनका उपयोग करके भी हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा तक पहुंच सकते हैं।
क्या है इस विश्व प्रसिद्ध गुरुद्वारे की मान्यता?
यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए यह आस्था एक बड़ा केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां ध्यान में 10 साल बिताये थे। गढ़वाल के हिमालय क्षेत्र में स्थित हेमकुंड साहिब हेमकुंड पर्वत की चोटियों के बीच है। गुरुद्वारे के सामने हेमकुंड नाम की एक झील है, जिसका पानी बर्फ जैसा ठंडा होता है और हर साल यहां आनेवाले लाखों श्रद्धालु इस झील में पवित्र स्नान करते हैं। इस स्थान से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मण मंदिर है, जिसका रामायण काल से संबंध बताया जाता है, गुरुद्वारे के आसपास एक विशेष किस्म का फूल उगता है, जिसे ब्रह्म कमल कहा जाता है।
कैसे पहुंचें?
हेमकुंड साहिब का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो गोविंदघाट से 273 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश से श्रद्धालु टैक्सी, बस या निजी वाहन से श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली व जोशीमठ के रास्ते गोविंदघाट होते हुए घांघरिया तक पहुंच सकते हैं। घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक 6 किलोमीटर का सफर पैदल करना होता है। वायु मार्ग के लिए देहरादून का जॉलीग्रांट नजदीकी एयरपोर्ट है। हाल ही में गोविंदघाट से घांगारिया के लिए हेलिकॉप्टर सेवा भी शुरू की गई है।
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