वैसे तो किसी भी त्योहार या पूजा के मौके पर सबसे पहले भगवान श्री गणेश का ही स्मरण किया जाता है। लेकिन भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ये पर्व 10 दिन का होता है, इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को है। 10 दिन चलने वाले गणेश उत्सव पर लोग अपने घरों में, मुहल्ले में गणेश प्रतिमा स्थापित करते हैं और शहर में लगे गणपति पंडालों में पूजा के लिए जाते हैं। इस मौके पर कई गणेश मंदिरों के दर्शन के लिए भी जा सकते हैं। अगर गणेशोत्सव के मौके पर आप भी कहीं सफर की योजना बना रहे हैं तो देश के सबसे बड़े और चमत्कारी गणपति मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं। इसलिए आज आपको सबसे प्राचीन और चमत्कारी गणेश मंदिरों के बारे में बताएंगे। तो आइए बिना देर किए जानते हैं कि वो प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर कौन-कौन से और कहाँ स्थित हैं।
1. सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
गणपति बप्पा का सबसे अधिक लोकप्रिय मंदिर मुंबई का श्री सिद्धिविनायक मंदिर है, जहाँ पर गणेश चतुर्थी पर देश विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। यहाँ गणेश उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं का बड़ा सैलाब उमड़ता है, जो आस्था के साथ यहाँ गणपति जी के दर्शन करने आते हैं। कहा जाता है कि जिन मंदिरों में भगवान गणेश की प्रतिमा की सूंड दाईं तरफ होती है वो मूर्तियां सिद्धिपीठ से संबंधित होती हैं और उन मंदिरों को सिद्धिविनायक कहा जाता है। अगर आप भी गणेश चतुर्थी पर कही जाने का प्लान बना रहें हैं तो आप मुंबई के इस प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर के दर्शन करने का प्लान बना सकते हैं।
2. चिंतामण गणपति, उज्जैन
उज्जैन के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक है चिंतामण गणपति। चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन रूप एक साथ विराजमान है, जो चितांमण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाने जाते है। श्री चिंताहरण गणेश जी की ऐसी अद्भूत और अलोकिक प्रतिमा देश में शायद ही कहीं होगी। चिंतामणी गणेश चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामणी गणेश इच्छाओं को पूर्ण करते हैं और सिद्धिविनायक रिद्धि-सिद्धि देते हैं। देश के कोने-कोने से भक्त यहाँ दर्शन करने आते है। यहाँ पर भक्त, गणेश जी के दर्शन कर मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर मनोकामना मांगते है और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह पुनः दर्शन करने आते है और मंदिर के पीछे सीधा स्वास्तिक बनाते है।
3. दगडूशेठ हलवाई मंदिर, पुणे
पुणे में स्थित श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है यह महाराष्ट्र का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। गणेश चतुर्थी पर इस मंदिर में लाखों-करोड़ों की संख्या में भक्त आते हैं। इस मंदिर से एक भावुक कर देने वाली कहानी भी जुड़ी है, कहा जाता है कि कई साल पहले की बात हैं, ऐसा लोग कहते हैं कि दगड़ूसेठ हलवाई कोलकाता से पूणे में पत्नी और बेटे के साथ मिठाइयों का काम करने आए थे। उस दौरान पूणे में प्लेग नामक महामारी फैली हुई थी। इस महामारी के चलते दगड़ूसेठ हलवाई ने अपने बेटे को खो दिया था। बेटे की आत्मा को शांति मिले। उन्होंने एक पंडित से इसके लिए उपाय पूछा तो पंडितजी उन्हें भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी। श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई, ने इस गणेश मूर्ती की स्थापना की थी।
4. उच्ची पिल्लायर मंदिर, तिरुचिरापल्ली
तमिलनाडु का प्रसिद्ध उच्ची पिल्लायार मंदिर जो तिरुचिरापल्ली में त्रिचि नाम की जगह पर रॉक फ़ोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा हुआ एक बेहद खूबसूरत मंदिर है। यह मंदिर 273 फुट की उंचाई पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 400 सीढियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। पहाड़ों पर होने की वजह से यहाँ का नजारा बहुत ही सुंदर होता है। इस पहाड़ी की खास बात यह है कि इसकी तीनों चोटियो पर शिव परिवार विराजमान है, पहली पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर है, दूसरी पहाड़ी पर मां पार्वती विराजमान है और तीसरी पहाड़ी पर गणेश मंदिर उच्ची पिल्लयार पर स्थित है। कहा जाता है कि विभीषण ने भगवान गणेश के सिर पर जो वार किया था, उस चोट का निशान आज भी इस मंदिर में मौजूद भगवान गणेश की प्रतिमा के सिर पर देखा जा सकता है।
5. रणथम्भौर गणेश मंदिर, राजस्थान
इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। यहाँ गणेश जी की पहली त्रिनेत्री प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा स्वयंभू प्रकट है। देश में ऐसी केवल चार गणेश प्रतिमाएं ही हैं जो बहुत प्रसिद्ध हैं। गणेश जी का यह मंदिर कई मामलों में अनूठा है। करीब 1000 साल पुराना यह मंदिर रणथम्भौर किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। दोस्तों, इस प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत, यहाँ आने वाले पत्र हैं, अगर किसी के घर में शुभ काम हो तो सबसे प्रथम पूज्य गणेश जी को निमंत्रण भेजा जाता है। बल्कि इतना ही नहीं, परेशानी होने पर उसे दूर करने की अरदास तक भक्त यहाँ पत्र भेजकर लगाते है। यहाँ रोजाना हजारों निमंत्रण पत्र और चिट्ठियां डाक से पहुंचती हैं। ऐसा कहते है कि यहाँ सच्चे मन से मांगी मुराद पूरी होती है।
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