घुमक्कड़ होना सिर्फ उन जगहों पर घूमना नहीं है जहाँ पहाड़ हों, झरने या समुद्र हों। खूबसूरत नजारों के अलावा घुमक्कड़ी इतिहास में झांकने का मौका देती है। भारत में कई जगह ऐसी हैं जहाँ प्राकृतिक खूबसूरती तो है ही, इसके अलावा ऐतहासिक महत्व भी है। ऐसा ही पुरातन और खूबसूरत शहर है, पाटन। माना जाता है कि गुजरात का पाटन शहर किसी जमाने में गुजरात की राजधानी हुआ करती थी। अगर आप अहमदाबाद घूम-घूमकर थक गए हैं तो आपको पाटन आना चाहिए। इतिहास के गलियारे में ले जाने वाले इस शहर की यात्रा हर किसी को एक बार जरूर करनी चाहिए।
अहमदाबाद से 130 किमी. की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक नगरी पाटन को 745 ईस्वी में उस समय के राजा वनराज चावड़ा ने बसाया था। महमूद गजनवी ने पाटन पर हमला करके इसे बर्बाद करने की कोशिश की लेकिन ये आज भी अपने गौरवाशाली होने का गवाह है। जिसे देखकर देश-विदेश से लोग आते हैं। पाटन अपनी वास्तुकला और प्राचीन सुंदरता के लिए जाना जाता है। आप चाहें इतिहास प्रेमी हों या ऐडवेंचर पसंद करते हों, हर किसी को एक बार पाटन जरूर आना चाहिए।
क्या देखें?
गुजरात ऐतिहासिक शहर पाटन में देखने को बहुत कुछ है। ये डेस्टिनेशन ऐसे हैं जो सिर्फ खूबसूरत ही नहीं ज्ञान के भंडार भी हैं। पाटन आएं तो इन जगहों पर जाना न भूलें।
1- रानी की वाव
पाटन की सबसे फेमस जगहों में से एक है रानी का वाव। ये प्राचीन बावड़ी देश की सबसे सुंदर बावड़ी में से एक है जो अपने बेजोड़ आर्किटेक्चर के लिए फेमस है। इस बावड़ी को सोलंकी शासन की राजवंश की रानी उदयामति ने बनवाई थी। इस बावड़ी की दीवारों खंभों पर देवी-देवताओं की मूर्ति उकेरी गई है। जिसमें नृत्य करते हुए गणेश भगवान की भी मूर्ति है। इसके अलावा नीचे वाले तल पर विष्णु, लक्ष्मी नारायाण और उमा महेश की अलग-अलग मूर्तियाँ हैं। जो इस बावड़ी को बेहद खूबसूरत और खास बनाती हैं। पाटन आएं तो रानी की वाव देखने जरूर आएं।
2- सहस्त्रलिंग तलाव
सहस्त्रलिंग तलाव गुजरात के पाटन शहर के आर्किटेक्चर का एक और शानदार नमूना है। सहस्त्रलिंग तलाव राजा-महाराजाओं के समय में सरस्वती नदी के किनारे एक टैंक बनाया था। पाटन के उत्तरी-पश्चिम में स्थित सहस्त्रलिंग तलाव में 4 लाख 26 हजार 500 क्यूबिक मीटर पानी भर सकता है हालांकि ये टैंक अब पूरी तरह से सूखा हुआ है। सहस्त्रलिंग तलाव को गुजरात के महान राजा सिद्धराज जयसिंह ने बनवाया था। इसके बारे में एक किवंदती है कि इस तालाब को जैस्मीन ओडमेन नाम की महिला ने शाप दिया था क्योंकि राजा जयसिंह ने उससे शादी करने से इंकार कर दिया था। ये जगह को देखने बहुत सारे लोग आते हैं, आपको भी जरूर आना चाहिए।
3- खान सरोवर
पाटन के दक्षिणी हिस्से में बहुत पहले पानी का संरक्षण करने के लिए एक सरोवर बनाया गया था जिसे आज खान सरोवर के नाम से जाना जाता है। इस सरोवर को 1886 से 189 के बीच में गुजरात के उस समय के गर्वनर खान मिर्जा अजीज कोका ने बनवाया था। ये सरोवर भी आर्किटेक्चर का एक बेजोड़ नमूना है। खंडहरों और इमारतों से बनी ये टंकी वर्गाकार है। इस टंकी की ऊँचाई 1228 फीट से लेकर 1273 फीट है। इस सरोवर के चारों तरफ सीढ़ियाँ हैं। जिनकी मदद से आप नीचे तक पहुँच सकते हैं। बारिश का पानी इस सरोवर में जमा होता है। अगर आपको जल संरक्षण का एक कामयाब नमूना देखना है तो पाटन के खान सरोवर को देखना न भूलें।
4- जैन मंदिर
पाटन हिन्दू मंदिरों की भूमि तो है ही इसके अलावा जैन मंदिरों का गढ़ भी है। पाटन में सौ से भी ज्यादा जैन मंदिर हैं। सभी जैन मंदिर सोलंकी राजवंश के शासनकाल में बने थे। इन मंदिरों में से सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पंचसारा पार्श्वनाथ जैन दरेसर मंदिर है। जो अपनी भव्यता और बेहतरीन आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। पार्श्वनाथ जैन मंदिर पूरी तरह से पत्थर का बना हुआ है। फर्श पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ है जो इसको और भी खास बना देता है। पहले सभी मंदिर लकड़ी के बनने वाले थे लेकिन आर्किटेक्चर उदा मेहता ने पत्थर का बनाने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद सभी जैन मंदिरों को पत्थर का बनाया गया। पाटन आएं तो जैन मंदिरों को जरूर देखें। अगर आपके पास सभी जैन मंदिर देखने का वक्त नहीं है तो पार्श्वनाथ जैन मंदिर तो देखना ही चाहिए।
5- सूर्य मंदिर
पाटन से 35 किमी. की दूरी पर बसा माधेरा गांव में एक प्राचीन और भव्य सूर्य मंदिर है। पशुपति नदी किनारे स्थित सूर्य मंदिर को 1026 ईसवी में सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम ने बनवाया था। ये मंदिर कुछ इस तरह बनाया गया है कि सूरज की पहली किरण सूर्य देव की मूर्ति पर पड़ती है। आपको वो नजारा देखना चाहिए, यकीन मानिए वो दृश्य बेहद खूबसूरत होता है। इस मंदिर में अब कोई पूजा नहीं होती है। आर्कोलोजिक्ल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस मंदिर को भारत की हेरिटेज साइट बना दिया है जिससे ये सुरक्षित रहे। इस मंदिर को 2014 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बना दिया गया है। पाटन आएं तो आपको कोणार्क मंदिर की तरह ही भव्य सूर्य मंदिर को जरूर देखना चाहिए।
6- पाटन म्यूजियम
मेरा मानना है कि किसी शहर को अच्छे से तब तक नही जाना जा सकता, जब तक वहाँ के म्यूजियम को न देखा जाए। पाटन को समझना है तो पाटन म्यूजियम जाएं। पाटन म्यूजियम रेलवे स्टेशन से 3 किमी. और रानी की वाव से 1 किमी. की दूरी पर है। पाटन का इतिहास और कल्चर को समझने के लिए ये म्यूजियम सही जगह है। इस म्यूजियम की स्थापना 2014 में हुई है। प्राचीन समय के पत्थर, मार्बल और मूर्तियाँ आपको इस म्यूजियम में मिल जाएंगी।
कब जाएं?
पाटन आने का सबसे सही समय सर्दियों का है। इसलिए आपको नवंबर से फरवरी के बीच में पाटन आने का प्लान बनाना चाहिए। पाटन गुजरात का बड़ा शहर है। यहां छोटे-बड़े हर प्रकार के होटल हैं। इसलिए होटल में ठहरने की आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।
कैसे पहुँचे?
फ्लाइट से पाटन आने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट है जो पाटन से 120 किमी. की दूरी पर है। यदि आप ट्रेन से आने का प्लान बना रहे हैं तो पाटन में ही रेलवे स्टेशन है। सड़क मार्ग से भी पाटन दूसरे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आपको पाटन आने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी।
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