महालक्ष्मी मंदिर:जहां साल में केवल तीन दिन ही सूर्य की किरणे मंदिर के गर्भ गृह में करती है प्रवेश

Tripoto
16th Oct 2023
Photo of महालक्ष्मी मंदिर:जहां साल में केवल तीन दिन ही सूर्य की किरणे मंदिर के गर्भ गृह में करती है प्रवेश by Priya Yadav


        हमारे देश में देवी मां के न जाने कितने ही मंदिर है और सभी से अलग अलग आस्था  जुड़ी है।कहीं कोई चमत्कार तो कहीं कोई रहस्य सभी को हैरत में डाल देता है।ऐसा ही मां लक्ष्मी को समर्पित एक मंदिर है जो महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है।इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि बस साल के तीन दिन ही सूर्य की किरणे माता की मूर्ति पर पड़ती है और बाकी के दिन सूर्य की रोशनी गर्भ गृह में प्रवेश तक नहीं करती।है न यह आश्चर्य की बात इस घटना को देखने के लिए उन तीन दिनों में लाखो श्रद्धालु दूर दूर से आते है।आज हम आपको इसी मंदिर के विषय में बताएंगे।तो आइए जानते है इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में।

Photo of महालक्ष्मी मंदिर:जहां साल में केवल तीन दिन ही सूर्य की किरणे मंदिर के गर्भ गृह में करती है प्रवेश by Priya Yadav


कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर को पुराणों में वर्णित 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण चालुक्य राजा कर्णदेव ने 634 ईस्वी में करवाया था।परंतु जब मुगल भारत आए तो उन्होंने इस मंदिर को नष्ट करवा दिया।लेकिन मंदिर के पुजारी ने मंदिर में स्थित मां लक्ष्मी की प्रतिमा को छुपा दिया।बाद में महाराज संभाजी के राज काल के दौरान इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया और मूर्ति स्थापित किया गया।ये मंदिर लगभग 1300 साल पुराना है।अद्भुत नक्काशी और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना आपको इस मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलेगा।इस मंदिर में स्थित मां अंबाजी को महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी माना जाता है।मंदिर में स्थापित मां लक्ष्मी की मूर्ति लगभग 3 फीट ऊंची है।गर्भ गृह में माता लक्ष्मी के अलावा महाकाली और महासरस्वती की प्रतिमा भी स्थापित है।

महालक्ष्मी मंदिर से जुड़ी कथा

कहा जाता है कि माता सती के पिता दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन की और ब्रह्मांड के सभी देवी देवता को उसमे बुलाया सिवाए अपनी बेटी सती और उनके पति शिवजी को इस अपमान से क्षुब्ध होकर देवी सती ने स्वयं को उस यज्ञ की अग्नि में आहुति दे दी।जब शिवजी को यह बात पता चली तो वे सती के मृत शरीर को हाथ में उठाए पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे।तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से माता के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए।ये टुकड़े जहां जहां गिर वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में अमर हो गया। जहां माता सती के नेत्र गिरे वह स्थान ही महालक्ष्मी मंदिर है।

Photo of श्री महालक्ष्मी - अम्बाबाई टेम्पल, कोल्हापुर by Priya Yadav

    एक अन्य कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से नाराज हो कर कोल्हापुर चली आई और इसी जगह रहने लगी जहां पर मंदिर स्थापित है।जब विष्णु भगवान उन्हें मना कर ले जाने के लिए आए तो माता लक्ष्मी लौटकर नहीं गई ।बल्कि इसी स्थान को उन्होंने अपना निवास स्थान बना लिया।

नहीं गिने जा सकते इसके खंभे

यह मंदिर परिसर अपने आप में स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण है।इस मंदिर के चारों दिशाओं में एक एक दरवाजा है।मंदिर के चारों तरफ जो खंभे बने हैं उनके बारे में कहा जाता है कि आज तक इसे कोई भी गिन नही पाया है।जब भी किसी ने इनको गिनने की कोशिश की है उसके साथ कोई न कोई अनहोनी जरूर हुई है इसलिए इस मंदिर परिसर में इन खंभों को गिनने की अनुमति नहीं है।यहां तक की कैमरे की मदद से भी इसे कई बार गिनने का प्रयास किया गया है पर उसमे भी नाकामयाबी ही मिली है।ऐसा क्यों है इसका पता कोई नही लगा पाया है।बल्कि विज्ञान ने भी इसके सामने घुटने टेक दिए हैं।

Photo of महालक्ष्मी मंदिर:जहां साल में केवल तीन दिन ही सूर्य की किरणे मंदिर के गर्भ गृह में करती है प्रवेश by Priya Yadav


मंदिर में बस तीन दिन सूर्य की किरणें करती है प्रवेश

इस मंदिर की जो सबसे रोचक बात है वो ये है कि हर साल बस तीन दिन ही सूर्य की रोशनी माता के प्रतिमा पर पड़ती है।इस घटना को देखने के दूर दूर से श्रद्धालु यहां आते है।साल में दो बार उत्तरायण और दक्षिणायन में सूर्यास्त के वक्त सूर्य विशेष स्थिति में आता है तब पहले दिन सूर्य की किरणें माता के पैरो पर ,दूसरे दिन माता के शरीर पर तीसरे दिन माता के मुख पर पड़ती है।ऐसा इस लिए क्योंकि इस मंदिर के निर्माण के समय ग्रहों की बहुत ही सटीक गरणा की गई है।जो आज के वैज्ञानिक युग में भी शायद ही संभव हो।

नवरात्रि और दिवाली पर होती है विशेष रौनक

मां लक्ष्मी के इस मंदिर में नवरात्रि और दिवाली पर काफी भीड़ होती है।माता के नौ रूपों में माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है इस कारण नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालु माता के दर्शन करने दूर दूर से आते है।कहते है सच्चे मन से मांगी गई दुआ जरूर पूरी होती है।साथ ही दिवाली के धनतेरस पर यहां पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।कहते है ऐसे करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है और कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है।

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कैसे पहुंचें

फ्लाइट से

अगर आप फ्लाइट से कोल्हापुर जाना चाहते है तो आपको बता दें की कोल्हापुर के लिए सीधी कोई भी फ्लाइट कनेक्टिविटी नहीं है उसके लिए आपको कोल्हापुर के नजदीकी हवाई अड्डा पुणे या मुंबई पहुंचना होगा जो को कोल्हापुर से 240 और 221 किमी की दूरी पर स्थित है।

ट्रेन से

यदि आप ट्रेन से कोल्हापुर जाना चाहते है तो आपको बता दे की कोल्हापुर का खुद का रेलवे स्टेशन है जिसे छत्रपति शाहू महाराज रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है।जहां से मुंबई, नागपुर, पुणे, तिरुपति, जैसे शहरों से दैनिक ट्रेनें उपलब्ध है जबकि अन्य शहरों से साप्ताहिक ट्रेनें मौजूद है।

सड़क मार्ग से

कोल्हापुर की सड़क कनेक्टिविटी काफी अच्छी है और यहां नियमित बसों का संचालन यहां के निकटवर्ती शहरो से होता रहता है तो आप यहां सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते है।

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