कुल्लू की पुरानी राजधानी रहा नग्गर को मैंने कुछ इस तरह से किया एक्सप्लोर

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Photo of कुल्लू की पुरानी राजधानी रहा नग्गर को मैंने कुछ इस तरह से किया एक्सप्लोर by Rishabh Dev

कुछ जगहें ऐसी होती हैं जो होती हैं बहुत खूबसूरत लेकिन कम लोगों को पता होता है। ऐसी जगहों पर जाना तो आसान होता है लेकिन कैसे पहुँचे, ये थोड़ा मुश्किल होता है। हिमाचल प्रदेश के मंडी पहुँचने के बाद हम भी सोच रहे थे कि नग्गर कैसे पहुँचे? मंडी में कुछ लोगों से पूछा तो उन्होंने पतलीकोहुल जाने को कहा। हम मंडी बस स्टैंड पर पतलीकोहुल जाने के लिए पहुँच गए। वहाँ पता चला कि नग्गर के लिए पतलीकोहुल जाने की ज़रूरत नहीं है। कुल्लू से नग्गर के लिए बस चलती है। हम मंडी से कुल्लू वाली बस पर चढ़ गए।

कुल्लू

कुल्लू बस स्टैंड।

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मंडी से कुल्लू की दूरी लगभग 70 किमी. है। रास्ता एकदम बढ़िया है। बस ने हमें ढाई घंटे में कुल्लू पहुँचा दिया। कुल्लू हिमाचल प्रदेश का एक जिला मुख्यालय है और समुद्र तल से 1279 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कुल्लू बस स्टैंड को देखकर मैं को दंग रह गया। कुल्लू का बस स्टैंड तो एकदम हाईटेक है। हिमाचल प्रदेश में इतना अच्छा बस स्टैंड मैंने कहीं और नहीं देखा। कुल्लू बस स्टैंड पर थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद हमें नग्गर के लिए बस मिल गई।

नग्गर

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कुल्लू से नग्गर 22 किमी. की दूरी पर है। नग्गर कुल्लू ज़िले में आता है और समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ब्यास नदी के किनारे स्थित नग्गर पुराने समय में कुल्लू की राजधानी हुआ करती थी। कुल्लू से नग्गर का रास्ता एकदम संकरा है, जैसा अक्सर पहाड़ों में होता है लेकिन नज़ारे बेहद सुंदर है। लगभग 1 घंटे की यात्रा कब ख़त्म हो गई, हमें पता ही नहीं चला। इस प्रकार हम नग्गर पहुँच गए। हमने नग्गर में रूकने के लिए पहले से ही एक हॉस्टल में बात कर ली थी लेकिन वहाँ तक पहुँचने के लिए भारी भरकम सामान के साथ चढ़ाई करनी थी।

नग्गर।

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हम कुछ दूर तक पैदल चले लेकिन एक स्थानीय व्यक्ति ने हमें लिफ़्ट दे दी और हम कुछ मिनटों में अपने हॉस्टल में पहुँच गए। हॉस्टल का नाम है टैग्स स्टै। हमें अपने बजट में ठहरने के लिए एक अच्छी जगह मिल गई। मैंने अपने बेड पर सामान रखा और फिर तैयार होकर नग्गर को एक्सप्लोर करने के लिए निकल पड़े। सबसे पहले हम गौरीशंकर मंदिर पहुँचे। गौरीशंकर मंदिर नग्गर कैसल के पास में ही स्थित है। ये प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भागृह में गौरी-शंकर की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की नक़्क़ाशी बेहद शानदार है। कला व स्थापत्य की दृष्टि से ये मंदिर 11वीं-12वीं शताब्दी से संबंधित है। मंदिर को देखने के बाद हम नग्गर कैसल की तरफ़ निकल पड़े।

नग्गर कैसल

नग्गर कैसल।

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पैदल चलते-चलते हम नग्गर कैसल के पास पास पहुँच गए। नग्गर कैसल के पास में एक और प्राचीन मंदिर है, चतुर्भुज नारायण मंदिर। इस मंदिर के बारे में मंदिर परिसर में तो कोई जानकारी नहीं दी गई है। ये मंदिर दो होटलों के बीच में स्थित है। इस मंदिर को देखने के बाद हम नग्गर कैसल को देखने के लिए निकल पड़े। नग्गर कैसल के अंदर जाने का टिकट 50 रुपए है। नग्गर के इस पुराने महल को अब हेरीटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। पैलेस में आप ठहर भी सकते हैं। घूमने वाले इन कमरों के अंदर नहीं जा सकते हैं। नग्गर कैसल में एक मंदिर और एक बढ़िया कैफ़े भी है। इसके अलावा एक छोटा-सा म्यूज़ियम भी है। 500 साल पुराने इस महल को आज व्यवसाय का एक ज़रिया बना दिया गया है।

सजला वाटरफॉल

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नग्गर में एक दिन घूमने के बाद हमने एक दिन नग्गर में सिर्फ़ आराम किया, कहीं घूमने नहीं गए क्योंकि काफ़ी दिनों से लगातार यात्रा कर रहे थे। नग्गर के आसपास कई सारे वाटरफॉल हैं, इनमें से हमने सजला वाटरफॉल जाने का तय किया। सजला वाटरफॉल सजला गाँव में स्थित है। नग्गर से सजला गाँव 9 किमी. की दूरी पर स्थित है। हम नग्गर से मनाली जाने वाली बस में बैठ गए। लगभग 45 मिनट बाद हम सजला गाँव पहुँच गए।

सजला गाँव में लोगों से पूछते हुए हम सजला वाटरफॉल की तरफ़ चलने लोग। कुछ देर सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद एक प्राचीन मंदिर मिला। भगवान विष्णु को समर्पित ये मंदिर काफ़ी प्राचीन है। मंदिर की नक़्क़ाशी भी एकदम बेजोड़ है। सजला के इस मंदिर को देखने के बाद जंगल से गुजरते हुए कुछ देर में हम सजला वाटरफॉल पहुँच गए। जंगलों के बीच एक खूबसूरत वाटरफॉल हो और वहाँ आपके अलावा कोई और ना हो तो इससे सुंदर क्या ही हो सकता है। हम सुबह-सुबह जल्दी भी इसलिए आए थे लेकिन हमें ये पता नहीं था कि यहाँ हमारे अलावा कोई नहीं होगा। वाटरफॉल के पास में एक छोटा-सा कैफ़े है जहां आप नाश्ता कर सकते हैं।

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ब्यास नदी पर बना सजला वाटरफॉल वाक़ई में खूबसूरत है। 20 फ़ीट की ऊँचाई से गिरने वाला ये झरने देखकर मैं तो खुश हो गया। पानी बहुत ठंडा था लेकिन हिम्मत करके मैंने इस झरने के पानी में नहा ही लिया। लगभग हम यहाँ पर 2-3 घंटे रूके रहे। इसके बाद वापस नग्गर लौट आए। अगले दिन हम नग्गर से एक और जगह के लिए निकल गए। नग्गर में कुछ जगहें थीं जो हमें देखनी थीं लेकिन नहीं देख पाए। अगली बार कभी नग्गर गए तो उन जगहों को ज़रूर देखा जाएगा।

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