भारत में सदियों से धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन पर पुरुषों की सत्ता कायम रही है। इसके बावजूद महिलाओं ने अपना योगदान इतिहास में हमेशा दर्ज कराया है। भारत का सबसे प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल भले ही एक पुरुष द्वारा निर्मित कराया गया, परन्तु इसे एक महिला के लिए ही बनवाया गया था। शायद बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि मात्र ताजमहल ही किसी महिला से संबंधित नहीं है, बल्कि भारत में बहुत से ऐसे स्मारक और इमारतें है जो महिलाओं द्वारा निर्मित है।
यह श्रृंखला भारतीय इतिहास की उन महिलाओं की बात करती है, जिन्होंने देश को ऐसे खूबसूरत स्मारक दिए। आईये उनके भुला दिये गये योगदान पर एक नज़र डाले –
1. इतमाद उद दौला, आगरा -
मुगल बादशाह अकबर के बेटे जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां के पिता मिर्जा गियास बेग को एतमादुद दौला का खिताब दिया था। एतमादुद दौला और उनकी पत्नी अस्मत जहां का यह मकबरा 1622 से 1628 के बीच उनकी बेटी नूरजहां ने बनवाया था। इस मकबरे की भव्यता और महिमा को देखकर ऐसा लगता है कि यह ताजमहल की पूर्ववर्ती रचना या ड्राफ्ट हो। इसी कारण इसे बेबी ताज और ज्वेल बॉक्स भी कहा जाता है।
2. विरुपाक्ष मंदिर, पट्टदकल -
हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।विरुपाक्ष मंदिर 740 ई.पू. में रानी लोकमहादेवी द्वारा अपने पति राजा विक्रमादित्य द्वितीय की पल्लव शासकों पर विजय के उपलक्ष्य में पट्टदकल में बनवाया गया था। यह मंदिर निर्माण में उत्तर भारतीय नागर कला और दक्षिण भारतीय द्रविड़ कला का एक सुन्दर और अद्भुत मिश्रण है। रानी लोकमहादेवी के द्वारा निर्मित कराये जाने के कारण यह ऐश्वर्यशाली, अद्भुत मंदिर लोकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
3. हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली -
इस मकबरे का निर्माण हुमायुं की पत्नी हमीदा बानु बेगम ने करवाया था। जिसमें भारतीय और पारसी शिल्पकारों द्वारा संयुक्त रुप से किया गया था। यह भारतीय इतिहास में पहला ऐसा मकबरा है, जिसमें पारसी गुम्बद का प्रयोग किया गया था।
4. रानी का वाव, पाटन -
अपने प्रकार की यह इकलौती बावड़ी ”रानी की वाव” चारों तरफ से बेहद आर्कषक कलाकृतियों और मूर्तियों से घिरी हुई है। इस ऐतिहासिक बावड़ी का निर्माण 11वीं सदी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव की याद में उनकी पत्नी रानी उदयमती ने करवाया था। सरस्वती नदी के किनारे स्थित इस बावड़ी को इसकी अद्भुत एवं विशाल संरचना की वजह से यूनेस्को द्धारा साल 2014 में विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल किया गया है।
5. खैर अल - मंजिल, दिल्ली -
दिल्ली में स्थित पुराने किले के बिल्कुल सामने प्रभावी ढंग से निर्मित दो मंजिला इमारत ख्यार अल-मंजिल का निर्माण 1561 में माहम अंगा द्वारा करवाया गया था। माहम अंगा बादशाह अकबर की सबसे शक्तिशाली परिचारिका थी। दरबार की अत्यंत प्रभावशाली महिला, जिन्होंने अकबर के बचपन में मुगल साम्राज्य पर संक्षिप्त रूप से शासन किया। इस मस्जिद में पाँच ऊँचे मेहराब है, जो इबादतगाह की ओर निर्मित है। इस मस्जिद में अत्यंत सुंदर शिलालेख निर्मित है। लाल बलुई पत्थरों द्वारा निर्मित इसका बड़ा व भारी द्वार अत्यंत प्रभावशाली है।
6. लाल दरवाजा मस्जिद, जौनपुर -
नगर के बेगमगंज मुहल्ले में स्थित लाल दरवाजा का र्निमाण सन् 1450 ई0 में इब्राहिम शाह शर्की के पुत्र महमूद शाह शर्की की पत्नी बीबी राजे ने करवाया था। इमारत का मुख्य दरवाजा लाल पत्थरों से निर्मित है जिसे चुनार से मंगवाया गया था। इमारत का बाहरी क्षेत्रफल 196 गुने 171 फीट के लगभग है। इसमें मध्य के हर तरफ महिलाओं के बैठने का स्थान है जहां सुन्दर बारीक झझरियां कटी हुई है। इसके दो स्तम्भों पर संस्कृत तथा पाली भाषा में कुछ लिखावट उत्कीर्ण है, जिसमें संवत् व कन्नौज राजाओं के नामातिरिक्त कुछ विशेष अर्थ नही निकलता।
7. मीरजान किला, गुमता -
मिरजान किला कर्नाटक के पूर्वी कन्नड़ जिले के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है। यह किला ऊंची दीवारों और ऊंचे गढ़ों की डबल परत से घिरा हुआ है, जिसे गरसोप्पा की रानी, चेन्नाभैरादेवी द्वारा बनवाया गया। उन्हें रैना दे पिमेंता भी कहा जाता था जिसका मतलब काली मिर्च की रानी है। उनका नाम काली मिर्च पर इसलिए पड़ा क्योंकि वो उस जगह शासन करती थीं जहां काली मिर्च की ज्यादा पैदावार होती थी।
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