दुनिया के सबसे प्राचीनतम देशों में से एक है हमारा देश भारत। जहाँ पर प्राचीनतम सभ्यता, भाषा, संस्कृति से आज तक दो-चार हुआ जाता है। भारत अपने यहाँ प्राचीन और रहस्यमय मंदिरों से भी भरा हुआ है। प्राचीन मंदिरों से जुड़ी कई मुककथाएँ हैं, जो हमारी संस्कृति की महानता दर्शाती है।ऐसा ही एक शिव मंदिर स्थित है गुजरात में- 'स्तंभेश्वर महादेव मंदिर', जिसके बारे में मान्यता है कि यह दिन में दो बार अदृश्य हो जाता है। इस मंदिर का उल्लेख स्कन्द पुराण में भी मिलता है। आज के समय हालाँकि भगवान शिव का यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध नहीं है। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न एक आर्टिकल में इसी पर चर्चा की जाए!
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की जानकारी स्कंद पुराण से मिलती है
हिंदू धर्म में 18 पुराण हैं। उन में से एक है, स्कंद पुराण, जिसमें इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। स्कन्द पुराण के मुताबिक दैत्य तारकासुर का वध करने के बाद शिव पुत्र कार्तिकेय को चिंता थी कि शिव जी के भक्त की हत्या से पाप चढ़ेगा। उन्होंने देवताओं से पूछा कि वे पाप से कैसे बचेंगे। इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें कहा- 'निर्दोषों के खून पर अपना पालन-पोषण करने वाले किसी दुष्ट को मारना कोई पाप नहीं है। फिर भी, यदि आप दोषी महसूस करते हैं, तो इसका प्रायश्चित करने के लिए यहाँ शिव लिंग स्थापित करके पूजा करें।' इसके बाद भगवान कार्तिकेय ने अपनी माता पार्वती और अन्य देवताओं के समक्ष पूरे अनुष्ठान के साथ तीन अलग-अलग स्थानों पर शिव लिंग स्थापित किया। स्तंभेश्वर उन तीन तीर्थस्थलों में से एक है जहाँ ये शिव लिंग स्थापित किए गए थे।
इस मंदिर को गायब मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और देश भर से से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कई किंवदंतियाँ हैं
कहा जाता है कि श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामना पूरी होती है । यह तीर्थ भारतीय राज्य गुजरात के भरुच जिले के जंबुसर तहसील में है। यह मंदिर कावी-कंबोई समुद्र तट पर स्थित है। मान्यता है कि यह समुद्र स्वयं दिन में कम-से-कम दो बार शिवलिंग पर अभिषेक करता है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के अदृश्य होने का कारण
दोस्तों यह मंदिर समुद्र तट से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित है। जिसके कारण समुद्र में जब उच्च ज्वार उठता है तो यह डूब जाता है। समुद्र में ज्वार उठने का यह क्रम दिन में दो बार होता है। इसलिए मंदिर पानी से ढक जाने के कारण दिखना बंद हो जाता है। हालाँकि आपको बताना जरूरी है कि मंदिर का गर्भगृह ही इस दौरान समुद्र के पानी में पूरा डूब जाता है। मंदिर का शीर्ष वाला हिस्सा 'गुंबज' पानी के ऊपर रहता है। जैसे-जैसे जल-स्तर घट कर नीचे जाता है, मंदिर पुनः आँखों के समक्ष होता है।
मंदिर का अदृश्य होना और फिर प्रकट होना देखना है?
अगर आप गुजरात के स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का दर्शन करने जाने की प्लानिंग कर रहे हैं। यह प्लानिंग ऐसे बनाइये कि आप मंदिर का लुप्त होना और पुनः प्रकट होना आँखों से देख सकें। आप यहाँ एक पूरा दिन ले कर आ सकते हैं। सुबह में चूँकि ज्वार कम उठता है तो इस समय मंदिर को पूरा देख सकेंगे। मंदिर में प्रवेश करने के बाद मंदिर के शांत वातावरण में ध्यान जरूर करें। दिन में आप मंदिर के आसपास टहल सकते हैं। यहाँ से आधा किमी दूर पार्किंग क्षेत्र के पास कई रेस्तरां हैं, जहाँ आप दिन का लंच कर सकते हैं। मंदिर का एक आश्रम है, जहाँ श्रद्धालुओं दोपहर का भोजन मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। शाम होते-होते मंदिर के जलमग्न होते हुए खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं।
मंदिर के आश्रम में रुक सकते हैं
इस मंदिर का अपना एक आश्रम भी है। अगर आप इस आश्रम में रात भर रुकते हैं तो कई फायदे हैं। आश्रम में घूमते हुए सूर्यास्त देख सकते हैं। आश्रम में भक्तों के लिए का मुफ्त भोजन परोसा जाता है। यह भोजन आश्रम के ही अंदर खेती से उगाई गई सामग्री से तैयार होती है। आश्रम बुक करने के लिए मंदिर के आधिकारिक वेबसाइट पर एक विंडो बनाया गया है। दिये गए हाइपरलिंक पर क्लिक करके मांगी गई जानकारी दे कर बुकिंग के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
कैसे पहुँचें यहाँ?
गुजरात के श्री स्तंभेश्वर महादेव शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहले कावी कंबोई पहुँचना होता है। इसके लिए वड़ोदरा शहर से 53 किलोमीटर बस या कार या टैक्सी आदि के माध्यम से जंबुसर आना पड़ता है। जहाँ से तीर्थ की दूरी 30 कि.मी. है।
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