दक्षिण भारत के कर्नाटक में मैंगलोर के पास स्थित एक ग्राम है गोकर्ण। गोकर्ण की छोटी सी पावन नगरी में छोटे-बड़े अनेक मंदिर एवं तीर्थ स्थल मौजूद हैं। गोकर्ण एक प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है। यह एक ओर समुद्र तथा तीन ओर पर्वतों से घिरा हुआ है। पुराणों में इस स्थान का उल्लेख शतश्रृंगी के नाम से किया गया है, जिसका अर्थ है, सौ सींगों के समान पहाड़ियों से घिरा स्थान।
वैसे, यहां के खूबसूरत बीच ढेरों पर्यटकों को लुभाते हैं। कुल मिलाकर यहां के बेहतरीन प्राकृतिक माहौल में धार्मिक आस्थाओं को गहराई से अनुभव किया जा सकता है।
गोकर्ण के पवित्र स्थल
महाबलेश्वर मंदिर
महाबलेश्वर मंदिर गोकर्ण का मुख्य मंदिर है। इसके भीतर आत्मलिंग स्थापित है। आत्मलिंग को चाँदी के आवरण से ढका है जिसके ऊपर स्थित छिद्र के द्वारा आप लिंग को स्पर्श कर सकते हैं। विशेष समयकाल में आप आवरण विहीन लिंग के भी दर्शन कर सकते हैं।
यह गोकर्ण का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है। मंदिर के भीतर देवी एवं गणेश के भी विग्रह हैं। मंदिर के समीप मुझे एक वीरगल भी दृष्टिगोचर हुआ। वीरगल का अर्थ है, वीरों की स्मृति में स्थापित शिलास्तंभ। एक ओर स्थित अतिरिक्त प्रवेशद्वार के बाहर भी कुछ वीरगल थे जिस पर नाग शिल्प थे।
मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरुषों को केवल धोती एवं उपवस्त्र धारण करना पड़ता है। स्त्रियाँ कोई भी भारतीय परिधान धारण कर सकती हैं।
गोकर्ण का एक और महत्त्वपूर्ण मंदिर महागणपति मंदिर है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी ने यहां शिवलिंग की स्थापना करवाई थी, इसलिए यह उनके नाम पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।
प्राकृतिक सौंदर्य और आकर्षण
इस स्थान से हिन्दू धर्म के लोगों की गहरी आस्थाएं जुड़ी हैं, साथ ही इस धार्मिक जगह के खूबसूरत बीचों के आकर्षण से भी लोग खिंचे चले आते हैं। अपने ऐतिहासिक मंदिरों के साथ सागर तटों के लिए भी यह स्थान मशहूर है। यहां माना जाता है कि शिवजी का जन्म गाय के कान से हुआ और इसी वजह से इसे गोकर्ण कहा जाता है। साथ ही एक धारण के अनुसार कि गंगावली और अघनाशिनी नदियों के संगम पर बसे इस गांव का आकार भी एक कान जैसा ही है। इस कारण से लोगों की यहां काफी आस्था है और यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां देखने लायक कई मंदिर हैं। वैसे, यहां के खूबसूरत बीच ढेरों पर्यटकों को लुभाते हैं। कुल मिलाकर यहां के बेहतरीन प्राकृतिक माहौल में धामिर्क आस्थाओं को गहराई से अनुभव किया जा सकता है।
पश्चिमी घाटों और अरब सागर के बीच बसा गोकर्ण जहां अपने मंदिरों के चलते धार्मिक आस्थाओं का केन्द्र है, तो यहां के बीच भी कुछ कम लुभावने नहीं हैं।
ओम बीच
इस बीच का आकार कुदरती तौर पर ही ओम जैसा है, इसलिए इसे ओम बीच के नाम से जाना जाता है।
कडले बीच
खजूर के पेड़ों से घिरे इस खूबसूरत बीच पर आप सूरज के डूबने व उगने, दोनों का ही आनंद ले सकते हैं।
गोकर्ण में घुमने लायक स्थान
- बिदूंर
- सोंडा
- भटकल
- बनवासी
यह सभी जगह गोकर्ण से मात्र 100 से 150 km की दूरी तक पड़ते हैं।
कैसे पहुंचें?
गोकर्ण, राज्य के कई प्रमुख शहरों जैसे - मडगांव, दाबोलिम, बंगलौर और मंगलौर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक सरकार द्वारा चलवाई जाने बसें यहां आसानी से मिल जाती है जो राज्य के कई शहरों तक सस्ती और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करती है।
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