भारत अपनी आध्यात्मिकता और संस्कृति के लिए विश्व भर में जाना जाता है। और भारत अगर अपने अस्तित्व के लिए किसी का आभार माने तो वह इसकी नदियाँ होंगी। इन नदियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है गंगा- उत्तर भारत की संस्कृति जिसके चारों तरफ फली फूली। गंगा अपने विशाल रूप में भारत को सींचते हुए महासागर में जा मिलती है। पर इससे पहले वह कई शहर, तीर्थ स्थल और उपजाऊ धरती की जननी बनती है। ज़ाहिर सी बात है, गंगा को भारत में पूजा जाता है और इसके उद्गम स्थल को विशेष माना जाता है।
गंगोत्री- गंगा जहाँ से निकलती है। ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग लोक से देवी गंगा धरती का उद्धार करने के लिए यहीं पर उतरी थीं। शिवजी ने गंगा को अपनी जटा से संचालित किया और उन्होंने नदी के रूप में गंगोत्री से बहना शुरू किया। गंगोत्री इसलिए हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और सालों भर यहाँ पर देसी-विदेशी पर्यटक आते रहते हैं।
गंगा के उद्गम की कहानी
धरती लोक पर राजा भागीरथ ने कई वर्षों की कठिन तपस्या कि ताकि उसके मृत पूर्वजों को गंगा के जल से मोक्ष प्राप्त हो जाए जब वह धरती पर बह कर उनकी अस्थियों को स्पर्श करे। परन्तु गंगा ने इसे अपना अपमान समझा और यह तय किया कि वह एक वेग से धरती पर टूट पड़ेंगी और धरती लोक को तबाह कर देंगी। इसे रोकने के लिए ब्रह्मा ने शिवजी से प्रार्थना की और शिवजी हिमालय में उस स्थान पर आ गए जहाँ से गंगा धरती पर फूट पड़ने वाली थीं। गंगा शिवजी के सर पर तीव्रता से गिरीं पर शिवजी ने उन्हें अपनी जटा से बाँध लिया। शिवजी के स्पर्श में आ कर गंगा शांत हो गईं और उनका वेग कम हो गया। जटा से गंगा शांत रूप में धरती पर निकलीं और उनके जल से भीग कर भागीरथ के पूर्वज मोक्ष प्राप्त कर स्वर्ग लोक को चले गए। भागीरथ के इन प्रयासों के कारण गौमुख से निकलती हुई गंगा को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है। थोड़ी दूर बहने के बाद जब वे देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती हैं तो वे गंगा कहलाती हैं।
गंगोत्री में क्या देखें:
गंगोत्री मंदिर: गंगा माता का पहला और सबसे ज़्यादा धार्मिक महत्व रखने वाला यह मंदिर गंगोत्री का प्रमुख आकर्षण है और भक्तों को दूर-दराज़ से बुलावा देता है। यह छोटे चार धाम यात्रा में से भी एक है।
गौमुख: भागीरथी नदी के उद्गम गौमुख तक जाने के लिए आपको गंगोत्री से 18 किमी उत्तर पैदल यात्रा करनी पड़ेंगी। एक दिन में केवल 150 यात्रियों को यहाँ जाने का परमिट मिल सकता है।
गंगा ग्लेशियर: गंगा का उद्गम जिस हिमखंड से होता है वह गंगोत्री से क़रीब 30किमी दूर स्थित है। 4200 मीटर से भी ज़्यादा की ऊँचाई पर स्थित इस ग्लेशियर तक जाना जोख़िम एवं रोमांच से भरा है।
दायरा बुग्याल: बुग्याल या फिर विशाल हरे मुलायम घास के मैदान हिमालय की इन ऊँचाइयों पर पाए जाते हैं। दायरा बुग्याल बहुत ही खूबसूरत प्रदूषण से दूर धरती पर स्वप्नलोक की तरह है।
केदार ताल: गहरे नीले ताज़े पानी से भरा एक झील जिस तक पहुंचने के लिए आपको काफ़ी चढ़ाई करनी पड़ेंगी, पर यहाँ के नज़ारे देख कर आप दुनिया के बारे में सब कुछ भूल जाएँगे।
इसके अलावा गंगोत्री के पास अनेकों ट्रेक्स हैं जिनपे एडवेंचर लवर्स और तीर्थ यात्री दोनों ही मिल जाएँगे।
गंगोत्री तक कैसे पहुँचें:
हवाई जहाज़ से: देहरादून का जॉली ग्रैंट एयरपोर्ट यहाँ से सबसे नज़दीक क़रीब 225 किमी दूर है। यहाँ से आप गंगोत्री के लिए टैक्सी ले सकते हैं जो आपको 8-9 घंटे में गंगोत्री पहुँचा देगा।
रेल से: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहाँ से आप टैक्सी ले कर 8-9 घंटे में गंगोत्री पहुँच सकते हैं।
रोड से: गंगोत्री के लिए आपको आसानी से देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार से बसें मिल जाएँगी। ये शहर दिल्ली एवं लखनऊ से जुड़ें हुए हैं और आपको यातायात के साधन आराम से मिल जाएँगे।
कब जाएँ:
अप्रैल से जून और सितम्बर-अक्टूबर गंगोत्री जाने के लिए अच्छा समय है। बाक़ी समय में ठण्ड और बारिश के कारण यहाँ जाना मुश्क़िल हो सकता है।
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