शिनोन मीरास में कश्मीर के दर्द समुदाय की कालातीत परंपराओं की एक झलक

Tripoto
8th Sep 2023
Photo of शिनोन मीरास में कश्मीर के दर्द समुदाय की कालातीत परंपराओं की एक झलक by Yadav Vishal
Day 1

यदि आपको इतिहास की सभी चीजें पसंद हैं, तो आपको बता दूं कि कश्मीर के मनोरम परिदृश्यों के बीच में, एक नए सांस्कृतिक खजाने ने हाल ही में अपने दरवाजे खोले हैं। शिनोन मीरास, डार्ड समुदाय को समर्पित हाल ही में एक संग्रहालय का उद्घाटन श्रीनगर से लगभग 147 किलोमीटर दूर बांदीपोरा जिले में गुरेज़ घाटी में किया गया हैं। जो कि कश्मीर में शिनोन मीरास समुदाय की गौरवशाली विरासत को संरक्षित करने और उनको बढ़ावा देने के लिए किया गया हैं। यह संग्रहालय दर्द जनजाति के इतिहास को दर्शाता हैं। आपको बता दूं कि शिनोन मीरास पहला केंद्र है जो पूरे डार्ड समुदाय को समर्पित करेगा और जो भाषा वे बोलते हैं वह शिना भाषा हैं, शिना भाषा को समर्पित यह देश का पहला सांस्कृतिक केंद्र है। अभी हाल ही में शिनॉन मीरास का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया।

दर्द समुदाय का इतिहास

इतिहास के पन्नों पर दर्द-शिना जनजातियाँ अजनबी नहीं हैं, उनकी उपस्थिति प्राचीन यूनानियों और रोमनों की कहानियों में गूंजती है। जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि दर्द घाटी में रहने वाले लगभग 38000 लोगों का एक मजबूत समुदाय हैं। जिन्होंने कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में फैले दर्द लोगों ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी अनूठी पहचान और परंपराओं को बरकरार रखा हैं। शिनोन मीरास, जिसका अनुवाद "द होम ऑफ़ डार्ड्स" है, का उद्देश्य डार्ड समुदाय के जीवन के अनूठे तरीके पर प्रकाश डालना है।

संग्रहालय में यह है खास

सेना की ओर से निर्मित संग्रहालय में एक मार्मिक संबंध उजागर होता है, जो प्रदर्शनों के माध्यम से गूंजता है। जहां आपको रेत की कला का एक उत्कृष्ट कृति बहादुर ऑपरेशन एरेज़ का भी वर्णन देखने को मिलेगा, जिसने गुरेज को 1948 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की बेड़ियों से मुक्त कराया था। इसके साथ ही पर्यटक प्रामाणिक साज-सज्जा और सजावट से परिपूर्ण, खूबसूरती से बनाए गए डार्ड घरों को भी देख सकते हैं। इसके अलावा आप संग्रहालय में डिजिटल डिस्प्ले, प्रदर्शनी, गुरेजी जीवन शैली, भाषा अनुभाग, सेना के साथ सहजीवी संबंध, वस्त्र और कलाकृतियां का भी लुप्त उठा सकते हैं। संग्रहालय में 150 लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक खुला एम्फीथिएटर भी है, जो सप्ताहांत के दौरान स्थानीय सांस्कृतिक नृत्य समूहों के प्रदर्शन के लिए किशनगंगा नदी के किनारे स्थापित किया गया है।

Photo of शिनोन मीरास में कश्मीर के दर्द समुदाय की कालातीत परंपराओं की एक झलक by Yadav Vishal


एक अनमोल विरासत का संरक्षण

एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, "यह केंद्र दर्द-शिन आदिवासी समुदाय की गौरवशाली कलात्मक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने और दुनिया को इसकी समृद्ध संस्कृति की झलक प्रदान करने के लिए एक अनूठी श्रद्धांजलि है।" जो कि इस विरासत का संरक्षण तो करेगी ही साथ साथ लोगों तक इस संस्कृति का प्रचार करने और दुनिया के साथ इसकी समृद्ध संस्कृति की झलक साझा करने के लिए एक विशेष योगदान भी करेगी ताकि अधिक से अधिक लोग इस समुदाय को जान पाए।

खुलने का समय: संग्रहालय प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

प्रवेश  टिकट: टिकटों की कीमत उचित है, छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट उपलब्ध है।

पता: शिनोन मीरास श्रीनगर से लगभग 147 किलोमीटर दूर द्रास के सुरम्य शहर में स्थित है।

यह सिर्फ एक संग्रहालय नहीं है, यह अतीत और वर्तमान के बीच एक पुल है। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो अपने कश्मीर ट्रिप पर यहां जाना बिल्कुल भी ना भूलें।

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