हम क्या करते हैं, दुनिया घूमते हैं और आपको नई- नई जगहों से मिलाते हैं। हमसफ़र तो नहीं, हम सफ़र ही सही। इस बार हम आपके साथ क़िस्सा रूबरू करेंगे कर्नाटक के एक छोटे से क़स्बे का। दांदेली नाम के इस क़स्बे की पहचान प्रकृति और एडवेंचर के घुले मिले मिश्रण से की जाती है।
अपनी प्राकृतिक छटा के साथ ढेर सारे एडवेंचर स्पोर्ट्स होना इसे हमारी ट्रैवल लिस्ट में बहुत ऊपर पहुँचा देता है। नदी में राफ़्टिंग, रात में कैम्पिंग, अनजान अनछुए रास्तों पर घुमक्कड़ी, बोटिंग, दूसरे देश से आए पंछियों को निहारने का मौक़ा जैसी चीज़ें जो आपके ट्रिप को यादगार बनाती हैं, सब कुछ यहाँ आपके लिए है। क़िस्मत अच्छी हुई तो चीते और मगरमच्छ भी देखने मिलते हैं कई बार, साथ ही में पुरानी गुफ़ाएँ और मन्दिर हैं यहाँ पूजा के लिए।
दांदेलीः एडवेंचर का नया मैदान
राफ्टिंग
काली नदी दांदेली के पश्चिमी घाटों से होकर गुज़रती है। ऋषिकेश से ऊबने वाले लोग अब अपनी नई मंज़िल के तौर पर इस जगह को चुन सकते हैं। दो तरह की राफ़्टिंग होती है यहाँ पर, एक की अवधि कुल 4 घंटे की होती है, जबकि दूसरी में 2 घंटे की अवधि होती है।
रैपलिंग
रैपलिंग क्या है। एक रस्सी है, चट्टान पर से नीचे गई है, उसकी मदद से आपको नीचे आना होता है। सह्याद्रि पहाड़ों की रेंज पर आपको ऐसा मौक़ा मिले तो क्या कहने, उसकी चट्टानों पर जो एडवेंचर आपको नसीब होता है और जो एड्रिनलिन रश होता है उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
ट्रेकिंग
दांदेली अभ्यारण्य में कई ऐसे रास्ते हैं जिस पर शायद अभी तक क़दम भी ना रखा गया हो। इस नई दुनिया को ट्रेकिंग के जुनूनी लोगों की तलाश है। दांदेली के इन रास्तों पर नए क़िस्म के पंछी भी अपने घर बनाते मिल जाएँगे। अगर क़िस्मत अच्छी रही तो जंगली पैंथर और बाइसन के दर्शन होंगे।
नैचुरल जकुज़ी
अगर राफ़्टिंग का मन नहीं तो एक बार काली नदी पर जकूज़ी का प्लान करें। काली नदी पर स्थित एक द्वीप तक बोट की सवारी करेंगे और फिर बीच नदी में आती तेज़ लहरों का मज़ा लें। ये अनुभव पिछले सारे अनुभव भुला देगी।
पंछियों का दर्शन
पक्षियों के वैज्ञानिकों की रीसर्च के लिए स्वर्ग से कम नहीं है दांदेली। कई क़िस्म के पक्षी, जो केवल यहाँ ही मिलेंगे या फिर विदेशों में। आपको पंछियों की रेंज में मैगपाई रॉबिन, बार विंग्ड फ़्लाईकैचर श्राइक्स, नीले सिर वाली ग्राउण्ड थ्रश, पोम्पाडॉर हरे कबूतर, गोल्डन बैक कठफोड़वा, पीले भूरे रंग वाली बुलबुल, कोयल, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, पाइड हॉर्नबिल्स, जंगल बैबलर और कई अन्य क़िस्म के पक्षियों की नस्ल मिल जाएगी।
जंगल सफ़ारी - दांदेली वन अभ्यारण्य
दांदेली का वन अभ्यारण्य 'Save The Tiger' यानि बाघ बचाओ कैंपेन चला रहा है। बाघों की अच्छी ख़ासी तादाद मिलेगी आपको यहाँ पर। अन्य प्रजातियों में बोनट मकाक, भारतीय बाइसन, हिरण (चकत्तेदार, भौंकने वाले और चूहे), स्लॉथ भालू और मालाबार सिवेट की एक विस्तृत शृंखला मिलती है। ब्लैक पैंथर, बाघ और हाथी भी बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं। चूँकि यहाँ की जंगल सफ़ारी आमतौर पर खुली जीप पर ही होती है, तो आपको बाघों और दूसरे जानवरों को देखने का मौक़ा ख़ूब मिलता है।
कायाकिंग
कायाकिंग के लिए सूपा जलाशय को सबसे उपयुक्त माना जाता है। यह जलाशय सूपा बाँध के पास ही बना है। जलाशय इतना बड़ा है कि आपको समुद्र में कायाकिंग करने का एहसास हो। अगर आपने इसके पहले कभी भी कायाकिंग नहीं की है, तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। वैसे प्रोफ़ेशनल लोगों के लिए भी बढ़िया जगह है यह।
मगरमच्छ से सामना और कोरेकल की सवारी
कोरेकल गोल तश्तरी वाले आकार की नाव होती है जो बाँस और भैंस की खाल से बनती है। उफ़ान भरी काली नदी पर ये नाव ही आपको बचाती है, और उसमें मटरगश्ती करते मगरमच्छों से भी। इसके अलावा आप रात के वक़्त बोट की सवारी पर निकल सकते हैं, नदी किनारे मछलियाँ पकड़ने निकल सकते हैं, कैंपिंग और ट्रेकिंग तो हैं ही। रिवर आइलैंड भी ज़रूर घूमकर आएँ।
दांदेली के नज़दीक में
सिंथेरी रॉक्स
सिंथेरी चट्टानें दांदेली से 25 कि.मी. की दूरी पर हैं। यहाँ जाना भी एक अनछुआ अनुभव होगा। बड़ी बड़ी ग्रेनाइट की चट्टानें घिस घिस कर कई गुफ़ाओं में तब्दील हो चुकी हैं। अगर आपने सिंथेरी जाने का प्लान बनाया है तो सुबह सुबह ही निकलें क्योंकि शाम के वक़्त दिक्कतें हो सकती हैं। और इसके साथ कनेरी नदी भी देखने जाएँ, ये एक छोटी सी नदी है जो काली नदी में ही आगे जाकर मिल जाती है। किसी पहाड़ी से सूरज डूबना कैसा लगता है, यहाँ आपको पता लगेगा।
कावला गुफ़ाएँ
इतिहास और आध्यात्म एक दूसरे में सिमट कर घुल गए हों जैसे, वैसा ही नाम है कावला गुफ़ाओं का। दांदेली से 25 कि.मी. दूर स्थित इन गुफ़ाओं पर पहुँचने के लिए घने जंगलों से होकर गुज़रना ज़रूरी है। भगवान शिव की गुफ़ाएँ हैं यहाँ, कई लोग तो इस जगह ध्यान करने भी आते हैं और भगवान शिव की भक्ति करने भी। क़रीब हज़ार क़दम आपको चलना पड़ेगा यहाँ पहुँचने के लिए।
दांदेली पहुँचे कैसे
हवाई मार्ग- दांदेली से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा हुबली (56 किमी0 दूर) का है। इसके बाद सांबरे हवाई अड्डा 66 किमी0 दूर है। मुंबई से हुबली की हवाई यात्रा लगभग ₹4,000 की पड़ेगी।
ट्रेन मार्ग- आप बंगलौर से हुबली (56 किमी0 दूर) की ट्रेन पकड़ सकते हैं या फिर अलनावर (23 किमी0) तक जा सकते हैं। हैदराबाद से आ रहे हैं तो लोंडा(24 किमी0) तक आ सकते हैं। मुंबई से हुबली का स्लीपर किराया ₹400 और एसी 3 टियर किराया ₹1085 है।
सड़क मार्ग- कर्नाटक की एसआरटीसी बस लगभग हर शहर से चलती हैं। गोआ से राष्ट्रीय राजमार्ग 748 से होकर आप ख़ुद की गाड़ी से पहुँच सकते हैं।
घूमने का सबसे सही समय
पंछी दर्शन के लिए- जनवरी, फ़रवरी और मार्च
जंगली दुनिया देखने के लिए- अप्रैल, मई और जून
राफ़्टिंग के लिए- जून और जुलाई
ट्रेकिंग और कैंपिंग के लिए- जून, जुलाई और अगस्त
सबसे बेहतरीन मौसम के लिए- अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर
दांदेली में ठहरने के लिए
1. रीजेंटा रिसॉर्ट सैंचुरी - ₹ 7,260 से शुरू
2. दांदेली शैले होमस्टे - ₹5,011 से शुरू
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