खाना पसंद करने वाले लोगों के लिए उत्तर प्रदेश किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां आपको बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और कैफेज़ बेशक मिल जाएंगे लेकिन उत्तर प्रदेश का असली स्वाद तो आपको यहां की गलियों, नुक्कड़ों, ठेलों और घरों में ही मिलेगा। उत्तर प्रदेश जहां एक तरफ चाट की जन्मभूमि है वहीं दूसरी तरफ यहां अवधी क्यूज़ीन की रिचनेस भी है।
यहां आपको बनारस का सात्विक भोजन भी मिलेगा और लखनऊ का नवाबी स्वाद भी। यहां जितनी वरायटी नमकीन खाने की है उतनी ही वरायटी मीठे की भी है। यहां के खाने की खासियत उसके मसालों और पकाने के तरीके में है।
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निमोना
सर्दियों में जब अच्छी और मीठी हरी मटर मिलती है तब उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बनता है इसी मटर का निमोना। ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक बहुत पॉपुलर डिश है जिसमें मटर को दरदरा पीसकर उसे टमाटर और मसालों के साथ पकाया जाता है। कुछ लोग इसमें फ्राय किए आलू या वड़ियां भी मिलाते हैं। ये प्याज़-लहसुन के साथ और इसके बिना दोनों तरह से ही बनती है।
टमाटर की चाट
ये एक बहुत ही अलग तरह की चाट है जो आपको बनारस के अलावा और कहीं नहीं मिलेगी, यहां तक की उत्तर प्रदेश के भी किसी और शहर में नहीं मिलेगी। ये टमाटर की एक खट्टी-मीठी-तीखी ग्रेवी होती है, जिसमें मसालों का भरपूर स्वाद मिलेगा आपको। इसे क्रश किए हुए गोलगप्पों और सेव के साथ मिट्टी के कुल्हड़ में सर्व किया जाता है।
धनिया आलू
चाट की ये वरायटी आपको कानपुर और इसके आसपास के कुछ इलाकों में ही मिलेगी। देखा जाए तो ये दूसरी चाट डिशेज़ के मुकाबले काफी हेल्दी है क्योंकि इसमें उबले आलूओं को हरे धनिये की तीखी चटनी में लपेटा जाता है। फिर खाने वाले की पसंद के हिसाब से दही और चटनी के साथ सर्व किया जाता है।
पालक पत्ता चाट
अब भले ही आपको पालक पत्ता चाट फैंसी गार्निश और प्लेटिंग के साथ बड़े शहरों के कैफेज़ और रेस्टोरेंट्स में भी मिलने लगी हो लेकिन इसका जन्म उत्तर प्रदेश में ही हुआ है। इसमें पालक के पत्तों को बेसन के बैटर में डुबोकर डीप फ्राई किया जाता है और उसके बाद तरह-तरह की चटनियों, मसालों, दही और सेव डालकर सर्व किया जाता है।
लाल पेडा
अगर आपने मथुरा के मशहूर लाल पेड़े के बारे में नहीं सुना तो यकीन मानिए आप लाइफ में काफी कुछ मिस कर रहे हैं। दूध को बड़ी-बड़ी कढ़ाहियों में चीनी और इलायची के साथ तब तक पकाया जाता है जब तक ये हल्के भूरे रंग के खोए का रूप नहीं ले लेता। इसका थोड़ा-थोड़ा हिस्सा मुट्ठी में बांध कर पेड़े का आकार दिया जाता है। इसमें एक कमाल का सोंधापन होता है जो आपको और किसी मिठाई में नहीं मिलेगा।
पेठा
दुनिया को आगरा की देन है पेठा। सफेद कद्दू के टुकड़ों को पहले चूने के पानी में पका कर और फिर चाशनी में पका कर बनता है पेठा। पहले सिर्फ एक तरह का सिंपल पेठा मिला करता था लेकिन समय के साथ इसके फ्लेवर्स के साथ कई तरह के एक्सपेरिमेंट किए गए हैं। अब आपको पान फ्लेवर से लेकर चॉकलेट फ्लेवर जैसे कई पेठे मिल जाएंगे।
गलौटी कबाब
नवाबों के शहर की ये एक बहुत ही स्वादिष्ट देन है। गलौटी या गलावट के कबाब के नाम से मशहूर इस डिश का ये नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि ये मुंह में रखते ही घुल जाता है। इसके लिए आमतौर पर मटन कीमा में कई तरह के मसाले, केवड़ा, भुने प्याज़ का पेस्ट आदी मिला कर एक मिश्रण तैयार किया जाता है और फिर इससे कबाब बनाकर तवे पर धीमी आंच पर सेंका जाता है।
बेड़ई या बेड़मी
ये एक तरह की मोटी पूड़ी या खस्ता होता है जो आगरा और उसके आसपास के हिस्सों में काफी मशहूर है। इसमें आटे की कवरिंग काफी मोटी और फ्लेकी होती है। इसमें उड़द की दाल की स्टफिंग की जाती है और फिर डीप फ्राय किया जाता है। इसे आलू की रसेदार या सूखी सब्जी के साथ सर्व किया जाता है।
सोहाल
ये स्वादिष्ट डिश अब लगभग गायब ही हो गई है लेकिन ये फिर भी आपको पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मिल ही जाएगी। मैदे की बड़ी-बड़ी पापड़ियों को तोड़ कर चने की रसेदार सब्जी, आलू की सूखी सब्जी, चटनी और कच्चे प्याज़ के साथ सर्व किया जाता है। ये एक पुराना और ट्रेडिशनल स्ट्रीट फूड है।
बैंगन की लौंजी
ये एक बहुत ही पॉपुलर और स्वादिष्ट डिश है जिसे वो लोग भी शौक से खा लेते हैं जिन्हें बैगन पसंद नहीं होता है। इसमें छोटे या लंबे बैंगनों में बीच से चीरा लगाता जाता है और फिर उसमें प्याज़, लहसुन और कई तरह के मसालों से तैयार किया गया भरांवन स्टफ किया जाता है और फिर इन्हें सरसों के तेल में शैलो फ्राय किया जाता है।
टोकरी चाट
ये नॉर्मल चाट का एक फैंसी वर्ज़न है जिसकी शुरुआत लखनऊ में हुई। इसमें आलू के लच्छों से एक कटोरी या टोकरीनुमा डीप फ्राइड चीज़ बनाई जाती है, फिर इसमें आलू की टिक्की को चटनी और मसालों के साथ सर्व किया जाता है।
रेवड़ी
ये एक मीठा स्नैक है जो लखनऊ और उसके आसपास के हिस्सों में काफी पॉपुलर है। इसमें रोस्टेड तिल और चीनी या गुड़ को मिक्स कर के छोटे-छोटे बटन के आकार के क्रिस्पी फ्लैट गोलियां बनाई जाती हैं।
गुजिया
होली का त्यौहार उत्तर प्रदेश में तब तक पूरा नहीं माना जाता जब तक घर में गुझिया ना बने। मैदे की पतली पूड़ियों के अंदर खोए, चीनी और मेवों का मिश्रण भरा जाता है और फिर इसे आधे चांद का आकार देकर घी या तेल में डीप फ्राय किया जाता है। कुछ लोग इसे चाशनी में भी डुबोते हैं। उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दिवाली के वक्त भी गुझिया बनती है और कई घरों में इसमें रवे का भी मिश्रण भरा जाता है।
फरा
दाल, मसालों और आटे से बनी ये डिश अपने आपमें एक कंप्लीट मील है। ये उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार के कई हिस्सों में भी बनती है। इसमें उड़द उड़द की दाल को अदरक, लहसुन और मसालों के साथ पीसकर गेहूं के आटे या चावल के आटे में भर कर भाप में पकाया जाता है। कुछ घरों में उड़द दाल की स्टफिंग की जगह चने की दाल की स्टफिंग भी की जाती है।
काकोरी कबाब
ये एक और बेहद टेस्टी अवधी डिश है जिसको अपना नाम लखनऊ के पास ही बसे शहर काकोरी से मिला है जहां इसे पहली बार बनाया गया था। इसमें मटन कीमा और बहुत चुनिंदा मसालों के साथ लोहे की सलाखों पर लगाकर कोयले पर सेका जाता है।
कीमा पुलाव
लखनवी या अवधी बिरयानी की तो आपने काफी तारीफ सुनी होगी लेकिन ऐसी ही एक डिश जिसका कम ही ज़िक्र होता है वो है कीमा पुलाव का। ये भी अवधी शासकों की ही देन है। इसमें चिकेन या मटन पीसेज़ की जगह कीमा का इस्तेमाल होता है और ये बिरयानी के मुकाबले कम मसालेदार होता है। इसमें दही, देसी घी और मलाई का काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है।
ठंडाई
होली का ज़िक्र आते ही रंगों के बाद सबसे पहले जिस चीज़ का ध्यान आता है वो है ठंडाई। ये ठंडाई उत्तर प्रदेश की ही देन है। तरह-तरह के मेवों, सौंफ, कालीमिर्च, इलायची, केसर, गुलाब की पंखुड़ियों और ऐसी ही कई चीज़ों को बिल्कुल बारीक पीसा जाता है और फिर इसे कच्चे दूध में मिला कर तैयार की जाती है ठंडाई। ये भांग के साथ और भांग के बिना दोनों तरह से बनती है। बनारस की गलियों में आपको बारह महीने ठंडाई मिल जाएगी।
मक्खन मलाई
लखनऊ में निमिश, बनारस में मलइयो और कानपुर में मक्खन मलाई के नाम से मशहूर ये लाइट और फ्लफी डेज़र्ट सिर्फ नवंबर से मार्च तक ही मिलता है। इसे बनाना बहुत ही मेहनत का काम है, जिसमें सधे हुए हाथों की ज़रूरत पड़ती है, इसीलिए इसे घर पर बनाना काफी मुश्किल है। दूध को ओस में रखा जाता है और भोर में उठकर मथा जाता है। मथने के दौरान जो झाग ऊपर उठता है उसे इकट्ठा कर के अलग रखा जाता है। इसमें केसर, चीनी और मेवे मिलाकर तैयार होती है मक्खन मलाई।
तहरी
ये एक बहुत ही पॉपुलर डिश है जो उत्तर प्रदेश के लगभग हर घर में बनती है और हर परिवार का इसे बनाने का अलग तरीका होता है। इसमें चावल को प्याज़, टमाटर, आलू और मसालों के साथ पकाया जाता है। बहुत से लोग इसमें गाजर, मटर, फूलगोभी जैसी सब्जियां भी डालते हैं। इसमें बहुत ज़्यादा मसालों का इस्तेमाल नहीं होता है और इसका असली मज़ा दही, अचार और पापड़ के साथ आता है।
हम उम्मीद करते हैं कि ये जानकारी आपके काम आएगी।
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