हमारे विचारों और व्यवहारों में कुछ त्यौहार पूरी तरह शामिल रहते हैं। ये ऐसे त्यौहार होते हैं जो कि हमारी भावनाओं और परम्पराओं को आगे बढ़ाते हैं, उन्हें पोषित करते हैं। खुशियाँ बाँटने और लोगों से घुलने-मिलने का ये एक बहाना ही नहीं होता बल्कि आने वाले पीढ़ियों में भी इसका संचार होता है। सिख समुदाय के लिए गुरुपर्व ऐसे ही एक इमोशन और प्यार का पर्व है। अगर इसे ठीक से देखना हो तो जाहिर है गुरुपर्व पर घर से निकलकर गुरुद्वारे तक पहुँचा जाए।
कभी यात्रा पर हों तो मानवसेवा में लगे इन गुरुद्वारों पर जाकर मानवता की झांकी देख आएँ। नानक की याद में मनाया जाने वाला गुरुपर्व इस बार 12 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसे प्रकाशपर्व भी कहते हैं।
क्या सब होता है गुरुपर्व में?
प्रकाश पर्व के दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक आयोजन शुरू हो जाते हैं जो कि देर रात तक चलते हैं। उत्सव के दौरान गुरुद्वारे में शब्द कीर्तन का आयोजन होता है। गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजी गाड़ियाों गुरुद्वारा से शुरू होकर विभिन्न जगहों से होते हुए फिर वापस गुरुद्वारे तक पहुँचती हैं। इस नगर कीर्तन का नेतृत्व पंज (पांच) प्यारे करते हैं। जिसमें भारी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं। इस विशेष अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानक देव जी के बताए हुए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। वहीं शाम को गुरुद्वारे में लंगर खिलाने की भी व्यवस्था रहती है। प्रकाशपर्व के दौरान गुरुद्वारों को लाइटों से इस तरह सजाया जाता है मानों तारों की चादर यहीं आ बिछी हो।
गुरुपर्व मनाने क्या हैं मायने
सिख समुदाय के लोग नानक के उपदेशों को ईश्वर का आदेश मानते हैं। मानव और समाज की सेवा में जीवन समर्पित करने वाले गुरु नानक देव की सीख को जीवन में उतारने और उसका पालन करने की प्रतिबद्धता को दुहराने के लिए ही इस प्रकाश पर्व या गुरु पर्व का आयोजन किया जाता है। समाज में फैले बुराइयों को समाप्त कर लोगों के जीवन का अंधियारा दूर करना ही गुरु नानक देव का बताया मार्ग है। प्रकाश पर्व का मतलब ही मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना है।
यहाँ जानते हैं कि गुरुपर्व पर भारत में किन 5 खास जगहों पर जाकर त्यौहार का आनंद लिया जा सकता है-
1. स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर पूरी दुनिया के सैलानियों में फेमस है जिसे गोल्डन टेंपल, हरमंदिर साहिब व दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। सिख समुदाय के चौथे गुरु, गुरु राम दास ने इस गुरुद्वारा की स्थापना की थी। खास बात ये है कि यहाँ किसी भी जाति, धर्म के लोग प्रार्थना करने के लिए आ सकते हैं लिहाजा यहाँ बड़ी भीड़ उमड़ती है। वैसे तो इस गुरुद्वारे की खूबसूरती मनमोहक है लेकिन गुरुपर्व के अवसर पर इसे खासतौर पर सजाया जाता है। भव्य सजावट यहाँ आने वालों को अपनी ओर बखूबी आकर्षित करता है। जानकर आश्चर्य होगा कि स्वर्ण मंदिर में चलने वाले लंगर में हर दिन लाखों की संख्या में लोग आकर भोजन करते हैं। गुरुपर्व के दिन यहाँ आकर लंगर खाने का आनंद ही कुछ और है। दिल्ली या पंजाब की ओर जाने वाला हर आम और ख़ास लोग यहाँ आकर जरूर मत्था टेकते हैं। आप अगर स्वर्ण मंदिर पहुँचते हैं तो लगे हाथ बाघा बॉर्डर और अमृतसर के अन्य जगहों की यात्रा भी कर ले सकते हैं।
2. गुरुद्वारा मणिकरण साहिब, कुल्लू
हिमालय के फेमस हिल स्टेशन कसोल से 5 कि.मी. की दूरी पर है गुरुद्वारा मणिकरण साहिब, जो कि पार्वती नदी के बाईं ओर स्थित है। गुरुद्वारा मणिकरण साहिब सिख व हिंदू दोनों धर्म के लोगों के बीच सुप्रसिद्ध है। मान्यता है कि गुरु नानक देव जी खुद इस गुरुद्वारे में अपने शिष्य भाई मरदाना के साथ आए थे। उन्होंने ही यहाँ रोटी पकाने के लिए गर्म पानी का जल-स्रोत बनाया था। कहते हैं कि जब से ये जल-स्रोत नानक जी ने बनाया था तभी से मणिकरण अपने गर्म पानी के जल-स्रोत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हो चुका है। इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता देखने सैलानी आते रहते हैं, वहीं सिख समुदाय के लिए तो ये किसी तीर्थ से कम नहीं है!
3. गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली
गुरुद्वारा बंगला साहिब का निर्माण सिखों के आठवें गुरु, गुरु हर किशन ने करवाया था। मान्यता है कि 17वीं शताब्दी में यह गुरुद्वारा राजा जय सिंह का बंगला हुआ करता था जिसे जयसिंगपुरा पैलेस के नाम से जाना जाता था। जानकारी हो कि यह दिल्ली के सबसे फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शुमार है जहाँ पूरे साल श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है। बताया जाता है कि इस गुरुद्वारा परिसर में मौजूद पानी का सरोवर ख़ास औषधीय गुणों वाला है। यही कारण है कि यहाँ आने वाले अधिकांश श्रद्धालु इस पानी में डुबकी लगाते हैं या फिर उससे अपना मुंह-हाथ धोते हैं।
4. पटना साहिब गुरुद्वारा
पटना स्थित यह गुरुद्वारा सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सिखों के 10वें व अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी थे जिनकी जन्म धरती पटना ही है। उन्हीं की याद में पटना साहिब गुरुद्वारे का निर्माण किया गया था। जानकारी हो कि इसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। मूल रूप से इस स्थान पर सालिस राय जौरी की हवेलियाँ थी जिसे बाद में धर्मशाला में बदल दिया गया था क्योंकि वे गुरु नानक के भक्तों में से एक थे। यह गुरुद्वारा गंगा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ सिखों के कई धर्मग्रंथ देखे जा सकते हैं!
5. हेमकुंड साहिब, चमोली
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब भी गुरुपर्व मनाने पहुँचा जा सकता है। हिमालय की गोद में सिखों का ये प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। बता दें कि हिमालय में 15197 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह गुरुद्वारा दुनिया के सबसे ऊँचे गुरुद्वारों में से एक है। इस गुरुद्वारे के बाहर एक छोटा सा तालाब है। जिसमें यहाँ आने वाले श्रद्धालु डुबकी लगा सकते हैं। हेमकुंड साहिब चारों तरफ से हिमालय की सात चोटियों से घिरा हुआ है। इस जगह की छटा आपका मन मोह लेती है तो वहीं आध्यात्मिक माहौल आपको विशेष अनुभूति से भर देता है।
यहाँ बताए गए देशभर के इन प्रसिद्ध गुरुद्वारों में पहुँचकर आपको जो आध्यात्मिक सुकून महसूस होगा वह निश्चित तौर पर एक यादगार पल बन जाएगा। इसके अलावे अगर आप इस लिस्ट में किसी स्थान विशेष के गुरुपर्व को जोड़ना चाहते हैं तो कमेन्ट कर हमें ज़रूर बताएँ।