अगर आप की रूचि ऐतिहासिक किलों में है और आप ऐड्वेंचर के भी शौक़ीन है तो हरिहर फोर्ट आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है।अगर आप एडवेंचर से भरपूर खतरनाक जगह पर ट्रैकिंग करना चाहते हैं।आज हम आपक बताने जा रहे हैं महाराष्ट्र का एक ऐसा ऐतिहासिक ट्रैकिंग स्थल जहां आप जरूर जाना चाहेंगे।
महाराष्ट्र के नासिक में कसार से 60 किलोमीटर की दूरी पर एक खूबसूरत पहाड़ पर स्थित है यह किला, इस किले को हर्षगढ़ के नाम से भी जाना जाता है । यहाँ पहुचना कोई बच्चो का खेल नही है।इसकी चढ़ाई खतरों से भरी हुई है हर वक़्त मानो आपकी साँसे आपके गले में अटक सी जाएंगी।रोमांच से भरे इस ट्रैक पर खतरों से खेलना एक अलग ही एहसास होगा।तो चलिए हम आपको आज इस किले के रोमांचक सफर पर ले चलते है।
हरिहर फोर्ट
ये किला महाराष्ट्र के दूर पहाड़ की चोटी पर बसा है, जहां पहुंचने का रास्ता बेहद खतरनाक है। यहा किला, राज्य के नासिक जिले के पहाड़ पर बसा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 170 मीटर है। इस किले तक पहुंचने के लिए 117 सीढ़ियों का सफर तय करना होता है। यह पहाड़ वर्टिकल शेप में है।नीचे से ये चोकोर दिखाई देता है पर इसका शेप प्रिज्म है । ये पहाड़ दो तरफ से 90 डिग्री सीधा है और तीसरी तरफ 75 डिग्री पर है , यह किला लगभग 170 मीटर की ऊँचाई पर बना है ।लगभग 50 सीढियो के बाद मुख्य द्धार आता है। यहाँ तक पहुँचने के बाद आगे की सीढ़िया पहाड़ी के अंदर से होकर गुजरती है । जो आपको किले के टॉप तक पहुँचाती है , टॉप पर हनुमान जी और शिवजी के लघु मन्दिर है, मन्दिर के पास साफ पीने लायक पानी का छोटा तालाब है । यहाँ से आगे जाने पर दो कमरों वाला महल है ।
हरिहर किले का इतिहास
इस किले का इतिहास 9वी से 14 वी शताब्दी तक यादव वंश की अवधि तक है।इस किले का निर्माण उस समय व्यापार मार्ग पर नजर रखने के लिए किया गया था।बाद में अहमदनगर के निज़ामशाह ने इस अपने कब्जे में ले लिया था। उसके बाद 1636 में, शाहजी राजा ने त्र्यंबकगढ़ के पड़ोसी किले पर विजय प्राप्त की। फिर बाद में यह मुगलों के पास चला गया। 1670 में, मोरोपंत पिंगले ने इस किले पर विजय प्राप्त की और स्वराज्य को जोड़ा। 8 जनवरी 1689 को मुगल प्रमुख मातबर खान द्वारा इस किले पर विजय प्राप्त की । अंत में, 1818 में, मराठों से किले को अंग्रेजों ने जीत लिया था।हरिहर फोर्ट बनाने का मुख्य उदेश्य वॉच टावर के रूप में उपयोग करना था। आप जब चोटी पर पहुँच जाने पर वातावरण साफ़ हो तो उत्तर में सातमाला, शैलबारी रेंज, दक्षिण में अवध-पट्टा,कालासुबई रेंज,बासगढ़ किला, उतावड़ पीक,ब्रह्मा हिल्स का खूबसूरत नजारा दिखता है।यह किला वैतर्ना रेंज पर बना है।
किले पर ट्रेक
किले पर ट्रेक का एक अलग ही रोमांच है।यह किला खास तौर पर ट्रेकिंग के लिए ही जाना जाता है।इस किले पर ट्रेक रुट की खोज 1986 में डग स्कॉट नाम के पर्वतारोही ने की थी।इसलिए इसे स्कॉटिश भी कहते हैं।यही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यहाँ पहली बार ट्रेक किया था।यह ट्रेक हरसवाडी और निर्गुदपाड़ा गांवों से शुरू होता है।जो त्रियंबकेश्वर से 22 किमी और नासिक से 45 किमी दूरी पर स्थित है।इस ट्रैक को पूरा करने में पूरे दो दिन का समय लगता है।
हरिहर किला जाने का सबसे अच्छा समय
वैसे तो आप यह पूरे साल में कभी भी आ सकते है।लेकिन अक्टूबर से लेकर फरवरी तक यहाँ पर जाना सबसे अच्छा होता है। बारिश का मौसम होने की वजह से इस समय यह थोड़ा ज्यादा शतर्क रहने की जरूरत होती है।क्योंकि बारिश की वजह से सीढियो पर फिसलन ज्यादा होती है जो काफी खतरनाक हो सकता है। इस मौसम में यह का नजारा काफी सुहाना होता है और ट्रेकिंग में भी काफी मजेदार हो जाता है।
कैसे पहुंचे ?
By Air..
हरिहर किले का निकटतम हवाई अड्डा मुंबई में लगभग 165 किमी की दूरी पर स्थित है।हवाई अड्डे से, आप हरिहर किले के लिए एक सीधी टैक्सी प्राप्त कर सकते हैं। आप मुंबई से नासिक और फिर वहाँ से हरिहर किले के लिए एक कैब भी बस पकड़ सकते हैं।नासिक और हरिहर किले के बीच की दूरी 40 किमी है।
By Rail..
हरिहर किले से नासिक निकटतम रेलवे स्टेशन है। आप नासिक जंक्शन और फिर वहां से हरिहर किले के लिए एक टैक्सी ले सकते हैं।