पहाड़ इस दुनिया का सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है। जो एक बार यहाँ जाता है, यहीं का हो जाता है। अख़्तर शुमार ने की बड़ी खूबसूरत बात कही है कि पहाड़ भाँप रहा था मिरे इरादे को, वो इस लिए भी कि तेशा मुझे उठाना था। हर कोई चाहता है कि सुंदरता की मिसाल पहाड़ उनकी यादों का अहम हिस्सा हो। जब पहाड़ का ज़िक्र आता है, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ज़ेहन में जरुर आता है। उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। जहां पहाड़ की ऊँचाई से लेकर शहरों और गाँवों में मंदिर- मंदिर हैं। वैसे तो पूरा उत्तराखंड ही धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है लेकिन उन सबमें सबसे फ़ेमस, गंगोत्री है। गंगोत्री उत्तराखंड का एक छोटा-सा क़स्बा है। ये जगह ख़ूबसूरती और आस्था का बढ़िया संगम है। हर किसी को एक बार गंगोत्री जरुर आना चाहिए। ऐसी जगह कम ही होती हैं।
गंगोत्री
गंगोत्री हिन्दुओं के लिए आस्था की जगह है। गंगा को हिन्दू संस्कृति में माँ का दर्जा दिया गया है। चार धाम यात्रा में गंगोत्री एक महत्वपूर्ण जगह है। गौमुख से निकलकर गंगा जिस जगह पर पहली बार आती है, वो गंगोत्री है। गंगोत्री में माँ गंगा का मंदिर भी है। ये मंदिर सबसे ऊँचाई पर स्थित गंगा का मंदिर है। आप यहाँ से गौमुख का ट्रेक भी कर सकते हैं। गंगोत्री समुद्र तल से 3,415 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चारों तरफ आपको बर्फ़ से ढँके पहाड़ और हरे-भरे जंगल दिखाई देंगे। इस ख़ूबसूरती के लिए आप गंगोत्री की सैर कर सकते हैं।
कैसे पहुँचे?
फ़्लाइट से: अगर आप फ्लाइट से गंगोत्री जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। यहाँ से गंगोत्री 250 किमी. की दूरी पर है। आप बस से गंगोत्री जा सकते हैं। इसके अलावा गाड़ी बुक करके भी गंगोत्री पहुँच सकते हैं।
ट्रेन से: यदि आप रेल मार्ग से जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश से गंगोत्री 234 किमी. है। आप गंगोत्री बस से बड़े आराम से पहुँच सकते हैं।
वाया रोड: गंगोत्री उत्तराखंड के लगभग सभी शहरों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। आप सड़क मार्ग से भी गंगोत्री जा सकते हैं। आप बस या टैक्सी बुक करके गंगोत्री पहुंच सकते हैं। अगर आपके पास ख़ुद की गाड़ी है, तब तो आपको गंगोत्री जाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
कब जाएँ?
गंगोत्री भारत के चार धामों में से एक है। यहाँ आप किसी भी समय नहीं जा सकते हैं, इसके लिए समय तय होता है। हर साल चार धाम की यात्रा अप्रैल से अक्टूबर तक होती है। इन महीनों में आप गंगोत्री का प्लान बना सकते हैं। गंगोत्री का गंगा मंदिर अप्रैल में खुलता है और दशहरा में बंद होता है। आप इस दौरान यहाँ आ सकते हैं। आपको गंगोत्री में रहने में कोई दिक़्क़त नहीं होगी। यहाँ पर छोटे-बड़े हर प्रकार के होटल हैं।आप अपने बजट के हिसाब से इन होटलों को चुन सकते हैं, जिनमें आप ठहर सकते हैं।
क्या करें?
गंगोत्री में घूमने के लिए इतना कुछ है कि आप सभी जगहें एक बार में नहीं घूम पाएंगे। पहाड़ों से घिरी इस जगह पर मंदिर भी है और देखने लायक सुंदर-सुंदर जगहें भी हैं।
1- गंगोत्री मंदिर
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि यही वो जगह है जहां पर भगवान शिव की जटा से गंगा निकली थी। यहाँ पर गंगा को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है। बाद में 18वीं शताब्दी में एक गोरखा कमांडर अमर सिंह थामा ने गंगा किनारे एक मंदिर बनवाया। जिसे गंगोत्री मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हर श्रध्दालु एक बार गंगोत्री मंदिर और भागीरथी नदी में डुबकी जरुर लगाना चाहता है। आप इस जगह को घुमक्कड़ की नज़र से देख सकते हैं। पहाड़ और नदी से घिरी कोई भी जगह खूबसूरत होगी।
2- गंगोत्री ग्लेशियर
गंगोत्री ग्लेशियर की ख़ूबसूरती को बयां नहीं किया जा सकता है सिर्फ़ अनुभव किया ज़ा सकता है। समुद्र तल से 4,238 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये जगह कुदरत की ख़ूबसूरती की मिसाल है। गंगोत्री ग्लेशियर को देखने को लिए आपको गंगोत्री ट्रेन करना होगा। ये ट्रेन चौखंबा से शुरू होता है और गौमुख तक जाता है। यहाँ पर आप गंगा का उद्गम देख सकते हैं। यहाँ का पानी शीशे की तरह साफ़ होता है। आप ख़ुद का अक्स पानी में देख सकते हैं। अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो ये आप इस ट्रेक को ज़रूर करना चाहेंगे।
3- पांडव गुफा
गंगोत्री में आपको जिन जगहों पर जाना चाहिए, उनमें से एक पांडव गुफा है। ये गुफा गंगोत्री क़स्बे से 1.5 किमी. दूर है। आप पैदल-पैदल इस जगह पर पहुँच सकते हैं। कहा जाता है कि ये वही जगह है, जहां पर पांचों पांडव महाभारत के दौरान रहे थे। यहीं से पाण्डव कैलाश ध्यान करने के लिए गए थे। गुफाओं के चारों तरफ़ हरियाली और पहाड़ है। पांडव गुफा देखने में खूबसूरत है जिसे आपको देखना ही चाहिए।
4- गौरी कुंड
अगर आप गंगोत्री में ऐसी जगह खोज रहे हैं जहां आप आराम से समय बिता सकते हैं। इसके लिए गौरी कुंड और सूर्य कुंड बढ़िया जगह है। ये जगह गंगोत्री मंदिर के पास में ही है। यहीं सूर्य वाटरफॉल भी है जिसका पानी दूध की तरह है। झरने के एक तरफ लोहे का ब्रिज है तो दूसरी तरफ़ गौरी कुंड है। गंगोत्री आओ और इस जगह को न देखो तो गंगोत्री घूमना अधूरा है। परिवार और दोस्तों के साथ जाने के लिए ये अच्छी जगह है।
5- नंदनवन ट्रेक
गंगोत्री में आप गौमुख ट्रेक तो कर ही सकते हैं। इसके अलावा एक और ट्रेक है जिसे आप कर सकते हैं, नंदनवन ट्रेक। देवदार के जंगलों से घिरा ये ट्रेक बेहद खूबसूरत है। पहाड़ों से घिरी ऐसी जगहों पर सुकून का अनुभव होता है। जब आप सबसे ऊँची जगह पर पहुँचेंगे तो दूर-दूर तक सिर्फ सुंदर नज़ारे ही दिखाई देंगे। नंदनवन ट्रेक आप सुदर्शन, थेलु पीक, ऋषि कुंड होते हुए पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आप इस जगह पर भोजवासा, गौमुख और शिवलिंग पीक को देख सकते हैं।
क्या आपने उत्तराखंड के गंगोत्री की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना Telegram पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।