घुमक्कड़ की फोज करेगी मौज ...........!
राज कपूर की फिल्म राम तेरी गंगा मेली तो आप सब ने देखी होगी ।
जी हां हम बात करने वाले है हर्षिल घाटी की। अगर आप अपने आप को घुमक्कड़ कहते हैं और अभी तक हर्षिल घाटी नहीं गये हैं, तो आप घुमक्कडी के लिहाज़ से अभी कमज़ोर है यह वन्य बस्ती अपने प्राकृतिक सौंदर्य एवं मीठे सेब के लिये मशहूर है। हर्षिल के आकर्षण में हवादार एवं छाया युक्त सड़क, लंबे कगार, ऊंचे पर्वत, कोलाहली भागीरथी, सेबों के बागान, झरनें, सुनहले तथा हरे चारागाह आदि शामिल हैं। इसी वजह से ये जगह बॉलिवुड की पसंदीदा है
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 75 किमी दूर और समुद्रतल से 2650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है हर्षिल ।
🥇st day :-
हर्षिल घाटी पहुंचने में आपको दोपहर या शाम हो जाएगी सबसे पहले यहां होटल में अपने लिए कमरा ढूंढे जो कि बहुत ही आसानी से मिल जाएगा , फ्रेश होकर मार्केट को एक्सप्लोर करने के लिए निकल पडो ,सूर्य अस्त के समय आसपास के नजारो को निहारे और रात के समय स्वादिष्ट भोजन का लुफ्त उठाएं यहां के मोमोज बहुत फेमस हैं जो कि आपको आसानी से रुपए 50 से 60 प्लेट मिल जाएगी ।
अपने घुमक्कड़ी शरीर को थोड़ा आराम दें,और हर्षिल घाटी की ठंडक में नींद का मजा उठाएं
तो जी जल्दी उठो फटाफट से तैयार हो जाओ हर्षिल घाटी को एक्सप्लोर करने के लिए ......।
सुबह का प्रकाश मानो सोने कि चमक जैसा प्रतीत होता है हर्षिल की उच्च चोटिया बर्फ़ से आपके नींद को इस तरह गायब करती हैं जैसे किसी ने जादू किया हो। यू तो हर्षिल आप एक दिन में नहीं घूम सकते पर कुछ मुख्य जगह के बारे मै बता रहा हूं। हां आज आप घूमने वाले हैं हर्षिल घाटी के सात पुल ,बागोरी गांव , बुद्ध मंदिर, डाक घर , सेब के बगीचे, भैरव घाटी ,सिल्क रूट (तिब्बत को जाने वाला प्राचीन मार्ग ), गंगनानी, ब्राह्मीताल (14km) , लक्ष्मी नारायण मंदिर(हरिप्रयाग) , लाल देवता मन्दिर आदि जगह घूम सकते हो। हर्षिल घाटी दिन के हर समय ओर साल के हर मौसम अपना रंग बदलती हैं जैसे आप महसूस करने वाले है भागीरथी नदी भी उसी अनुसार अपना रंग बदलती हैं जो आप को हरा, नीला, मटमैला, हल्का काला दिखाई देगा। यहां का ठंडा पानी ओर उनके झरने किसी का भी मन मोह सकते है।
बगोरी गांव ❤️
गंगोत्री
हर्षिल से 25 कि. मि दूर है गंगोत्री धाम गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है।
मंदिर अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है।
गंगोत्री ट्रेकिंग के प्रेमियों कि पसंदीदा जगह हैं यहां से बहुत से ट्रेक सुरु होते है जैसे :-
# गोमुख ,गंगोत्री से 19 किलोमीटर दूर3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना तथा भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है।
# नंदनवन तपोवन, गंगोत्री से 25 किलोमीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर के ऊपर एक कठिन ट्रेक में नंदनवन ले जाती है जो भागीरथी चोटी के आधार (बेस) शिविर गंगोत्री से 25 किलोमीटर दूर है। यहां से शिवलिंग चोटी का मनोरम दृश्य दिखता है।
# गंगोत्री चिरबासा, गौमुख के रास्ते पर 3,600 फीट ऊंचे स्थान पर स्थित चिरबासा एक अत्युत्तम शिविर स्थल (केम्प स्पॉट) है जो विशाल गौमुख ग्लेशियर का आश्चर्यजनक दर्शन कराता है।
# केदारताल, गंगोत्री से 14 किलोमीटर दूर इस मनोरम झील तक की चढ़ाई में अनुभवी आरोहियों (ट्रेकर्स) की भी परीक्षा होती है।झील पूर्ण साफ है, जहां विशाल थलयसागर चोटी है। यह स्थान समुद्र तल से 15,000 फीट ऊंचा है तथा थलयसागर जोगिन, भृगुपंथ तथा अन्य चोटियों पर चढ़ने के लिये यह आधार शिविर है।
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