![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798652_1670697140709.jpg.webp)
जहां मन को सुकुन और आत्मा मोक्ष मिलें
जहां मंत्रों उत्ताचारण की ध्वनि के बीच करूणवेदनाएं सुनाई दें
जहां कलकल बहता गंगा का पानी तन-बदन को ठंडक देता है तो वहीं चिताओं से उठती आग की लपटे तन-मन को चीर देती है
जहां जीवन खिल उठता है, जहां मृत्यूं की परिभाषा समझ आती है
वो बनारस है, घाटो का शहर बनारस ..
सफर ए बनारस के अगली सुबह हम पहुंचे अस्सी घाट नौका विहार करने, बनारस को मां गंगा की नजर से देखने.
![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798652_1670697140709.jpg)
अस्सी से घाटो की शुरुवात होती है इसलिए अगर आप पुरे 88 घाट घुमना चाहते हैं तो अस्सी से बोटिग की शुरुवात करें. हम दो लोग थे हमने एक प्राईवेट नाव बुक की जिसके के लिए हमने पेय की 1000 रुपय. हालाकि यह कोई फिक्सड प्राईज नहीं हैं, बारगेनिंग करें शायद आप इससे भी कम करा लें. आप चाहे तो यह भी कर सकते हैं कि एक साईड के लिए नाव बुक करें और उसके बाद राजघाट से पैदल घाटों को घुमते हुए करीब से जानते हुए वापिस आस्सी जाएं जो हमे लगा हमें करना चाहिए था ऐसा क्यों आपको आगे बताउंगी. आप चाहे तो एक साईड नौका विहार करने के बाद किसी भी घाट से वापिस बहार बनारस की गलियों में निकल सकते हैं लेकिन ऐसा आप तब करें जब का मकसद केवल और केवल नौका विहार करना हो अगर घाटों को जानना चाहते हैं तो वहां कुछ समय जरूर बिताएं. वहीं आप शेयरिंग में भी नाव बुक करा सकते हैं जो 100 रुपए में हो जाएंगी.
![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798489_img_3455.jpg)
अस्सी से हमने नौका विहार की शुरुवात की और आखिरी घाट नमो घाट जिसे खिडकिया घाट भी कहा जाता है, हाल ही मे इसे रेनोवेट किया गया है क्योंकि यह घाट बहुत दूर था सुनसान था इसलिए लोग यहां आना पसंद नहीं करते थे. जिसके बाद इसे बेहद ही खुबसूरत ढंग से दुबारा बनाया गया और अब यह 88 घाटों में से आर्कषण का एक केंद्र हैं.
यहां पर्यटक सुबह-ए-बनारस की आरती, वाटर एडवेंचर, योगा, और संध्या की गंगा आरती देख सकते हैं साथ ही इस घाट पर गेल इंडिया की तरफ से यह फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी लगाया गया है.
![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798520_img_3523.jpg)
88 घाटों में से दो घाटों को छोड़कर सभी घाटों पर पुजा-आर्चना गंगा आरती होती है लेकिन दो घाट मणिर्कनिका और हरिशचंद्रा गाट पर दाह संस्कार किया जाता है. तो अस्सी घाट से यह सफर शुरु हुआ जो दशाश्वमेध घाट , ललिता घाट , मानमन्दिर घाट , मणिकर्णिका घाट , सिंधिया घाट , अस्सी घाट , राजा घाट , हरिश्चंद घाट , घाट , खिडकिया घाट होता हुआ वापिस अस्सी पर खत्म हुआ. इस दौरान घाटों को तो हम नहीं जान पाएं लेकिन गंगा के नजर से बनारस कैसा दिखता है वो जरूर देखा. जिंदगी की भागदौड़ से दूर, शोर से दूर खुले आसमान के नीचे सुकुन को महसूस किया. यह सन्नटा नहीं शांति थी एक ऐसी शांति जिसमें आप खुद की अतर्मन की आवाजा सुन सकते हैं, खुद से सवाल कर सकते हैं खुद को जान सकते हैं. बनारस आएं तो एक बार यह अनुभव करके जरूर देखें लेकिन हां नौका विहार सुबह सूर्य उगने के वक्त या सूर्य अस्त के वक्त करें ताकि आप उगते सूरज को प्रणाम और डूबते सूरज को अलविदा कह पाएं. हमारी तरह दोपहर के 12 बजे नौका विहार करने की गलती ना करें नहीं तो सूरज की तापिश आपकी शांति में खलल डाल सकती है.
नौका विहार तो हमने कर लिया था लेकिन जैसा कि मैनें कहा घाटोंको नहीं जाना क्योंकि आपकी नाव घाट से दूर होती है कोई आपको घाटों के बारे में बताने वाला नहीं होता इसलिए मन थोड़ा उदास था और इसी उदास मन को खुश करने हम अगले दिन दुबारा पहुंचे बनारस के अस्सी घाट. इस बार फिर घाटों की यात्रा शुरु हुई लेकिन नाव पर नहीं बल्कि पैदल ही लश्र्या था मणिकर्णिका जाना.
![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798559_img_3565.jpg)
इससे पहले हमने देखा तुलसी घाट, जहां बैठकर गुस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखि. यहां हर घाट दूसरे घाट से अलग है ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप सिर्फ एक घाट गये वहां गंगा स्नान कर लिया और हो गया नहीं साहब आपको बनारस के घाट देखने चाहिए तभी आप इस शहर को समझ पाओगे.
दशाश्वमेध घाट बनारस का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध घाट है यहाँ पर स्नान करना बहुत ही पवित्र माना जाता है दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती आपको जरूर देखनी चाहिये. पौराणिक किद्वंती के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी जगह पर दस घोड़ो की बलि देने के लिये इस घाट को बनाया था और यह अनुष्ठान भगवन शिव के स्वागत में किया गया था.
![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798585_1670747435685.jpg)
हर एक घाट को जानते समझते कहीं थोड़ा रूकर कहानी सुनते, कहीं से शांत दिखती गांगा नदी को निहारते, नए लोगों से मिलते बातें करते हम पहुंचे हमारे लक्ष्य मर्णिकर्णिका तक. मणिकर्णिका घाट Ghats of Banaras का एक अलग तरह का घाट है इसका दूसरा नाम महाशमशान घाट भी है.. ऐसी मान्यता है कि यदि इस घाट पर किसी का दाह संस्कार किया जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां चिता की आग कभी शांत नहीं होती लेकिन मन में एक अजीब सी शांति आप जरूर महसूस करते हैं. यहां सब कुछ शून्य सा लगता है मानों सब कुछ ठहर गया है. मन में चल रही हलचलें अपने आप शांत हो जाती है, अपनी परेशानियां नजर नहीं आती, अंदर उठ रहीं आवाजें सुनाई नहीं देती. ऐसा लगता है मानों जीवन की शुरुवात पर हम खड़े हैं बिल्कुल शुन्य खाली मन और अंत को देख उसी खाली मन के साथ.
![Photo of घाटों का शहर बनारस- एक अलौकिक अनुभव by Travel sutra Suman's way](https://cdn1.tripoto.com/media/filter/nl/img/2151868/Image/1675798623_img_3595.jpg)
तो यह थी सफर-ए-बनास में बनारस घाट की हमारी यादें हमारा अनुभव. शब्द कम है इसलिए ऐसे महससू करने एक बार जरूर आएं बनारस
घाटों का शहर बनारस
ReplyForward