अल्मोड़ा उत्तराखंड के सबसे बड़े और प्रमुख शहरों में से एक है। अल्मोड़ा शहर को सांस्कृतिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ कई ऐतिहासिक धरोहर हैं जिनको आप आज भी देख सकते हैं। बड़ी संख्या में सैलानी इस सुंदर शहर में घूमने के लिए आते हैं। अल्मोड़ा के बाज़ार भी अपने आप में काफ़ी अहमियत रखते हैं। आज भी दूरदराज़ से लोग अल्मोड़ा में बाज़ार करने के लिए आते हैं। अल्मोड़ा में कई सारे बाज़ार हैं जिनकी अपनी ख़ासियत है। आज हम आपको अल्मोड़ा के इन्हीं बाज़ारों की सैर पर ले चलते हैं।
अल्मोड़ा के बाज़ार:
1. चौघनपाटा
अल्मोड़ा के बाज़ारों की सैर की शुरूआत आप चौघनपाटा से कर सकते हैं। यहाँ पर पर्यटक आवास हैं जिस वजह से यहाँ लोगों की चहल पहल बनी रहती है। इस बाज़ार से पिथौरागढ़, बागेश्वर और नैनीताल के लिए रास्ते जाते हैं। अल्मोड़ा के बाज़ार राजा कल्याण चंद के समय (1560-1568) से स्थापित होना शुरू हुए। राजा कल्याण चंद ने 1563 में अपनी राजधानी चंपावत से स्थानांतरित कर अल्मोड़ा कर दी थी।
2. कारख़ाना बाज़ार
अल्मोड़ा में लाला बाज़ार से एक रास्ता कारख़ाना बाज़ार की ओर जाता है। कारख़ाना बाज़ार में कई सारी चीजों के कारख़ाने हैं। इसके अलावा यहाँ पर लकड़ी के खूबसूरत कई सारे घर हैं, जिनको देखकर आपको पुराने समय की याद आ जाएगी। इन घरों के दरवाज़ों को खोली के नाम से जाना जाता है। इन पर भगवान कृष्ण, गणेश, दुर्गा देवी समेत कई देवी-देवताओं के चित्रों को उकेरा गया है। अगर आपको अल्मोड़ा में कुछ भी बनवाना है तो कारख़ाना बाज़ार का रास्ता पकड़ें।
3. कचहरी बाज़ार
कारख़ाना बाज़ार से सटा हुआ एक और बाजार है, जो अल्मोड़ा के बाज़ार का इतिहास समझने के लिए काफ़ी है। इस बाज़ार को कचहरी बाज़ार या दरबार बाज़ार के नाम से जाना जाता है। अल्मोड़ा अपने शानदार और बढ़िया गुणवत्ता के ताँबे के बर्तन के लिए जाना जाता है। ताँबे के पारंपरिक ताम्रकार को तमता भी कहा जाता है। चंद वंश के पतन के बाद ताँबे के बर्तन आर सजावटी सामान में विविधता आई। आप ताँबे के बर्तनों की यहाँ ख़रीदारी कर सकते हैं।
4. लाल बद्री साह निवास
जब आप अल्मोड़ा के कचहरी बाज़ार में टहल रहे हों तो लाल बद्र साह निवास को देखना ना भूलें। लाल बद्री साह वो व्यक्ति थे जिन्होंने अल्मोड़ा प्रवास के दौरान स्वामी विवेकानंद की मेज़बानी की थी। 1890 में स्वामी विवेकानंद अल्मोड़ा आए थे और लाल बंदरी साह निवास में ठहरे थे। कहा जाता है कि उस दौरान एक व्यक्ति को भूत लग गया था। स्वामी विवेकानंद ने उस व्यक्ति को अपने हाथ से आशीर्वाद दिया और फ़ौरन वो पूरी तरह से ठीक हो गया। इस निवास के बारे में ऐसी ही कई विचित्र कहानियाँ हैं।
5. पलटन बाज़ार
पलटन बाज़ार अल्मोड़ा के सबसे प्रमुख बाज़ारों में से एक है। इस बाज़ार को देखे बिना अल्मोड़ा के बाज़ारों की सैर अधूरी मानी जाएगी। पलटन बाज़ार की स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा कल्याण चंद के शासनकाल में हुई थी। पलटन बाज़ार में एक शानदार क्लॉक टावर भी है। इसके अलावा यहाँ पर स्वतंत्रता सेनानी विक्टर मोहन जोशी और भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां हैं जो देश के स्वतंत्रता संग्राम में अल्मोड़ा के योगदान की याद दिलाती हैं।
6. जौहरी बाज़ार
अल्मोड़ा में ख़ज़ांचियों की बस्ती के पास में जौहरी बाज़ार है। यहाँ पर आप कुमाऊँ के पारंपरिक आभूषणों की ख़रीदारी कर सकते हैं। इन पारंपरिक आभूषणों में नथ, चारौ- काले मोतियों की माला, कांच, सोने और चाँदी की चूड़ियाँ शामिल हैं। जौहरी बाजा में कुछ पश्मीना और अंगोरा ऊन की भी दुकानें है। इनका उपयोग कुमाऊँ की पारंपरिक पोशाक में होता है।
अगली बार जब अल्मोड़ा जाएँ तो पर्यटन स्थलों के अलावा इन बाज़ारों को भी देखने की कोशिश करें। यक़ीन मानिए आपको अल्मोड़ा और भी सुंदर लगने लगेगा।
क्या आपने उत्तराखंड के अल्मोड़ा की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।