मेले और महोत्सव हमेशा से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। इनके माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखते हैं। ये भारत के गौरवशाली इतिहास के भी प्रतीक हैं। मेला और महोत्सव की बात हो और राजस्थान का ज़िक्र न हो, ये हो ही नहीं सकता। राजस्थान जितना अपनी राजपूती शान के लिए जाना जाता है, उतना ही अपने ख़ूबसूरत मेलों और महोत्सव के लिए भी पहचाना जाता है। आज हम आपको राजस्थान के कुछ ऐसे ही मेलों और महोत्सव के बारे में बताने जा रही हूं, जिनमें राजस्थान का गौरव झलकता है।
1. ऊंट महोत्सव, बीकानेर (जनवरी)
'रेगिस्तान का जहाज़' माने जाने ऊंट के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए बीकानेर में इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जनवरी महीने में होने वाले इस महोत्सव में अच्छी नस्ल के ऊंटों की प्रदर्शनी लगती है, जहाँ प्रशिक्षित ऊंट नृत्य भी करते हैं।
2. नागौर मेला, नागौर (फ़रवरी)
नागौर मेला राजस्थान के प्रसिद्ध मेले में से एक है जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु उत्सव भी है। नागौर मेला हर साल जनवरी-फरवरी के दौरान आयोजित किया जाता है, जो चार दिनों तक चलता है। यह मेला मवेशी मेले के रूप में भी लोकप्रिय है, क्योंकि नागौर मेला मुख्य रूप से कार्निवल मवेशी, गाय, बैल, ऊंट और घोड़ों के व्यापार के लिए सबसे बड़ा मंच प्रदान करता है।
इस मेले में हर साल लगभग 70,000 बैल, ऊंट और घोड़ों का व्यापार होता है, जहाँ जानवरों को भव्य रूप से सजाया जाता है। कुछ अन्य आकर्षण में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए इस मेले में विभिन्न सांस्कृतिक और खेल प्रतियोगितायों जैसे टग-ऑफ-वॉर, ऊंट दौड़, मुर्गा लड़ाई आदि का आयोजन भी किया जाता है। जो यहाँ आने वाले यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है। नागौर मेले में प्रमुख रूप से पशुओं का व्यापार होता है। दूर-दूर से लोग इस मेले में पशु खरीदने के लिए आते हैं। फ़रवरी महीने में लगने वाला ये मेला, भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है।
3. मरू (रेगिस्तान) महोत्सव, जैसलमेर (फ़रवरी)
फरवरी महीने में आयोजित होने वाला डेजर्ट फेस्टिवल राजस्थान के प्रमुख उत्सव और मेले में से एक है, जिसे स्थानीय लोगो द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। डेजर्ट फेस्टिवल पूर्णिमा से तीन दिन पहले माघ (फरवरी) के हिंदू महीने में सैम टिब्बा में थार रेगिस्तान के खूबसूरत टीलों के बीच मनाया जाता है। इस साल मरू महोत्सव 24 से 27 फरवरी को आयोजित किया जाएगा। त्योहार के प्रमुख आकर्षण कठपुतली, कलाबाज, ऊंट दौड़, ऊंट पोलो, लोक नृत्य आदि का प्रदर्शन हैं, जो स्थानीय लोगो के साथ-साथ पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बना हुआ है। डेजर्ट फेस्टिवल समृद्ध और रंगीन राजस्थानी लोक संस्कृति का आनंद लेने के लिए राजस्थान की सबसे बेस्ट जगह है। यदि आप फरबरी के महीने में राजस्थान की यात्रा करने वाले है तो आपको डेजर्ट फेस्टिवल में अवश्य शामिल होना चाहिये। रेगिस्तान, राजस्थान की पहचान हैं और उन्हीं रेगिस्तान में आयोजित होने वाला मरू महोत्सव लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। हर साल फ़रवरी महीने में होने मरू महोत्सव राजस्थान का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम है। तीन दिन तक चलने वाला ये उत्सव राजस्थान के लोकगीत, नृत्य और विरासत को प्रदर्शित करता है।
4. बेणेश्वर मेला, डूंगरपुर (फ़रवरी)
बाणेश्वर महोत्सव राजस्थान के लोकप्रिय आदिवासी और सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है। बाणेश्वर मेला प्रतिबर्ष माघ शुक्ल पूर्णिमा को डूंगरपुर के बाणेश्वर मंदिर में लगता है, यह मेला आदिवासीयों (भील जनजाति) के लिए भारत के सबसे प्रमुख मेलों में से एक माना गया है। इस पवित्र अवसर पर राजस्थान के साथ साथ गुजरात और मध्य प्रदेश से भील जनजाति के लोग मेले में शामिल होते है और (माही और सोम के) संगम पर डुबकी लगाते है । बेणेश्वर मेला, आदिवासियों का महाकुम्भ है। ये धार्मिक मेला फ़रवरी में आयोजित होता है। इस मेले में आदिवासी डूंगरपुर के महादेव मंदिर में भगवान शिव की पूजा करते हैं।
5. गणगौर महोत्सव, जयपुर (मार्च)
गणगौर त्यौहार राजस्थान के प्रमुख त्यौहार में से एक है, जो देवी पार्वती के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्यौहार होली के एक पखवाड़े के बाद पड़ता है, जिसमे राजस्थान की महिलाओं द्वारा देवी पार्वती को प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान, अविवाहित महिलाएँ एक अच्छे वर के लिए और विवाहित महिलाएँ अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती है। त्यौहार में गौरी और शिव जी की तस्वीरें को जुलूस के साथ निकला जाता हैं, और अद्भुत आतिशबाजी के प्रदर्शन के साथ गणगौर त्यौहार का समापन किया जाता है। गणगौर त्यौहार पर्यटकों को सांस्कृतिक उत्सव का आनंद लेने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है, जो पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बना हुआ है। अविवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला, जयपुर का गणगौर महोत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है। मार्च महीने में मनाए जाने वाले इस महोत्सव में कुंवारी लड़कियां भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
6. गज महोत्सव, जयपुर (मार्च)
जयपुर एलीफेंट फेस्टिवल राजस्थान के फेमस फेस्टिवल में से एक है, जिसे जयपुर शहर के सवाई मानसिंह स्टेडियम के सामने स्थित पोलो मैदान में आयोजित किया जाता है। एलिफेंट फेस्टिवल का आयोजन होली के अवसर पर किया जाता है, जिसे स्थानीय लोगो द्वारा धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस इस त्योहार के दौरान, हाथियों को कालीनों, पायल, गहनों से सजाया जाता है और जुलूस निकाला जाता है, जुलूस के बाद हाथी पोलो, हाथी टग-ऑफ-वार, हाथी दौड़ जैसे रामंचक खेलो का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में हाथी के प्रदर्शन के अलावा पूरे दिन स्थानीय नृत्य और संगीत समारोह भी आयोजित होते हैं, जो स्थानीय लोगो के साथ-साथ भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण केंद्र बने हुए है। जहाँ हर साल हजारो पर्यटकों को जयपुर एलीफेंट फेस्टिवल में शामिल होते हुए देखा जा सकता है। गज (हाथी) महोत्सव गुलाबी नगरी जयपुर की ख़ूबसूरती में चार चांद लगा देता है। इस महोत्सव का आयोजन मार्च के महीने में होली वाले दिन किया जाता है। गज महोत्सव में मुख्य रूप से हाथी, ऊंट और घोड़े आकर्षण का केन्द्र होते हैं। 'हाथी पोलो' और 'हाथी डांस' के माध्यम से महोत्सव में आए लोगों का मनोरंजन किया जाता है।
7. मेवाड़ महोत्सव, उदयपुर (अप्रैल)
मेवाड़ उत्सव राजस्थान के लोकप्रिय उत्सव में से एक है, जिसे वसंत ऋतु के आगमन का जश्न मनाने के लिए बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस फेस्टिवल के दौरान उदयपुर शहर चमकीले रंगों से रोशन होता है जो इस अद्भुत उत्सव के लिए आभा पैदा करता है। मेवाड़ उत्सव उदयपुर के सबसे महत्वपूर्ण समारोहों में से एक है जिस दौरान राजस्थान की समृद्ध संस्कृति को अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में देखा जा सकता है। मेवाड़ महोत्सव अपनी लोकप्रियता और पर्यटकों के आकर्षण के मामले में बहुत ही प्रमुख माना जाता है, जो भारतीय पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण केंद्र बना हुआ है।अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाने वाला मेवाड़, इस महोत्सव की वजह से भी ख़ासा मशहूर है। पिकोला झील 6 से 8 अप्रैल तक चलने वाले इस महोत्सव की ख़ूबसूरती का गवाह बनता है।
8. ग्रीष्म (गर्मी) महोत्सव, माउंट आबू (मई)
समर फेस्टिवल प्रत्येक बर्ष राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउन्ट आबू में बुद्ध पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है, जो तीन दिनों तक चलता है। जिसमे राजस्थानी लोक संस्कृति और परंपराओं की झलक देखी जाती है। समर फेस्टिवल में सांस्कृतिक समारोहों के साथ बिभिन्न प्रतियोगितायें जैसे घुड़दौड़, स्केटिंग दौड़, रस्साकशी, नक्की झील में नौका विहार दौड़ और लाइव बैंड शो का भी आयोजन किया जाता है। समर फेस्टिवल में आयोजित होने वाली बिभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगितायें स्थानीय लोगो के साथ साथ देश भर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि आप राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं को देखते हुए विभिन्न रोमांचक प्रतियोगितायों का मजा लेंना चाहते है, तो इसके लिए आपको एक बार समर फेस्टिवल में शामिल अवश्य होना चाहिये।माउंट आबू, राजस्थान का एक मात्र हिल स्टेशन है। यहाँ आयोजित होने वाला ग्रीष्म महोत्सव राजस्थान का एक प्रमुख सांस्कृतिक महोत्सव है, जो हर साल मई-जून के महीने में आयोजित होता है।
9. मारवाड़ महोत्सव, जोधपुर (सितम्बर)
हर साल आश्विन के महीने (सितंबर और अक्टूबर के बीच) में आयोजित होने वाला मारवाड़ उत्सव राजस्थान के प्रसिद्ध त्योहार में से एक है। मारवाड़ फेस्टिवल राजस्थान के नायकों की याद में आयोजित किया जाता है, जिसे मूल रूप से मांड महोत्सव के रूप में भी जाना जाता था। मारवाड़ उत्सव राजस्थान के शासकों के प्रामाणिक लोक संगीत, संस्कृति और जीवन शैली का केंद्र है। इस त्योहार में मारवाड़ के पूर्व शासकों को सम्मानित करने के लिए उनकी गाथाओं को फिर से प्रस्तुत करता है। यह त्योहार उम्मेद भवन पैलेस, मंडोर और मेहरानगढ़ किले जैसे प्रसिद्ध स्थानों पर आयोजित किया जाता है। इस उत्सव के अन्य आकर्षण में ऊंट टैटू शो और पोलो शामिल हैं, जो स्थानीय लोगो के साथ साथ बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी अपनी और आकर्षित करते है। मारवाड़ महोत्सव, राजस्थान का सबसे लोकप्रिय उत्सव है, जिसमें राजस्थानी अपनी परम्परा, संस्कृति और संगीत कला का प्रदर्शन करते हैं। नृत्य और लोकसंगीत इस उत्सव की सबसे ख़ास बात होती है। ऊंट पोलो भी इस महोत्सव में आकर्षण का केन्द्र होते हैं।
10. पुष्कर मेला, पुष्कर (नवम्बर)
पुष्कर मेला राजस्थान के पुष्कर शहर में पुष्कर झील के किनारे आयोजित होने वाला यह वार्षिक पांच दिवसीय ऊंट मेला है, जो राजस्थान के प्रसिद्ध मेले में से एक है। यह मेला राजस्थान में आयोजित होने वाले सबसे बड़े मेलो में से एक है, जहाँ दुनिया के सबसे बड़े ऊँटों को देखा जा सकता हैं।
पशुओ को खरीदने और बेचने के अलावा यह यह स्थान एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाने लगा हैं। क्योंकि यहाँ पर कुछ रोमांचित कर देने वाली प्रतियोगिताएं जैसे- सबसे लंबी मूंछें, मटका फोड़, और दुल्हन प्रतियोगिता जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएं हैं। इसके अलावा यहाँ एक ऊंट दौड़ प्रतियोगिता भी आयोजित होती है, जो यहाँआने वाले हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं नवंबर महीने में लगने वाला पुष्कर मेला, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट मेला है। इस मेले में ऊंट खरीदने और बेचने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। पुष्कर मेला भारत का तीसरा सबसे बड़ा पशु मेला है।
ये सभी मेले और महोत्सव राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर हैं। राजस्थानी लोग इस बात के लिए सम्मान के पात्र हैं कि उन्होंने अपनी परम्परा और विरासत को आज तक संभाल कर रखा है। अगर आपको कभी मौका मिले, तो राजस्थान की ख़ूबसूरती और विरासत को देखने के लिए ज़रूर जाइएगा।
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