गूगल मैप पर न मिलने वाला अरुणाचल प्रदेश का ये गाँव आपका मन मोह लेगा

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घूमने के लिहाज से नाॅर्थ-ईस्ट बहुत खूबसूरत है और यहाँ के लोग भी बहुत मिलनसार हैं। विडंबना देखिए कि उत्तराखंड और हिमाचल में भीड़ के बावजूद लोग वहीं जाना पसंद करते हैं। जो नाॅर्थ-ईस्ट नहीं गए उन्होंने अभी खूबसूरती देखी ही कहाँ है? जो एक बार यहाँ आता है वो बार-बार फिर यहीं आता है। नाॅर्थ-ईस्ट के बड़े और फेमस शहरों में तो लोग आते रहते हैं लेकिन नाॅर्थ-ईस्ट का ज्यादातर हिस्सा अनछुआ ही है। आज हम एक ऐसे ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में आपने सुनना तो दूर की बात है, गूगल मैप पर भी वो जगह आपको नहीं मिलेगी। आज आपको अरुणाचल प्रदेश के बाम गाँव के सफर पर ले चलते हैं जिसके बारे में गूगल को भी नहीं पता।

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बाम गाँव अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले में आता है। ये गाँव बसर से सिर्फ 7 किमी. की दूरी पर है। इस गाँव में 60 परिवार रहते हैं। बसर की तरह यहाँ के लोग भी गालो जनजाति से आते हैं। गालो जनजाति के लोग अपनी कला और युद्ध शैली के लिए भी जाने जाते हैं। ये लोग लंबे समय से शिकार करते आ रहे हैं, वो परंपरा आज भी बनी हुई है। ये लोग आबोतानी के वंशज हैं। इस गाँव में ताबोम बाम नाम के एक शख्स रहते हैं। वो गालो जनजाति से आइएस ऑफिसर बनने वाले पहले व्यक्ति हैं। वो अरुणाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी के पद पर रहने के बाद रिटायर हुए। उन्होंने यहाँ एक स्कूल खोला है जिसमें गालो आदिवासी के बच्चे पढ़ने आते हैं।

क्या करें?

बाम में भी गालो जनजाति के लोग रहते हैं इसलिए यहाँ भी बच्चे के नाम रखने का काॅन्सेप्ट बसर की तरह ही है। जिसमें बच्चे का नाम पिता के नाम के आखिरी दो अक्षरों से शुरू होता है। बसर एक कस्बा है लेकिन बाम एक छोटा-सा गाँव है। जहाँ प्रकृति के खूबसूरत नजारे हैं, पहाड़, जंगल और नदियाँ। इससे भी खूबसूरत और प्यारे हैं यहाँ के लोग। इस गाँव के लोग बड़े प्यार से स्वागत करते हैं। बाम में बसर की तरह वो नाम नहीं है जिनको ट्रेवल स्पाॅट जैसा कुछ कहा जाए। मगर ऐसा भी नहीं है कि बाम में ट्रेकिंग नहीं कर सकते, नदी किनारे नहीं बैठ सकते। इन सारी खूबसूरती के बीच ही तो बाम बसा है।

1- गाँव की सैर

घुमक्कड़ी में कहा जाता है जिस जगह पर जाएँ। उसके बारे में अच्छे से जानें। इसका सबसे अच्छा तरीका है पैदल उस जगह को नापा जाए। बाम गाँव तो बहुत बड़ा नहीं है इसलिए इस गाँव को पैदल नापने में दिक्कत भी नहीं आएगी। लकड़ी और घास-फूस के बने घरों को देखकर पता चलता है बाम के लोग प्रकृति से बहुत अच्छे-से जुड़े हुए हैं। यहाँ लोग उठते भी बहुत जल्दी हैं और रात में सो भी बहुत जल्दी जाते हैं। यहाँ के लोग सुबह 5 बजे तक उठ जाते हैं और रात में 9 बजे तक अपने बिस्तर में चले जाते हैं। जब यहाँ बारिश ज्यादा होती है तो लाइट नहीं रहती है। इसके अलावा गाँव की सैर में यहाँ के लोगों से बात करनी चाहिए। इस गाँव में लोगों के पास फाॅर्म हैं। आप उनका हाथ भी बँटा सकते हैं। कुछ ही घंटों में ये गाँव और यहाँ के लोग आपको अपने लगने लगेंगे।

2- एडवेंचर के शौकीन

बाम गांव के चारों तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। आप जितने दिन इस गाँव में रहें। हर रोज आपको इन पहाड़ों पर ट्रेकिंग करनी चाहिए, जिसके दो फायदे हैं। पहले तो आपका एडवेंचर हो जाएगा और दूसरा आप इस जगह के बारे में अच्छे-से जान पाएंगे। इन घने जंगल वाले पहाड़ों में आपको खूबसूरत झरने भी मिलेंगे जो आपके ट्रेक और खूबसूरत बना देंगे। पहाड़ की चोटी पर पहुँचकर दूर-दूर तक आपको हरियाली ही हरियाली दिखाई देगी। वहाँ से बाम को आप एक नजारे में देख पाएँगे।

3- ग्रामीण परिवेश को जिएँ

घुमक्कड़ी में ऐसा बहुत कम होता है कि हम उस जगह को देखते ही नहीं, जीते भी हैं। अरुणाचल प्रदेश का ये गाँव वही मौका देता है। इस गाँव के लोग अपने कल्चर और परंपरा के बारे में बड़े गर्व से बताते हैं। यहाँ के लोग आजीविका के लिए खेती करते हैं। इसके अलावा मछली भी पकड़ते हैं। मछली को यहाँ बेचा नहीं जाता सिर्फ खाते हैं। बाम गाँव के पास में ही एक गाँव है, ईगो। इस गाँव में एक नदी बहती है जहाँ बाम गाँव के लोग मछली पकड़ने जाते हैं। यहाँ पारंपरिक तरीके भाला और तीर से मछली को पकड़ा जाता है। ये लोग प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने में विश्वास रखते हैं। इनको जितनी की आवश्यकता होती है उतनी ही मछली पकड़ते हैं। आप बाम आएँ तो इन लोगों के साथ ईगो गाँव जरूर जाएँ।

4- बाम का जायका

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कोई भी जगह हो वहाँ के खाने स्वाद जरूर लेना चाहिए। बाम जैसे गाँव में आएँ तो लोकल फूड तो बनता ही है। यहाँ आपको खाना किसी थाली में नहीं बल्कि केले के पत्ते में दिया जाएगा। अगर आप नाॅन-वेजेटेरियन हैं तो आपको तो यहाँ मजा ही आ जाएगा। यहाँ पर फिश करी, चिकन, बीफ आपको थाली में जरूर मिलेंगे। अगर आप वेजेटेरियन हैं तो आपको चावल तो मिल ही जाएगा। अगर आप मिर्च-मसाला खाना पसंद करते हैं तो शायद आपको यहाँ का खाना पसंद न आए। क्योंकि यहाँ खाने में तेल और मसाले नाम के मात्र के होते हैं। सुबह आपका स्वागत यहाँ की फेमस लाल चाय से किया जाता है। इसके अलावा आप यहाँ की लोकल बीयर पोका भी जरूर पिएँ।

परमिट लेना ना भूलें

अरुणाचल प्रदेश आने का सोचें तो ये सबसे जरूरी चीज है जो आप सबसे पहले करें। क्योंकि अगर आपके पास परमिट नहीं होगा तो बाम तो दूर की बात अरुणाचल प्रदेश में घुस भी नहीं सकते। इस लिए यहाँ आने के लिए इनरलाइन परमिट होना बहुत जरूरी है। आप ये परमिट ऑनलाइन भी ले सकते हैं। अगर आप ऑनलाइन नहीं ले पाए तो लिकाबली चेकपोस्ट पर भी ले सकते हैं। परमिट के लिए आपके पास आधार काॅर्ड जरूर होना चाहिए। अगर आपके पास पास आधार काॅर्ड नहीं होगा तो अरुणाचल प्रदेश जाने के बारे में भूल जाइए। इसलिए कुछ भी भूलिए आधार काॅर्ड ले जाना न भूलें।

कहाँ ठहरें?

वैसे तो अरूणाचल प्रदेश के इस अनछुए गाँव में आप कभी भी आ सकते हैं लेकिन बारिश के दिनों में आना बेवकूफी होगी। तब आप एक कमरे में बैठकर ही खूबसूरत देख पाएँगे। यहाँआने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जनवरी और मार्च से जून तक का है। यहाँ ठहरने की भी ज्यादा दिक्कत नहीं है। बसर में सरकारी गेस्ट हाउस हैं जिसमें आप ठहर सकते हैं। इसके अलावा बाम से 50 किमी. की दूरी पर आलो है। जहाँ छोटे-छोटे बहुत सारे होटल हैं जहाँ आप ठहर सकते हैं। लेकिन मेरे ख्याल से आपको बाम में लोकल लोगों के साथ रहना चाहिए। इस गाँव में कोई होमस्टे तो नहीं है लेकिन अगर आप यहाँ के लोगों से कहेंगे तो वो जरूर आपको अपने घर में जगह देंगे।

कैसे पहुँचे?

बाम, बसर से सात किमी. की दूरी पर है। इसलिए आपको बसर तो जाना ही होगा। जो रास्ता बसर को जाता है वही बाम गाँव तक पहुँचाएगा। अच्छी बात ये है कि बसर के बारे में जानकारी गूगल मैप दे देता है। सड़क थोड़ी ऊबड़-खाबड़ है इसलिए अगर आप अपनी गाड़ी से आ रहे हैं तो थोड़ा संभलकर चलें। क्योंकि थोड़ी-सी भी लापरवाही आपके लिए खतरा बन सकती है।

ट्रेन सेः अगर आप बाम ट्रेन से जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन असम का डिब्रूगढ़ है। डिब्रूगढ़ से बाम तक की दूरी लगभग 155 किमी. है। डिब्रूगढ़ से आप टैक्सी बुक करके बाम पहुँच सकते हैं।

फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से आने की सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट डिब्रूगढ़ है। डिब्रूगढ़ से बाम आप टैक्सी बुक करके जा सकते हैं। इसके अलावा सड़क मार्ग से आप खुद की गाड़ी से भी बाम पहुँच सकते हैं।

क्या आपने गूगल मैप पर न मिलने वाली ऐसी ही किसी जगह की यात्रा की है? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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