भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक के रूप में माना जाने वाला हरिद्वार हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला के कदमों में स्थित है। यहाँ हर साल लोग माथा टेकने, गंगा में डुबकी लगाने, पूजा करने और अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं। श्रावण के महीने यानी जून और जुलाई में यहाँ लाखों कावड़ियों का ताँता लग जाता है जो शिव भक्त होने के साथ ही कुंभ मेले में शिरकत करने कोने-कोने से आते हैं | तो अगर आप लॉकडाउन खत्म होने के बाद, छोटा-सा ब्रेक लेकर हरिद्वार दर्शन का प्लान बनाना चाहते हैं, तो मैं आपको बताता हुँ आप यहाँ क्या-क्या कर सकते हैं?
हरिद्वार के दर्शनीय स्थल
1. हर की पौड़ी पर गंगा में डुबकी लगाइए
गंगा के पास स्थित इस सबसे पवित्र घाट के नाम का अर्थ है भगवान के चरण | जब मैं हर की पौड़ी पहुँचा तो यहाँ की शांति और सुरम्यता देख कर दिल भर आया | हो सकता है इसकी वजह मेरा ही विश्वास रहा हो जो कहता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से मेरे जीवन के सारे पाप धुल जाएँगे और मोक्ष प्राप्ति होगी | गंगा में डुबकी लगाते ही ताज़गी आ जाती है | भरी गर्मी में भी गंगा का पानी बर्फ जैसा ठंडा होता है | पानी का स्तर इतना गहरा भी नहीं है | आपकी सुरक्षा के लिए लोहे की ज़ंजीरें और सरिए लगे हैं | महिलाओं के लिए कपड़े बदलने के कमरे भी हैं |
2.हरिद्वार में गंगा आरती
आप चाहे एक साधारण से यात्री हों या फोटोग्राफर, गंगा किनारे होने वाली इस आरती के दर्शन तो ज़रूर करने चाहिए |
हर की पौड़ी पर होने वाली आरती की सुंदरता देखते ही बनती है | जलती बातियों और बजती घंटियों के बीच यहाँ के पंडित एक सुर-ताल में बड़ी खूबसूरती से गंगा की आरती करते हैं | इस आरती को देखने हर दिन हज़ारों सैलानी और श्रद्धालु आते हैं | किस्मत कहें या कर्म, हम यहाँ बुध पूर्णिमा के दिन पहुँचे | आरती तो शाम 7 बजे शुरू होनी थी मगर हम सामने वाले घाट पर शाम साढ़े पाँच बजे ही बैठ गये | इस समय भी घाट के दोनो ओर भीड़ बढ़ती ही जा रही थी | साढ़े 6 बजते ही तो चारों ओर हर-हर गंगेऔर जय गंगा मैया की आवाज़ें गूँज रही थी | पंडितों ने भी आरती की शुरुआत कर दी थी जिनकी आवाज़ लाउड स्पीकरों में से आ रही थी | मुझे सुनकर बहुत अच्छा लगा जब पंडितों ने लोगों से गंगा को प्रदूषित ना करने की प्रार्थना की |
3.हरिद्वार के मंदिर
हरिद्वार पहुँच कर हमने सबसे पहले चंडी माता और मनसा देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए केबल कार के टिकट खरीद लिए | ये दोनो मंदिर आमने- सामने खड़े पहाड़ों की चोटियों पर बने हैं जहाँ तक पैदल भी जाया जा सकता है | मगर केबल कार में सवारी करने का अनुभव अलग ही था क्योंकि ऊँचाई से पूरे हरिद्वार शहर और बीच से बहती गंगा की धारा काअद्भुत नज़ारा जो देखने को मिल रहा था |
4. हरिद्वार में खाना
गंगा में डुबकी लगाने के बाद हर की पौड़ी पर स्थित सबसे पहले रेस्तराँ मोहन जी पर जाइए और यहाँ की स्वादिष्ट पूड़ी, कचौड़ी, हलवा और लस्सी के स्वाद में खो जाइए |
इस छोटे से रेस्तराँ में बैठने के लिए कोई ख़ास इंतज़ाम नहीं हैं मगर फिर भी यहाँ हमेशा ही भीड़ लगी रहती है | दुकान के बाहर खड़े लोगों को मज़े से पत्ते पर परोसी हुई पूड़ी सब्ज़ी खाते देखा जा सकता है | सर्दियों में ये ज़बरदस्त कॉफी भी पिलाते हैं |
5. हरिद्वार के बाज़ारों में खरीदारी
हर की पौड़ी घाट के पास बनी दुकानों के बाहर अलग-अलग आकार की रंगीन बोतलें लटकती दिख जाएँगी | एक कप से लेकर एक लीटर की इन बोतलों में भरा गंगाजल खरीद कर आप अपने घर ले जा सकते हैं | इसे पवित्र और पनौतियों को दूर रखने वाला माना जाता है |
यहाँ कई दुकानों पर रुद्राक्ष, मूर्तियाँ, भगवा कपड़े और बहुत तरह का सामान मिलता है | घर की सजावट के लिए आपको लकड़ी से बने सामान जैसे चम्मच वग़ैरह भी मिल जाएँगी |
हरिद्वार यात्रा पर आप और क्या कर सकते हैं?
हरिद्वार भारत के लोकप्रिय तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ पेशेवर योग प्रशिक्षण केंद्र भी हैं। यहाँ की जीवनशैली और कार्य संस्कृति को जानने के लिए आप यहाँ के आश्रमों की यात्रा भी कर सकते हैं।
आप गंगा के किनारे स्थित इस 100 फुट ऊँची भगवान शिव की मूर्ति के दर्शन भी कर सकते हैं।
हरिद्वार कैसे पहुँचे?
उत्तर भारत के सभी बड़े शहरों से सड़क के ज़रिए हरिद्वार तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दिल्ली से लगभग 200 कि.मी. दूर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए बस, टैक्सी या ट्रेन जो चाहे ले सकते हैं |
इसे भी अवश्य पढ़ें: crystal world haridwar
हरिद्वार में धर्मशाला
हरिद्वार में रहने का सबसे सस्ता तरीका है धर्मशाला। हालांकि अब यहाँ पर सस्ते जुगाड़ के अलावा महंगी और बेहतर सुविधाओं वाली धर्मशालाओं के भी कई विकल्प हैं। हर की पौड़ी के पास ही कई सारी धर्मशालाएँ हैं जहाँ एक रात का किराया 500 रुपए से भी कम में शुरू हो जाता है।
क्या आप हरिद्वार गए हैं? मुझे आपके अनुभवों के बारे में जान कर खुशी होगी |
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना Telegram पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।
यह आर्टिकल अनुवादित है | ओरिजिनल आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें |