भले ही भारत के कुछ इलाकों में मॉनसून दस्तक दे चुका हो, लेकिन अभी भी ज्यादातर इलाके तो धूप तले झुलस रहे हैं, इस गर्मी के बीच क्या आप अभी से उँचें पहाड़, मधुर स्वर में बहती नदियों और सर्द इलाकों के में बारे में सोच कर कहीं खो जाते हैं? तो आपके लिए ये है एक ऐसा गाइड जो आपको इस तपती गर्मी से दूर ले जाएगा और हर तरह के यात्रियों के लिए भारत में घुमने की जगह बतायेगा जहाँ आप गर्मी से दूर जाकर राहत की सांस ले सकेंगे।
1. धर्मशाला
हिमालय से घिरा ये शहर हर बार एडवेंचर करने वाले लोगों को, नई जगह की संस्कृति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को और प्रकृति को करीब से देखने वाले लोगों को अपनी ओर खींचता है। यात्री पहाड़ो पर ट्रेकिंग करने के लिए, बौद्ध धर्म की मोनास्ट्री देखने के लिए और वहाँ का प्रचलति तिब्बती खाने का ज़ायका लेने के लिए अकसर धर्मशाला पहुँचते हैं।
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धर्मशाला से 5 कि.मी.दूर है मैकलोडगंज, एक ऐसा शहर जो जून की गर्मी से बचने के लिए हर तरह से परफेक्ट है। जून में मैकलोड़गंज का मौसम सर्द भरा होता है और इसलिए इसे गर्मी के मौसम में भारत में घूमने की बेस्ट जगह माना जाता है। धर्मशाला दलाई लामा का घर है जिसकी वजह से वहाँ का स्पिरिचुअल माहौल उसे सभी जगह से अलग और बेहतर बनाता है।
कैसे यात्रियों के लिए है धर्मशाला?
अकेले सफ़र करने वाले यात्री या एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के लिए धर्मशाला परफेक्ट डेस्टिनेशन है। कम बजट वाले यात्री भी इस पहाड़ों से घिरे शहर का आनंद ले सकते हैं।
धर्मशाला में कहाँ-कहाँ घूमें?
दलाई लामा मंदिर परिसर में बैठ कर आनंद और शांति मिलेंगी। एडवेंचर करना हो तो त्रियुन्ड ट्रेकिंग पर जाएँ और घूमने-फिरने के लिए एक दिन की काँगड़ा घाटी की ट्रिप भी काफी रोमांचक साबित हो सकती है।
धर्मशाला कैसे पहुँचे?
धर्मशाला से सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन है पठानकोट जो वहाँ से करीब 85 कि.मी. की दूरी पर है। धर्मशाला का नजदीकी एयरपोर्ट है गग्गल जो वहाँ से 13 कि.मी की दूरी पर है।
टिप: धर्मशाला में ऊँचें घुमावदार रास्ते हैं तो अपनी सुविधा के हिसाब से दवाई ज़रूर लेकर जाएँ।
2. केरल
केरल इकलौता शहर है जहाँ मॉनसून का एहसास जून में ही होने लगता है। मुन्नार के पहाड़ों की वो हरियाली और अल्लेप्पी के बैकव़ॉटर जब हल्की बरिश से मिलते हैं तो मौसम रोमांस से भर जाता है। केरल का वैभव वहाँ की विभिन्नता में है। चाय के बागानों से लेकर वाइल्डलाइफ रिज़र्व्स, हाउस बोट्स से लेकर भव्य विला, गॉड्स ऑन कंट्री की ट्रिप का कोई मुकाबला नहीं है। जून में घूमने वाली जगह की लिस्ट में केरल हर यात्री की लिस्ट में मौजूद है।
कैसे यात्रियों के लिए है केरल?
अगर आप भव्यता का एहसास लेना चाहते हैं तो भारत में केरल से बेहतर कोई जगह नहीं है।
केरल में कहाँ-कहाँ घूमें?
चंपाकुलम मूलम रेस केरल की ऐतिहासिक नाव रेस है, अल्लेप्पी के हाउस बोट में रूककर मसाले के बगानों में भी घूम सकते हैं।
केरल कैसे पहुँचे?
तिरुवनन्तपुरम एअरपोर्ट पहुँच कर केरल में घूमना शुरू कर सकते हैं।
टिप: केरल का मौसम थोड़ा अनियमित है तो हर परिस्तिथि के लिए खुद को तैयार रखना ज़रूरी है । अपने साथ कॉटन की शर्ट, सनस्क्रीन, चप्पल, छाता और रेनकोट लेकर ज़रूर जाएँ।
2. कुफ्री
अगर आप स्कीइंग के शौक़ीन है तो कुफ्री आपका इंतज़ार कर रही है। पहली बार स्कीइंग करने वाले यात्रियों के लिए कुफ्री की ढलाने सबसे रोमांचक साबित होती हैं और आमतौर पर स्कीइंग करने वाले यात्रियों के लिए ये उनकी ज़िन्दगी का सबसे बेहतरीन अनुभव होगा। कुफ्री स्की रिसॉर्ट में रहने का मज़ा जून के महीने में बेहतरीन होता है। कई एडवेंचर कंपनियों के साथ मिलकर ये रिसॉर्ट स्कीइंग के लिए छोटा-सा कोर्स भी करवाता है। यहाँ के आकर्षक हिमालयन नेशनल पार्क में कई जानवरों की लुप्त होती प्रजातियाँ जैसे ताहर, ब्राउन बेयर और रहस्मयी स्नो लेपर्ड भी देखने को मिलता है।
कैसे यात्रियों के लिए है कुफ्री?
एडवेंचर स्पोर्ट्स पसंद करने वाले यात्रियों को एक बार कुफ्री ज़रूर जाना चाहिए।
कुफ्री में कहाँ-कहाँ घूमें?
विश्व के सबसे ऊँचे एम्यूजमेंट पार्क कुफ्री फन वर्ल्ड में एक दिन बिता सकते हैं। महासू की ऊँची चोटी से स्कीइंग कर सकते हैं साथ ही चैल में ट्रेकिंग के लिए भी जा सकते हैं।
कुफ्री कैसे पहुँचे?
कुफ्री का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है शिमला जो वहाँ से करीब 11 कि.मी. की दूरी पर है। कुफ्री से सबसे नजदीक चंडीगढ़ एयरपोर्ट है जो वहाँ से 61 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: हमेशा भरोसेमंद एडवेंचर स्पोर्ट्स आयोजक को ही चुनें। ध्यान रखें आपकी सेहत पैसों से बढ़कर नहीं है।
3. लेह
लेह जाने का मतलब है आप किसी दूसरी दुनिया में पहुँच चुके हैं। लेह की यात्रा इस बात का सबूत है कि यात्रा करने से आपकी सभी बीमारियाँ छू-मंतर हो जाती हैं। लेह की जून में एक ट्रिप आपके लिए सबसे यादगार ट्रिप साबित होगी। लेह पहुँचने के लिए आप रोड ट्रिप प्लान कर सकते हैं, बुलेट से यहाँ पहुँच सकते हैं, ट्रेकिंग या राफ्टिंग कर सकते हैं या फिर पहाड़ों के रास्ते लेह के मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों का आनंद लेते हुए भी पहुँच सकते हैं। लेह का अवास्तविक परिदृश्य, वहाँ की भव्य पैंगोंग झील, जहन में उतर जाने वाला खार्दुंग ला पास और वहाँ की शांत हेमिस मोनास्ट्री, ये सभी जगह लेह से जाने के बाद भी आपके अन्दर बस जायेंगे।
कैसे यात्रियों के लिए है लेह?
वो यात्री जो सभी बन्धनों को तोड़कर एक नए अनुभव का एहसास करना चाहते हैं उनकी ज़िन्दगी की सबसे रोमांचक ट्रिप लेह हो सकती है।
लेह में कहाँ-कहाँ घूमें?
लेह के आलीशान रॉयल लेह पैलेस में ठहर सकते हैं। मन को शांत करने वाली लेह की मोनास्ट्री में घूम सकते हैं। सो-कार झील से सूरज को ढलते देखना एक अलग सुकून देगा और नुब्रा घाटी में कैंप में लेटकर तारों को देखते हुए आप एक अलग दुनिया में पहुँच जायेंगे।
लेह कैसे पहुँचे?
लेह कुशोक बकुला रिंपोची एयरपोर्ट लेह का एयरपोर्ट है जहाँ से दिल्ली, श्रीनगर और जम्मू के लिए फ्लाइट मिल जाती है।
टिप: अपनी ट्रिप की प्लानिंग काफी सावधानी से, अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए करें क्योंकि लेह की जलवायु में ढलने में मुश्किलें आ सकती हैं।
4.कुन्नूर
अगर आप ऊटी के बजट निलगिरी घुमने का मज़ा लेना चाहते हैं तो कुन्नूर ज़रूर जाएँ। गर्मियों में घुमने के लिए कुन्नूर आम तौर पर लोगों की पहली पसंद नहीं होती क्योंकि ज्यादा लोगों को इस जगह के बारे में जानकारी नहीं है। कुन्नूर में रहने के लिए जो होटल हैं वो वहाँ रहने वाले लोगों को विरासत में मिले हैं, कुन्नूर का ठंडा वातावरण और हैरान कर देने वाले प्राकृतिक दृश्य यत्रियों को वहाँ जाने के लिए आकर्षित करता है। आप कायाकिंग के लिए जा सकते हैं और वहाँ के चाय के बागानों का आनंद उठा सकते हैं या फिर अपना खाली समय बस वहाँ बैठ कर भी शांति से बिता सकते हैं। जून में घुमने के लिए कुन्नूर एक बेहतरीन जगह है।
कैसे यात्रियों के लिए है कुन्नूर?
जो लोग मन को शांत और संतुष्ट करना चाहते है उन्हें कुन्नूर ज़रूर जाना चाहिए।
कुन्नूर में कहाँ-कहाँ घूमें?
चाय के बागानों में घूम सकते हैं, कुन्नूर की हिडेन वैली में भी घूम सकते हैं। सिम्स पार्क में एक आरामदायक दोपहर बिता सकते हैं और डॉलफिन नोज़ पर सूरज को ढलते हुए देख सकते हैं। तस्वीरें खींचने के लिए कुन्नूर एक बेहतरीन जगह है।
कुन्नूर कैसे पहुँचे?
कोयम्बटूर का पीलामेदू एयरपोर्ट वहाँ का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है जो 42 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: कुन्नूर में तमिल भाषा ही बोली जाती है इसलिए खाने और पीने जैसे ज़रूरी शब्द सीख कर जाएँ
5. रूपकुंड
जब पहाड़ और इंसान आपस में मिलते हैं तो अनेकों कहानियाँ लिखी जाती हैं। इस हिमरूपी झील तक पहुँचने के लिए भव्य हिमालय के पर्वत की चढ़ाई ही इस ट्रिप का सबसे रोमांचक पल है। अगर आप गर्मियों में कुछ ऐसा अनुभव करना चाहते हैं जो आपको आपकी अगली छुट्टियों तक उत्साहित रखे तो रूपकुंड की तरफ अपने कदम बढ़ाइए। रूपकुंड की यात्रा एडवेंचर और सौन्दर्य के साथ बहुत कुछ देती है। रूपकुंड ट्रेकिंग में आप नए दोस्त बना सकते हैं, अपने दोस्ती के रिश्ते को और मज़बूत कर सकते हैं या फिर खुद की खोज में अकेले भी चढ़ाई कर सकते हैं। कारण कोई भी हो रूपकुंड का बर्फीला सौन्दर्य आपको सब कुछ भूलने पर मजबूर कर देगा। गर्मियों के मौसम में जून में घुमने के लिए के लिए रूपकुंड को आम तौर पर एक परफेक्ट जगह माना गया है।
कैसे यात्रियों के लिए है रूपकुंड?
जिन लोगों को चुनौतियों से जूझना पसंद हैं और जिन्हें पहाड़ों से प्यार है उनके लिए यह जगह सबसे सही है।
रूपकुंड में कहाँ-कहाँ घूमें?
मशहूर कंकाल झील तक ट्रेकिंग पर जा सकते हैं या फिर रूपकुंड झील के किनारे ट्रेकिंग भी कर सकते हैं।
रूपकुंड कैसे पहुँचे?
रूपकुंड का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो वहाँ से 170 कि.मी. की दूरी पर है। रूपकुंड से सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो वहाँ से लगभग 195 कि.मी. दूर है।
टिप: रूपकुंड ऐसी जगह पर है जहाँ की आबादी ना के बराबर है इसलिए वहाँ मोबाइल नेटवर्क और कॉल ड्राप की परेशानी आ सकती है। इन इलाकों में सरकारी नेटवर्क कंपनियों का नेटवर्क आता है इसलिए जहाँ भी अच्छा नेटवर्क मिले अपने परिजनों को अपना हाल चाल बताते रहें।
6. कोडैकानल
दक्षिण भारत में कुछ जगहें अपने वातावरण और प्राकृतिक सौन्दर्य से मन को तरो ताज़ा कर देती हैं और उनमें से एक जगह है कोडैकानल।
बेरिजम झील जैसे रत्नइस गाँव को आकर्षक बनाते हैं। बाइरैंट और चेट्टियार पार्क यात्रियों के कोडैकानल की तरफ आकर्षित करते हैं।
कैसे यात्रियों के लिए है कोडैकानल?
जो लोग भारत की बिना मिलावट वाली खूबसूरती देखना चाहते हैं और जो पहली बार दक्षिण की ओर यात्रा कर रहे हैं उनके लिए यह जगह सबसे सही है।
कोडैकानल में कहाँ-कहाँ घूमें?
कोडैकानल सोलर ऑब्जर्वेटरी में ब्रह्माण्ड की सैर कर सकते हैं। थालैयर फॉल्स में वक़्त बिता सकते हैं। गुना की गुफा में अपने अन्दर के एक्सप्लोरर को जगा सकते हैं और कुरिंजी अन्दावर मुरुगन के मंदिर में अपनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
कोडैकानल कैसे पहुँचे?
कोडैकानल से सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट मदुरई है जो 120 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: भयंकर गर्मी में भी कोडैकानल में रात को ठंड लग सकती है। किसी भी मौसम में आप कोडैकानल जाएँ तो अपने पास गर्म कपड़े ज़रूर रखें।
7.सिक्किम
उत्तर पूर्वी भारत की ये प्राकृतिक और जीवंत सुन्दरता हर यात्री के लिए सपना जीने जैसा है। आस पास के सात शहरों में सिक्किम अपने विशिष्ट पहाड़ों और झीलों की वजह से मशहूर है। नाथू ला भारत-चीन सीमा की भव्यता की एक झलक दिखाता है जबकि रुम्टेक मोनास्ट्री बौद्ध धर्मं से रूबरू कराता है और त्सोंगमो झील दूसरी दुनिया से मिलवाता है। इन सभी कारणों की वजह से सिक्किम जून में घुमने की बेहतरीन जगह माना है।
कैसे यात्रियों के लिए है सिक्किम?
यात्री जो लगभग सभी मशहूर जगह घूम चुके हैं और अब एक बेहतर यात्रा की तलाश कर रहे हैं उनके लिए सिक्किम का अनुभव बेहतरीन होगा।
सिक्किम में कहाँ-कहाँ घूमें?
लाचुंग और युमथांग की घाटी में आपका मन शांत हो जायेगा। तीस्ता नदी में आप राफ्टिंग के मज़े ले सकते हैं और खांगचेंजोंगा नेशनल पार्क की हरियाली आपका मन मोह लेगी।
सिक्किम कैसे पहुँचे?
सिक्किम का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है पश्चिम बंगाल का न्यू जलपाइगुड़ी जो गंगटोक से 125 कि.मी. की दूरी पर है। सिक्किम का सबसे करीबी एयरपोर्ट है बागडोगरा जो गंगटोक 124 कि.मी. की दूरी है।
टिप: अपने साथ पासपोर्ट साइज़ फोटो और पहचान पत्र साथ लेकर जाएँ क्योंकि सिक्किम में कई जगह परमिट के लिए पहचान पत्र की ज़रूरत पड़ सकती है।
8. तवांग
ये बर्फीली घाटी अरुणाचल की गोद में बसी हुई है और यात्रियों के कई राज़ छुपाए हुए है। ये घाटी उन यात्रियों के लिए है जो मामूली से बेहतर अनुभव की तलाश कर रहे हैं। तवांग भले ही बर्फ से ढका हो पर यहाँ पहुँच कर आपका दिल ज़रूर पिघल जायेगा। यहाँ के पुराने गाँव और मिलनसार निवासी आपको घर का एहसास करवाते हैं। चाहे गोरिचेन की चोटी तक की चढ़ाई हो या आप शांति से होकर नुरानांग फॉल्स को निहार रहे हों, ये घाटी आपको एडवेंचर और प्राकृतिक सौन्दर्य दोनों का अनुभव करवाती है और इसलिए जून की गर्मी से शांति पाने के लिए बेहतरीन जगह है।
कैसे यात्रियों के लिए है तवांग?
जो कपल्स अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से कहीं दूर कुछ अलग करना चाहते हैं या जो यात्री अकेले सफ़र करना पसंद करते हैं उनके लिए यह जगह सही है।
तवांग में कहाँ-कहाँ घूमें?
तवांग के क्राफ्ट सेंटर में आप मोनपा समाज की संस्कृति के बारे में जान सकते हैं। 1962 भारत और चीन की जंग में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए आप तवांग वार मेमोरियल भी जा सकते हैं। आप भारत की सबसे बड़ी तवांग मोनास्ट्री भी जा सकते हैं।
तवांग कैसे पहुँचे?
तवांग का सबसे करीबी एयरपोर्ट तेजपुर का सलोनीबाड़ी एयरपोर्ट है जो तवांग से 317 कि.मी. की दूरी पर है। तवांग से सबसे नजदीक गुवाहाटी रेलवे स्टेशन है जो 485 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: अपने साथ इंस्टेंट नूडल्स और रेडी टू कुक के खाने के पैकेट ले जाना ना भूलें क्योंकि ऐसा हो सकता है आपको लम्बे समय के लिए खाना ना मिले।
9. स्पीती वैली
जून के महीने में गर्मी की छुट्टियाँ बिताने के लिए स्पीती वैली और किन्नौर जैसा साहसी फैसला आपके लिए एक परफेक्ट वेकेशन साबित हो सकता है। शिमला और मनाली जैसे भीड़-भाड़ वाली जगहों से स्पीती वैली काफी अलग है। जिस तरह से स्पीती नदी पूरी घटी में इधर से उधर घूम कर पहाड़ो को पार करती है उसी तरह आपको भी यहाँ घूम कर ऐसा एहसास होता है की मन की शांति यहीं स्पीती में ही है और आध्यात्मिक एहसास के लिए आप नई और पुरानी, दोनों मोनास्ट्री में जाकर बैठ सकते हैं।
कैसे यात्रियों के लिए है स्पिति?
वो लोग जो अकेले यात्रा करते हैं, जिन्हें एडवेंचर से प्यार है और थोड़ी एक्स्ट्रा कोशिश करने से घबराते नहीं है, उनके लिए यह जगह सही है।
स्पीती वैली में कहाँ-कहाँ घूमें?
नाको गाँव में आप पैदल यात्रा करके वहाँ की शांति में ढल सकते हैं। ताबो मोनास्ट्री में एक रात बैठ कर अपने मन को खुश और शांत कर सकते हैं। धनकर झील तक ट्रेकिंग कर सकते हैं और काजा की एक दुकान से अपने दोस्तों के लिए तोहफा भी खरीद सकते हैं।
स्पीती वैली तक कैसे पहुँचे?
स्पीती वैली तक पहुँचने के लिए आपको चंडीगढ़ एयरपोर्ट तक पहुँचना होगा जो स्पीती से 211 कि.मी. दूर है। वहाँ से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो 500 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: स्पीती वैली में कम से कम पहली रात तक किसी भी तरह का नशा न करें क्योंकि वहाँ के पर्यावरण में ढलने में आपको समय लगेगा और नशा करने सेहत ख़राब हो सकती है।
10. मेघालय
जून के शुरुआत में ही मेघालय में बारिश का मौसम आ जाता है और आसमान में बादल छा जाते हैं। मानसून का समय मेघालय में सबसे बेहतरीन होता है। ओस और बारिश पूरे शहर को एक नई खूबसूरती दे देते हैं। शहर की कई खूबसूरत जगहें आपको किसी भी विज्ञापन या पोस्टकार्ड में नहीं मिलेंगी। आपको मेघालय की खूबसूरती वहाँ जा कर ही पता चल सकती है जो इससे इस ट्रिप का उत्साह और बढ़ जाता है। मेघालय में हमेशा आपको एक नई जगह मिलेगी जिसके बारे में आपने ना कभी सुना होगा, ना देखा होगा।
कैसे यात्रियों के लिए है मेघालय?
जो यात्री किसी जगह की संस्कृति के बारे में जानना चाहते हैं उनको मेघालय ज़रूर जाना चाहिए।
मेघालय में क्या-क्या करें?
डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज पर आप घूम सकते हैं। एशिया का सबसे साफ़ गाँव मावलिनोंग घूम सकते हैं। मेघालय के मावसिनराम में पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बारिश होती है।
मेघालय कैसे पहुँचे?
मेघालय का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन गुवाहाटी है जो शिलोंग से 104 कि.मी. की दूरी पर है। ट्रेन की समय सारिणी के अनुसार आपको मेघालय ट्रांस्पोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा बस मिल जाएगी।
टिप: मेघालय में पूरे साल बारिश होती रहती है इसलिए ध्यान रहें कि आप अपने साथ गम बूट्स, रेन कोट और छाते ज़रूर ले जायें।
11. माउंट अबू
राजस्थान के इस पहाड़ी इलाके में घूमना आपके लिए आसान और आरामदायक है। यहाँ का मौसम भी जून में मॉनसून में बदल जाता है, पहाड़ो पर ओस की बूंदे होती हैं और झील में ठंडा पानी। यहाँ पर यात्री कई जगह ट्रेकिंग पर जा सकते हैं इसलिए आप अपनी सुविधा अनुसार इसका फैसला कर सकते हैं। यहाँ आपको रहने के लिए कई बड़े रिसॉर्ट्स मिलेंगे और सारी सुविधाएँ मिलेंगी जो आप अपनी छुट्टियाँ का लुत्फ उठाने के लिए हमेशा से चाहते थे। माउंट अबू उन जगहों में से है जो आपको हर प्रकार की ख़ुशी और संतुष्टि देगा इसलिए जून में यहाँ ज़रूर यात्रा करें।
कैसे यात्रियों के लिए है माउंट आबू?
पूरे परिवार के साथ और सभी तरह की सुविधा वाली जगह पर घूमना चाहते हैं तो माउंट अबू आपके लिए सही है।
माउंट अबू में क्या-क्या करें?
माउंट अबू की वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में एक दिन ज़रूर बिताए। इंसान द्वारा बनाई गई पहली झील, नक्की झील में आप नौका भ्रमण कर सकते हैं और ध्रुदिया वॉटरफॉल में आप परिवार के साथ पिकनिक पर जा सकते हैं।
माउंट अबू कैसे पहुँचें?
आबू रोड यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो करीब 28 कि.मी. की दूरी पर है। यहाँ का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट उदयपुर में है जो करीब 185 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: माउंट अबू यात्रियों के बीच बहुत मशहूर जगह है इसलिए आप पहले से होटल बुक कर लें जिससे आपका खर्च कम हो जायेगा।
12. सोनमर्ग
नल्लाह सिंध नदी के किनारे बसा हिल स्टेशन सोनमर्ग सोने का शहर है। जम्मू-कश्मीर के हिमालय से घिरी ये अल्पाइन घटी 2800 की उँचाई पर बसी है जो उत्तर-पूर्वी श्रीनगर से 87 कि.मी. की दूरी पर है। यहाँ के हरे मैदान और उनमें बसे छोटे गाँव जो बर्फ से ढक जाते हैं यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
कैसे यात्रियों के लिए है सोनमर्ग?
वो यात्री जो ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाके में नहीं जाना चाहते और एक शांत हिल स्टेशन की तलाश कर रहें हैं उनकी खोज यहाँ ख़त्म हो सकती है।
सोनमर्ग में कहाँ-कहाँ घूमें?
थाजीवास ग्लेशियर तक ट्रेकिंग पर जा सकते हैं। निलग्रद नदी के पास बैठ कर उसकी खूबसूरती निहारने से आपको मन की शांति मिलेगी और अगर अपनी सीमाओं को परखना चाहते हैं तो ज़ोजी-ला पास ज़रूर जायें।
सोनमर्ग कैसे पहुँचें?
यहाँ से सबसे करीबी एयरपोर्ट श्रीनगर है जो 70 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: सोनमर्ग में एटीएम की सुविधा ज्यादा जगहों पर नहीं है तो अपने साथ कैश ज़रूर ले जायें।
13. मुनस्यारी
पिथोरागढ़ जिले में बसा मुनस्यारी, उत्तराखंड से 7,200 फीट की उँचाई पर है। मुनस्यारी हिमालय के बीच गोरीगंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। छोटा कश्मीर कहे जाने वाले मुनस्यारी से पंचाचूली पर्वत की चोटी नज़र आती हैं। मुनस्यारी से 40 कि.मी. दूर नामिक ग्लेशियर तक आप ट्रकिंग पर जा सकते हैं। नामिक ग्लेशियर 3600 मीटर की उँचाई पर नंदा देवी, नंदा कोट और त्रिशूल की चोटियों से घिरा हुआ है।
कैसे यात्रियों के लिए है मुन्स्यारी?
जो लोग गर्मी की छुटियाँ पहाड़ो पर बिताना चाहते हैं उनके लिए यह जगह सही है।
मुनस्यारी में कहाँ-कहाँ घूमें?
यहाँ आप पश्मीना के शॉल खरीद सकते हैं, गोरी गंगा नदी में राफ्टिंग कर सकते हैं और नंदा देवी तक ट्रेकिंग पर जा सकते हैं।
मुनस्यारी तक कैसे पहुँचें?
मुनस्यारी से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन पंतनगर 249 कि.मी. की दूरी पर है और वहाँ से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम 278 कि.मी. की दूरी पर है।
टिप: मुनस्यारी जाने से पहले रोड की स्तिथि का पता कर लें क्योंकि वहाँ अकसर भूस्खलन होता रहता है।
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