भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाता है,शायद इसीलिए भारत को विविधताओ का देश कहां जाता हैं।भारत की संस्कृति प्राचीन संस्कृति है सनातन काल से ही भारत में मंदिरों को विशेष मान्यताएं दी जाती है।यहां पर लाखों की संख्या में मंदिर है और हर मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता हैं।सदियों से कुछ भारतीय मंदिर समाज के अभिन्न अंग बने हुए हैं।यही कारण है कि देश के हर कोने में आपको किसी भी धर्म की पूजा स्थल मिल जाएगी।भारत में कई ऐसे स्थान हैं, जो अपनी चमत्कारी प्रवृत्ति और अविश्वसनीय मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं।उन्हीं में से एक हैं हसनंबा मंदिर।हसनंबा मंदिर बेंगलुरु से लगभग 180 किमी दूरी पे हासन जिला में स्थित हैं।यह मंदिर कई मायनों में बेहद ही विशेष है।यह मंदिर साल में केवल सप्ताह के लिए खुलता है।
मंदिर का इतिहास
कहा जाता हैं होयसल वंश में लगभग 12वीं शताब्दी में यहां के राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।पौराणिक कथाओं के अनुसार,अंधकासुर नामक एक राक्षस था जिसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा से अदृश्य होने का वरदान प्राप्त किया था। अदृश्य होने का वरदान पाकर अंधकासुर ने चारों ओर अत्याचार मचाने लगा।अत्याचार ज्यादा होने पर भगवान शिव ने अंधकासुर का अंत करने का बीड़ा उठाया।अंधकासुर वरदान पाकर इतना शक्तिशाली हो गया था कि जब भी भगवान शिव उन्हें मारने की कोशिश करते हैं, तो जमीन पर गिरती उसके खून की एक एक बूंद राक्षस बन जाती।तब भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से योगेश्वरी का निर्माण किया, जिसने अंधकासुर का नाश कर दिया।
मंदिर अपने चमत्कारों के लिए है प्रसिद्ध
मंदिर अपने विशिष्ट चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। कहते हैं कि मंदिर में 1 सप्ताह तक पूजा-पाठ होती है और अंतिम दिन पूजा पाठ करने के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, जो फिर अगले साल ही खुलते हैं।मंदिर का कपाट बंद करने के बाद जब इसे पुनः एक साल बाद खोला जाता हैं तो यहां का दीपक जो एक साल पहले जलाया था वो हुबहू वैसा ही मिलता हैं साथ ही साथ कुछ ताजे फूल रखे जाते वो भी एक साल बाद ताजे ही मिलते हैं।
पत्र लिखकर मांगते हैं मनोकामना
यहां भक्त गढ़ अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए देवी मां को पत्र भी लिखते हैं।आम श्रद्धालुओं की यह मान्यता है कि ईश्वर को चिट्ठी लिखने से वे जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।कई लोग तो अजीबोगरीब पत्र लिखते हैं।सोशल मीडिया पर यहां की कई मज़ेदार चिट्ठियां वायरल हो रही हैं।
हसनबा मंदिर से जुड़ी परंपरा
एक साल बाद जब मंदिर को पुनः अश्विन मास के पहले गुरुवार को श्रृद्धालुओं के लिए जब खोला जाता है तो इस दौरान हसनबा जात्रा उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव काफ़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं। इस उत्सव का आनन्द लेने के लिए देश के कोने-कोने से भक्त आते हैं और माता के दर्शन करते हैं।इसके बाद पिछले दो दिनों में मंदिर में विशेष अनुष्ठान का आयोजन होता है, जिस दौरान मंदिर में आम श्रृद्धालुओं के लिए बंद रहता है।
हसनंबा मंदिर कैसे पहुंचें
फ्लाइट से - हासन में कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन निकट में बैंगलोर एयरपोर्ट है।हासन के लिए आप टैक्सी बुक कर सकते हैं।
ट्रेन से - हासन के पास बेंगलुरु, मैसूर, हुबली और मैंगलोर रेलवे स्टेशन हैं।हासन के लिए आप टैक्सी बुक कर सकते हैं।
बस से - हासन बेंगलुरु से लगभग 187 किलोमीटर और मैसूर से 115 किलोमीटर दूर है। यहां से हासन के लिए बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
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