भारत अपनी पंरपरा, संस्कृति और इतिहास में विविधता के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। वहीं अगर बात की जाएं उत्तर भारत की तो जहां एक ओर ये अपनी खबसूरती के लिए पुरे भारत में प्रचलित हैं वहीं दूसरी ओर ये अपनी संस्कृति और अपने ठेठ त्यौहार के लिए एक अलग ही पहचान रखता हैं।आज हम आपको उत्तर भारत के कुछ ऐसे ठेठ त्यौहार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको जान कर आपको अपने गांव की याद आ जायेगी।
हलदा का त्यौहार
यह हिमाचल प्रदेश का सबसे फेमस त्यौहार हैं। यह त्योहार लाहौल जिले में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी के महीने में मनाया जाता है और लामास इस त्योहार की सही तारीख तय करता है। यह त्योहार धन की देवी `शिस्र आपा ‘के सम्मान में मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्यौहार
सिखों के लिए लोहड़ी खास मायने रखती है।यह त्योहार पूरे विश्व में मनाया जाता है।जिसे मकर संक्रांति से एक दिन पहले 13 जनवरी को पंजाब में विशेष रूप से हिंदू और सिख धर्म द्वारा बहुत ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी मूल रूप से सूर्य देव को समर्पित है। हालांकि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में ये त्यौहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।लोहड़ी का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पौष माह की आखिरी रात में मनाया जाता है।
तीज का त्यौहार
तीज एक मॉनसूनी त्यौहार है जिसे हरियाली तीज और श्रावण तीज के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाये अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है।मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने मां पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाना स्वीकार किया था। इसी उपलक्ष्य में भी तीज का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार अमूमन हर साल मॉनसून के महीने जुलाई में ही मनाया जाता है। इस त्योहार को मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ में मनाया जाता है।
गंगा दशहरा का त्यौहार
गंगा दशहरा उत्तराखंड का एक लोकप्रिय उत्सव है जिसे वहाँ पर बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है।सभी नदियों में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है।यह त्यौहार भक्ति और विश्वास का दिन है। गंगा में बड़ी संख्या में लोग पापों से मुक्ति पाने के लिए स्नान करते हैं।रात के समय भक्त गंगा नदी को मिठाइयों और फूलों की पत्तियां भेंट करते हैं।मान्यताओं के अनुसार इसी दिन पवित्र नदी गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी। इसी कारण उत्तराखण्ड के सभी घाटो पर यह त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।यह त्यौहार मई और जून के माह में हिंदू कैलेंडर के अमावस्या की रात से शुरू होता है और दशमी तिथि (10 वें दिन) पर समाप्त होता है।
छठ पूजा का त्यौहार
छठ पूजा बिहार राज्य का बहुत ही प्रसिद्ध त्यौहार है।यह त्यौहार भगवान सूर्य की उपासना का पर्व है।इस पर्व के दौरान सभी लोग नदियों और अन्य जल निकायों पर एकत्र होकर छठ मैया या गंगा मैया के सम्मान में दीप,धुप आदि जला कर पूजा और उपासना करते है।यह पर्व अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।इस पर्व की धूम बिहार में एक हफ्ते तक होती है।लोग नए कपडे पहनते है साथ ही छठ पूजा के गीत और भजन से पुरा माहौल बहुत ही खुशनुमा होता है।
बैसाखी का त्यौहार
बैशाखी सिखों का एक प्रमुख त्यौहार है।यह त्यौहार पंजाब राज्य में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।यह त्यौहार हर वर्ष अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार अच्छी फसल की पैदावार के लिए मनाया जाता है।इस पर्व को खालसा के गठन की स्मृति के रूप में मनाया जाता है।
सिख समुदाय के लोग इस त्योहार को गिद्दा और भांगड़ा जैसे स्थानीय लोक नृत्यों के साथ बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं।
होली का त्यौहार
होली हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है जो लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है परंतु ये त्यौहार उत्तर भारत में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।इसे "रंगों के त्यौहार" के नाम से भी जाना जाता है।यह त्यौहार मार्च के महीने में हिंदू चंद्र कैलेंडर के फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।यह त्योहार भाईचारे का प्रतीक है। इस त्योहार पर देशभर में लोग रंगों से खेलते हैं।उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बरसाना में लट्ट मार होली भी बहुत लोकप्रिय है। रंगों और पानी के इस त्योहार पर कई जगहों पर मिट्टी की हांडी में माखन भरकर उसे तोड़ने का रिवाज़ भी है।
जन्माष्टमी का त्यौहार
हिन्दुओं का यह त्यौहार श्रावण (जुलाई-अगस्त) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भारत में मनाया जाता है।उत्तर प्रदेश के वृन्दावन के मन्दिरों में इस अवसर पर खर्चीले व रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं।हिन्दु पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण का जन्म, मथुरा के असुर राजा कंस, जो उसकी सदाचारी माता का भाई था, का अंत करने के लिए हुआ था।यह त्यौहार विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। कहीं रंगों की होली होती है तो कहीं फूलों और इत्र की सुगंध का उत्सव होता है तो कहीं दही हांडी फोड़ने का जोश और कहीं इस मौके पर भगवान कृष्ण के जीवन की मोहक छवियां देखने को मिलती हैं।
ईद-उल-फितर का त्यौहार
ईद-उल-फितर रमजान के उपवास महीने के अंत का प्रतीक है। ईद की असली मस्ती और जश्न का असली मजा जम्मू कश्मीर में देखा जाता है जहा मुस्लिम समुदाय के लोग इसी बड़े प्यार और धूमधाम के साथ मनाते है!ईद-उल-अज़हा एक समान रूप से महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो क़ुर्बानी (बलिदान) के लिए अधिक प्रमुख है। इस दिन लोग बकरियों, भेड़ों और कुछ ऊंटों की भी बलि देते हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।