किन्नर कैलाश पीक: हिमालय की सबसे दुर्गम जगह, कुछ इस तरह से करें एक्सप्लोर

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Photo of किन्नर कैलाश पीक: हिमालय की सबसे दुर्गम जगह, कुछ इस तरह से करें एक्सप्लोर by Rishabh Dev

कहते हैं कि दुनिया के सबसे खूबसूरत नजारे देखने के लिए सबसे कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। हिमालय में ऐसी ही कई खूबसूरत जगहें हैं जहाँ तक पहुँचना आसान नहीं है। हिमालय में ही पंच कैलाश हैं जहाँ की यात्रा सबसे दुर्गम मानी जाती है। किन्नर कैलाश हिमालय के उन्हीं पंच कैलाश में से एक है। किन्नर कैलाश हिमाचल प्रदेश में स्थित है। अगर आपको रोमांच पसंद है तो हिमाचल की धरा पर स्थित किन्नर कैलाश की दुर्गम यात्रा आपको जरूर करनी चाहिए।

किन्नर कैलाश पर्वत पर पत्थर की 79 फीट ऊँची शिवलिंग स्थित है। कहा जाता है कि ये शिवलिंग अपना रंग बदलती रहती है। श्रद्धालुओं के लिए भी ये जगह बहुत पवित्र है। हर साल यहाँ किन्नर कैलाश की यात्रा होती है। बड़ी संख्या में लोग इस यात्रा को करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती यहीं पर मिलते हैं। साल में एक बार सभी देवता भी यहीं आते हैं। किन्नर कैलाश की एक तरफ की यात्रा लगभग 19 किमी. की है। समुद्र तल से किन्नर कैलाश की ऊँचाई 15,004 फीट है।

किन्नर कैलाश यात्रा रूट

दिन 1:

कल्पा

किन्नर कैलाश की यात्रा हिमाचल प्रदेश के कल्पा से शुरू होती है। आप सबसे पहले शिमला पहुँचिए। वहाँ से रामपुर बुशहर आइए जो नारकंडा के आगे पड़ता है। रामपुर बुशहर से आपको रिकांगपिओ के लिए बस मिल जाएगी। रिकांगपिओ किन्नौर जिले में आता है। रिकांगपिओ से कल्पा 15 किमी. की दूरी पर है। आप रिकांगपिओ में रात गुजार सकते हैं या फिर कल्पा में भी ठहर सकते हैं।

दिन 2

तांगलिंग से गणेश पार्क

किन्नर कैलाश की यात्रा जहाँ से शुरू होती है उस जगह का नाम तांगलिंग गांव है। तांगलिंग गांव 7,050 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। तांगलिंग गांव पहुँचने के दो रास्ते हैं। पहला तो पोवारी से झूला पुल को पार करके पहुँचिए। इसके अलावा आप शोंगटोंग ब्रिज को पार करके तांगलिंग गांव पहुँच सकते हैं। तांगलिंग लगभग 100 घरों का एक छोटा-सा गांव है। गांव के किनारे सतलुज नदी बहती है। यहाँ से छोटी-सी धारा के साथ लगभग 2 किमी. चलेंगे। उसके बाद खेत आने शुरू हो जाएंगे।

घने जंगलों को पार करने के बाद आप बारह पत्थर पहुँचेंगे। यहाँ पर एक बड़ा-सा पत्थर रखा हुआ है। यहाँ आप कुछ देर आराम कर सकते हैं। यहाँ से आपको चारों तरफ का शानदार नजारा देखने को मिलेगा। बारा पत्थर समुद्र तल से 9,695 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर आपको चारों तरफ देवदार के पेड़ देखने को मिलेंगे। कुछ देर आराम करने के बाद आप हरे-भरे बुग्याल में पहुँचेंगे। दूर-दूर तक फैली मखमली घास आपको दिखाई देगी। बुग्याल को पार करने के बाद आप गणेश पार्क पहुँचेंगे।

गणेश पार्क एक बहुत बड़ा बुग्याल है। बुग्याल पहाड़ों में हरे-भरे घास का मैदान होता है। गणेश पार्क समुद्र तल से 11,778 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। तांगलिंग गांव से गणेश पार्क की दूरी 8-9 किमी. है। इस यात्रा को पूरा करने में आपको 5-6 घंटे का समय तो आराम से लग जाएगा। गणेश पार्क से आपको हिमालय के शानदार नजारे देखने को मिलेंगे। यहाँ आप अपने टेंट में रात गुजार सकते हैं।

दिन 3

गणेश पार्क से किन्नर कैलाश

अगले दिन सुबह जल्दी उठिए और निकल पड़िए किन्नर कैलाश की पीक की ओर। गणेश पार्क से किन्नर कैलाश की चोटी तक की दूरी 9-10 किमी. है। इस यात्रा को पूरा करने में आपको 7-8 घंटे आराम से लग जाएंगे। गणेश पार्क से लगभग 3-4 किमी. चलने के बाद भीम द्वार नाम की जगह मिलेगी। यहाँ आप कुछ देर आराम करने के लिए रूक सकते हैं। यहाँ पर एक छोटी-सी गुफा है जिसमें 10-15 लोग आराम से आ जाएंगे।

भीम द्वारा से लगभग 3 किमी. का ट्रेक करने के बाद आपको पार्वती कुंड मिलेगा। पार्वती कुंड चारों तरफ से पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। ये खूबसूरत झील समुद्र तल से 9,843 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। पार्वती कुंड से कैलाश पीक की दूरी लगभग 3 किमी. है। ये सबसे कठिन चढ़ाई है। इस यात्रा को पूरा करने में आपको 3-4 घंटे का समय आराम से लग सकता है। पत्थरों से होकर गुजरने वाला ये रास्ता काफी कठिन है।

लगभग 3-4 घंटे के बाद जब आप किन्नर कैलाश की पीक पर पहुँचकर 79 फीट ऊँचे शिवलिंग को देखेंगे तो मन बाग-बाग हो जाएगा। यहाँ से आपको हिमालय की कई सारी चोटी देखने को मिलेंगी। कुछ देर यहाँ ठहरने के बाद वापस लौटना शुरू कर दीजिए। जहाँ रात हो जाए वहाँ टेंट लगाकर रात गुजारें और अगले दिन कल्पा पहुँचे।

कब जाएं?

किन्नर कैलाश ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर का माना जाता है। बारिश के मौसम में ट्रेकिंग करने की गलती बिल्कुल ना करें। मानसून के बाद सितंबर और अक्टूबर में इस ट्रेक को किया जा सकता है। सर्दियों में चारों तरफ बर्फबारी होती है तो पूरा रास्ता बंद हो जाता है। किन्नर कैलाश ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का ही माना जाता है।

सुझाव:

1- अपने बैगपैक में बहुत ज्यादा सामान ना रखें क्योंकि आखिर में उसे आपको ही अपने कंधों पर लेकर चलना है।

2- अपने साथ गर्म कपड़ें जरूर रखें। साथ में एक्सट्रा मोजे भी रखें।

3- अपने साथ चश्मा, स्नैक्स, टॉर्च, ट्रेकिंग पोल और पानी की बोतल जरूर रखें।

4- सबसे जरूर बात ये है कि मेडिकल किट को रखना बिल्कुल भी ना भूलें।

5- इसके अलावा आप अपने पास पहचान पत्र और उसकी फोटो कॉपी भी साथ में जरूर रखें।

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