भारत की सरज़मीं की बात ही कुछ ऐसी है कि यहाँ हर तरह के मौसम, हर तरह की रौनक दिख जाती है।
मगर ऐसा क्यों है कि लहलहाते समंदर और सुनहरे रेतीले समुद्रतटों पर घूमने के नाम पर लोगों को गोवा ही याद आता है। आखिर गुजरात से लेकर केरल तक और तमिलनाडु से लेकर उड़ीसा तक की भारत की आधी से ज़्यादा सीमारेखा समुद्र से लगकर ही है।
तो आज मैं भारत की पश्चिम में गोवा जैसे जाने-माने समुद्रतटों की नहीं बल्कि भारत के पूर्ती समुद्रतटों की खूबसूरती का बखान करूँगा। आखिर ७५०० किलोमीटर लम्बे इस तटवर्ती इलाके पर भी तो कुछ ऐसे समुद्रतट होंगे जो खूबसूरती में गोवा को टक्कर देते हों।
गोपालपुर बीच
भारत के कुछ बेहतरीन बीच
सुबह का सूरज देखना है तो चले आओ उड़ीसा। यहाँ के गोपालपुर बीच पर दूर-दूर तक फैला नीला समंदर और फलक से उगते नारंगी सूरज का नज़ारा देखते ही बनता है। सुबह सुनहरे आसमान के तले हलकी-हलकी लहरों में अपनी कश्ती खेते मछुआरे देखकर आप पूछेंगे कि इस जादुई बीच पर इतने कम सैलानी क्यूँ आते हैं ?
ज़रूर देखें और करें : बेहरामपुर में टस्सर सिल्क की साड़ियों की खरीदारी; चिलिका झील पर बर्ड वाचिंग ; तप्तापानी के सल्फर वाले गरम पानी के सोते में डुबकी ; और तारतारिणी मंदिर में दर्शन।
फ्लाइट का खर्चा : इस बीच से 180 किलोमीटर दूर भुबनेश्वर हवाई अड्डा है। नै दिल्ली से भुवनेश्वर आने-जाने का फ्लाइट का किराया लगभग 10,000 रुपये है।
घूमने के लिए सबसे बढ़िया समय : अक्टूबर से मार्च के महीने
चांदीपुर
उड़ीसा के बालेश्वर जिले में समुद्र के किनारे एक छोटा सा शांत गाँव बसा है, जहाँ के अनोखे बीच पर रोज़ समंदर की लहरें आती हैं और फिर कुछ ही समय बाद जादू से गायब हो जाती है। चढ़ते-उतरते ज्वार की समझ है तो ये अनोखा जादू भी समझ आ जायेगा। जब ज्वार उतरता है तो दूर-दूर तक पानी का एक कतरा भी नहीं दिखता। सिर्फ रेत ही रेत। मगर फिर देखते ही देखते समंदर की लहरें लौट आती हैं। ये बीच इकोलॉजिकल ज़ोन में है, और यहाँ हॉर्स शू प्रजाति के केकड़े खासतौर पर पाए जाते हैं। बीच के आस-पास खूब सारे पेड़ हैं, तो ठंडी-ठंडी हवा में समंदर की ये आंख मिचोली देखने चाँदीपुर बीच ज़रूर आएं।
ज़रूर देखें और करें : रमुना और पंचलिंगेश्वर मंदिरों में दर्शन और नीलगिरि की पहाड़ियों की सैर।
फ्लाइट का खर्चा : यहाँ भी सबसे नज़दीक एयरपोर्ट भुबनेश्वर में है। मुंबई से भुबनेश्वर आने-जाने का खर्च लगभग 12,000 रुपये है।
जाने का सही समय : अक्टूबर से मार्च के महीने
रामकृष्ण बीच
आँध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम के इस बीच का नाम रामकृष्ण मिशन की तर्ज़ पर पड़ा है। शहर से नज़दीक और पास ही में बड़े से काली मंदिर होने की वजह से यहाँ शाम को लोगों की खूब भीड़ उमड़ती है। साफ़-सुथरे बीच पर ठेले और फेरीवाले तरह-तरह की खाने की चीज़े बेचते रहते हैं।
ज़रूर देखें और करें : सबमरीन म्यूजियम, काली मंदिर, वूडा पार्क, मत्सयदर्शिनी और वॉर मेमोरियल जैसी देखने लायक जगहें बीच के पास ही हैं।
फ्लाइट का खर्चा : नयी दिल्ली से विशाखापट्टनम तक फ्लाइट का खर्च लगभग 14,000 रुपये होगा।
जाने का सही समय : अक्टूबर से मार्च के महीने
ऋषिकोंडा
विज़ाग से 20 किलोमीटर दूर ऋषिकोंडा बीच रामकृष्ण बीच से थोड़ा छोटा है, मगर यहाँ आपको ज़्यादा सुकून और शांति मिलेगी। शाम की चुप्पी में बीच पर फैली सुनहरी रेत पर पैर पसारे जब बैठे होंगे, तो ताड़ और आम के जंगलों से आती पक्षियों के घर लौटने की चहचहाट का मधुर संगीत सुनने को मिलेगा।
इस बीच पर पहले सिर्फ झाड़-झंकाड़ उगे हुए थे, मगर जैसे ही यहाँ के अधिकारियों को ऋषिकोंडा की खूबसूरती की समझ हुई, उन्होंने ये बीच बिलकुल साफ़ करवा दिया। बंगाल की खाड़ी के साफ़ पानी में आप पैरासैलिंग और सर्फिंग का आनंद भी ले सकते हैं।
ज़रूर करें और देखें : कम्बलकोण्डा वन्यजीव अभयारण्य और विशाखापट्टनम ज़ू में प्रकृति से और भी ज़्यादा जुड़ाव महसूस करें। कैलाशगिरि मंदिर में दर्शन करें और आईएनएस सबमरीन म्यूजियम में घूमें।
फ्लाइट का खर्चा : नयी दिल्ली से विशाखापट्टनम तक फ्लाइट का खर्च लगभग 14,000 रुपये होगा।
जाने का सही समय : अक्टूबर से मार्च के महीने
एलियट्स बीच
चेन्नई से 13 किलोमीटर सुर बसंत नाम की जगह से लगकर ये एलियट्स बीच है जो अपनी खूबसूरती की वजह से युवाओं में काफी मशहूर है। यहाँ के स्थानीय लोग इस बीच को बेसी बीच भी कहते हैं। शहर की चिल्ल-पौं से दूर इस समुद्रतट के पास ही अड्यार नदी का मुहाना है।
ज़रूर करें और देखें : अष्टलक्ष्मी मंदिर और वेलांगणी चर्च
फ्लाइट का खर्चा : नयी दिल्ली से चेन्नई तक फ्लाइट का खर्च लगभग 14००० रुपये होगा।
जाने का सही समय : अक्टूबर से मार्च, मगर दिसंबर महीने में मौसम सबसे बढ़िया रहता है।
क्या आप इनमें से किसी बीच पर घूमे हैं ? कैसा लगा ? या इनके अलावा भारत के पूर्वी तटवर्ती इलाकों में सुन्दर समुद्रतटों के बारे में जानते हैं ? कमेंट्स में लिखे। आपसी बातचीत से एक-दूसरे की समझ बढ़ती है।