उत्तराखंड बेशुमार खूबसूरती का घर है। यहाँ पहाड़ों का चैन है तो ठंडी हवाओं की मस्ती भी है। उत्तराखंड हमेशा से घुमक्कड़ों के लिए उनके पसंदीदा राज्यों में से रहा है। लेकिन हाल के सालों में बढ़ते टूरिज्म की वजह से अब उत्तराखंड में ऐसी बहुत कम जगहें बची हैं जो अनछुई हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड में आज भी कुछ संस्थाएँ और जगहें ऐसी हैं जो अपनी संस्कृति और खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए भरपूर प्रयास कर रहीं हैं। इनमें से एक जगह है उत्तराखंड के गढ़वाल का बेहद खास गोट विलेज।
गोट विलेज
उत्तराखंड के गढ़वाली पहाड़ों के गोद में बसा गोट विलेज भारतीय टूरिज्म की दुनिया में किसी अजूबे से कम नहीं है। स्थानीय लोग इसको बकरी गाँव के नाम से भी पुकारते हैं। सुनने में ये नाम आपको अजीब लग सकता है लेकिन उत्तराखंड का ये गाँव भारत में सस्टेनेबल टूरिज्म के कॉन्सेप्ट को नई ऊँचाइयों तक पहुँचने का काम कर रहा है। क्योंकि ये गाँव नाग टिब्बा ट्रेक के रास्ते में पड़ता है इसलिए यहाँ ट्रेक करने वालों के लिए ठहरने की बढ़िया जगह है। गोट विलेज असल में तीन फार्मस्टेज का समूह है जहाँ सस्टेनेबल तरीके से चीजें की जाती हैं। केवल यही नहीं गोट विलेज के जरिए गढ़वाल की संस्कृति और शहरों की ओर लगातार कूच कर रही आबादी को भी कम किया जा रहा है। रोचक बात ये है कि उत्तराखंड का ये गोट विलेज अब पर्यटकों को खूब पसंद आने लगा है।
कैसे हुई शुरुआत?
इस प्रोजेक्ट की शुरआत 2013 में हुई थी जब रूपेश राय को उनकी कंपनी द्वारा किसी काम के सिलसिले में उत्तराखंड भेजा गया था। रूपेश को उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ित इलाकों में सर्वे के काम के लिए भेजा गया था। उत्तराखंड के भयावह रूप को देखकर रूपेश ने कुछ करने की ठानी। रूपेश जानते थे कि उत्तराखंड में पर्यटन काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में पर्यटन पर रोक लगाना नामुमकिन है। इसलिए उन्होंने मालदीव से भूटान में अपनाए गए सस्टेनेबल टूरिज्म मॉडल पर विचार करना शुरू किया। इस मॉडल को आजमाने के लिए पहला गाँव नाग टिब्बा चुना गया। गोट विलेज में फार्मिंग करने के यूरोपीय तरीकों का इस्तेमाल किया जाने लगा। रूपेश के अपनी टीम के साथ इसपर काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे ग्रीन पीपुल (रूपेश और उनकी टीम का नाम) की कड़ी मेहनत का असर दिखाई देने लगा। जिसके वजह से नाग टिब्बा का वो गाँव जिसको एक समय पर भूतिया गाँव के नाम से जाना जाता था, आज उत्तराखंड के जाने माने इको टूरिज्म स्थानों में से है।
प्रॉपर्टी के बारे में
गोट विलेज उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से है। इन फार्मस्टेज में आपको एकदम साधारण जिंदगी जीने का मौका मिलेगा। खास बात ये भी है कि इस प्रॉपर्टी में बिजली की सुविधा नहीं है। सभी फार्मस्टेज में सोलर एनर्जी से चलने वाले उपकरण लगाए गए हैं जिससे जरूरत पड़ने पर सारा काम किया जा सकता है। फार्मस्टेज का कॉमन एरिया, किचन और बाकी सभी जगहों पर सौर्य ऊर्जा पर निर्भर रहना होता है। इस प्रॉपर्टी से गढ़वाली पहाड़ों के विहंगम दृश्य दिखाई देते हैं जिनको देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा।
गोट विलेज के कमरों को 1,000 साल पुरानी कोटी बनल तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है जो गढ़वाली इलाके में फेमस है। सभी कमरों में आपको सोने के लिए बिस्तर, बांस से बनी छोटी कुर्सी और पहाड़ों का आकर्षक नजारा मिलता है जो आपकी वेकेशन को लाजवाब बना देगा। इन फार्मस्टेज से होने वाली कमाई से गाँव के सभी जरूरी काम किए जाते हैं। यदि आप गोट विलेज में ठहरना चाहते हैं तो आपको 2,250 रुपए देने होंगे। यदि आप उत्तराखंड आने का प्लान बना रहे हैं तो आपको गोस्ट विलेज की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
क्या करें?
गोट विलेज केवल एक फार्म स्टे नहीं है। असल में ये जगह पूरी दुनिया है जो बाहरी मोह माया से एकदम परे है। गोट विलेज में आपको कई नायाब और रोचक चीजें करने का मौका मिलेगा जो आपकी जरूर पसंद आएंगी।
1. स्लो ट्रेवल
गोट विलेज में आकर आप स्लो ट्रेवल को महसूस करने का मजा ले सकते हैं। यदि आप गोट विलेज आ रहे हैं तो आपको कम से कम 4 से 5 दिनों का समय लेकर आना चाहिए। इस फार्म स्टे में आपको रिलैक्स करना चाहिए। बाहरी दुनिया की चिंता और सभी परेशानियों को किनारे करके आपको सुकून मिलेगा। गोट विलेज में आपको जल्दीबाजी करने की भी कोई ज़रूरत नहीं है। आप अपना समय लेकर अपने सभी काम कर सकते हैं।
2. ऑर्गेनिक फार्मिंग
गोट विलेज में ऑर्गेनिक तरीकों से खाना उगाया जाता है। फलों और सब्जियों को उगाने के लिए ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे धरती को किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो। होस्ट विलेज में आप ऑर्गेनिक फार्मिंग करना सीख सकते हैं। क्योंकि यहाँ ज्यादातर काम स्थानीय लोगों द्वारा किया जाता है इसलिए आपको उनसे काफी कुछ सीखने के लिए मिलेगा।
3. इको टूरिज्म
बढ़ते टूरिज्म की वजह से वातावरण में प्रदूषण को नियंत्रित रखना मुश्किल होता जा रहा है। लेकिन अच्छी बात ये है कि आज कुछ जगहें ऐसी हैं जो सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली तरीकों से टूरिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं। गोट विलेज में भी इको टूरिज्म अपनाया गया है। घुमक्कड़ी की वजह से पेड़ पौधों को किसी तरह का नुकसान ना हो इसका खास ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा यहाँ इस्तेमाल की जाने बिजली भी सूरज की रोशनी से बनाई जाती है। सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल प्रदूषण को काफी हद तक कम करने ने मददगार साबित होता है।
4. नाग टिब्बा ट्रेक
यदि आप नाग टिब्बा के नजदीक वाले गोट विलेज में ठहरने जाने का में बना रहे हैं तो आपके पास अच्छा मौका है कि आप इस ट्रेक पर भी जा सकते हैं। गोट विलेज नाग टिब्बा ट्रेक के रास्ते में पड़ता है इसलिए आपको परेशानी भी नहीं आएगी। गोट विलेज से नाग टिब्बा चोटी की दूरी ज़्यादा नहीं है इसलिए यदि आपको ट्रेकिंग का शौक है तो आपको इस ट्रेक पर जरूर जाना चाहिए। गोट विलेज से नाग टिब्बा की दूरी मात्र 4 किमी. है और रास्ता भी मुश्किल नहीं है।
क्या खाएँ?
गोट विलेज में खाने पीने के लिए आपको तमाम ऑप्शन्स मिल जाएंगे। यदि आप किसी पांच सितारा लग्जरी रेस्तरां की उम्मीद कर रहे हैं तब आपको परेशानी हो सकती है। गोट विलेज में मिलने वाले सभी फल और सब्जियां वहीं फार्मस्टे में उगाई जाती हैं। इन्हें उगाने के लिए भी एकदम ऑर्गेनिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें किसी भी प्रकार का केमिकल या कोई भी ऐसी चीज जिससे फसल को नुकसान पहुँचे, का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। गोट विलेज में निश्चित रूप से आपके खानपान का बढ़िया ख्याल रखा जाता है।
कब जाएँ?
पहाड़ों पर जाने के लिए सबसे सही समय गर्मियों का होता है। जब मैदानी इलाकों में चिपचिपी गर्मी पद रही होती है उस समय पहाड़ों पर मौसम खुशनुमा बना रहता है। यदि आप उत्तराखंड के गोट विलेज में आना चाहते हैं तो आप गर्मी में आ सकते हैं। वैसे यदि आप चाहें तो सर्दियों में भी गोट विलेज आ सकते हैं। बर्फीली पहाड़ियों के बीच स्थित इन फार्म स्टेज में आप ठंड का मजा ले सकते हैं। बरसात के मौसम में अक्सर पहाड़ खतरनाक हो जाते हैं। लेकिन यदि आप सावधानी बरतें तो आप अगस्त में भी गोट विलेज आ सकते हैं।
कैसे पहुँचे?
यदि आप गोट विलेज आना चाहते हैं तो उसके लिए आपके पास तमाम रास्ते हैं। गोट विलेज उत्तराखंड में कई जगहों पर है जिसमें नाग टिब्बा, कनाताल, दायरा बुग्याल, अनूठा अंझूठ, कुमली, उर्गम घाटी और पिथौरागढ़ शामिल है। उत्तराखंड आने के लिए सबसे सही तरीका वाया रोड है। यदि आप दिल्ली की ओर से आ रहे हैं तो आप उत्तराखंड पर्यटन की बस लेकर गोट विलेज के नजदीक आ सकते हैं। वहीं यदि आप चाहें तो अपनी गाड़ी से भी गोट विलेज आ सकते हैं। हालांकि इनमें से कुछ जगहों पर पहुँचने के लिए आपको ट्रेकिंग करनी पड़ सकती है।
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