मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में

Tripoto
Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

मध्य प्रदेश को भारत का दिल कहा जाता है। मध्य प्रदेश में कई सारे अनगिनत नगीने हैं। कुछ जगहें तो बेहद शानदार हैं। उन्हीं में से एक है, खजुराहो। खजुराहो मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में आते है। छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो पन्ना से 40 किमी. की दूरी पर है। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि खजुराहो में सिर्फ मंदिर हैं। बहुत कम लोगों को पता हैं कि खजुराहो में मंदिर के अलावा बहुत कुछ है। मैंने हाल ही में मानसून के मौसम में खजुराहो की यात्रा की। यकीन मानिए मानसून में मैंने इससे खूबसूरत जगह नहीं देखी।

1- झांसी से खजुराहो

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में रहता हूं। मेरे घर से खजुराहो लगभग 150 किमी. की दूरी पर है। मैं एक बार पहले भी खजुराहो की यात्रा पर जा चुका हूं तो मुझे रास्ते का एक आइडिया तो है। सुबह 7 बजे मैं अपनी स्कूटी से खजुराहो के लिए निकल पड़ा। मौसम सुहावना था और बारिश के भी आसार लग रहे थे लेकिन मैं चाह रहा था कि बारिश ना हो। 1 घंटे के बाद मैं मऊरानीपुर पहुँचा और फिर वहाँ से छतरपुर जाने वाला रास्ता पकड़ लिया। नेशनल हाईवे 39 से होते हुए मैं 10:30 बजे खजुराहो पहुँच गया। मैंने एक होमस्टे में बात की थी। मैं खजुराहो की पुरानी बस्ती गया और होमस्टे को देखा। 500 रुपए में एसी वाला कमरा वाले तो कौन नहीं रहना चाहेगा।

2- रानेह वाटरफॉल

मैंने कमरे में सामान रखा और अब बारी थी खजुराहो को एक्सप्लोर करने की। सबसे पहले मैंने रानेह वाटरफॉल देखने का मन बनाया। रानेह वाटरफॉल खजुराहो से 22 किमी. दूर केन घड़ियाल सैंक्चुरी में है। मैंने स्कूटी उठाई और केन घड़ियाल सैंक्चुरी की तरफ चल पड़ा। लगभग पौने घंटे के सफर के बाद मैंने घड़ियाल सैंक्चुरी के गेट पर था। रानेह वाटरफॉल को देखने का टिकट 100 रुपए लगा। मैंने एक गाइड भी किया। यहाँ गाइड के लिए 125 रुपए देने होते हैं।

अब तक मैं अकेला यात्रा कर रहा था। अब मैं और गाइड दोनों स्कूटी से सैंक्चुरी में बढ़े जा रहे थे। रास्ते में एक जगह पर टिकट चेक हुआ और फिर आगे बढ़ गए। रास्ते में कुछ जगह कच्चा रास्ता मिला और फिर हम पहुँच गए रानेह वाटरफॉल। रानेह वाटरफॉल केन नदी पर बना हुआ। रानेह वाटरफॉल को देखकर मैं दंग रह गया। पानी इतना तेज गिर रहा था कि दिल खुश हो गया। बारिश के मौसम में केन घड़ियाल सैंक्चुरी में जगह-जगह से झरने बनते हैं। मैंने कई सारे झरने देखे।

3- पांडव वाटरफॉल और केव

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

पन्ना से 15 किमी. पहले एक खूबसूरत झरना है, पांडव वाटरफॉल। खजुराहो आएं तो इस जलप्रपात को देखना ना भूलें। केन सैंक्चुरी के बगल से एक रास्ता गया है जो सीधे एनएच 39 में मिलता है। रास्ते में आपको विशालकाय केन नदी मिलती है। रास्ते में पन्ना नेशनल पार्क के कई सारे गेट भी मिले लेकिन बारिश की वजह से नेशनल पार्क अभी बंद है। रास्ते में एक शानदार घाटी मिलती है। बुंदेलखंड में घुमावदार रास्ते कम ही मिलते हैं।

घने जंगलों से जाना वाला ये रास्ता आपको पहाड़ों की फील ला देता है। घाटी पार करने के कुछ देर बाद हम पांडव वाटरफॉल और केव पहुँच गया। टिकट लेकर अंदर गए और फिर 300 सीढियां नीचे गए तब जाकर झरना देखने को मिला। मानसून में पांडव वाटरफॉल भी लबालब भरा हुआ था। हमने कुछ देर झरना देखा और फिर प्राचीन गुफाओं को देखा। ये गुफाएं जर्जर हालत में हैं। झरने को देखने के बाद हम वापस खजुराहो लौट आए।

चतुर्भुज मंदिर

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

पांडव वाटरफॉल को देखने के बाद मैं होमस्टे लौट आया। घर से लाया हुआ खाना खाया और थोड़ी देर आराम किया। अब मेरे पास शाम का समय था तो कुछ मंदिरों को देखने का मन बनाया। उनमें चतुर्भुज मंदिर सबसे पहले देखने के लिए निकला। खजुराहो से लगभग 3 किमी. दूर एक गाँव जाटकारा गाँव। इसी गाँव में चतुर्भुज मंदिर है। चतुर्भुज मंदिर को 1100 इसवीं में बनवाया गया था। मंदिर में भगवान विष्णु की बड़ी सी मूर्ति है। मंदिर की नक्काशी बेहद शानदार है। खजुराहो से दूर होने की वजह से यहाँ घूमने वाले कम लोग मिले। इस मंदिर में जाने का कोई टिकट भी नहीं लगा। खजुराहो में पश्चिमी समूह मंदिर को छोड़कर किसी भी मंदिर में जाने का टिकट नहीं लगता है।

बीजामंडल मंदिर

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

चतुर्भुज मंदिर से एक किमी दूर एक और मंदिर है बीजामंडल मंदिर। ये मंदिर भी जाटकारा गाँव में आता है। खेतों के बीच में बना ये मंदिर जर्जर दिखाई पड़ा। इस मंदिर में जगह जगह पर नक्काशी वाले पत्थर पड़े हुए हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण शिवलिंग है। कहीं कहीं पर थोड़ी सी दीवार बने हुई है जिस पर बनी नक्काशी से मंदिर के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। मंदिर कैसे और कब टूटा और कब इसका निर्माण हुआ। इसके बारे में यहाँ कोई जानकारी नहीं है। बाद में जब कमरे पर गया तो होमस्टे के मालिक ने बताया कि हाल में ये मंदिर खुदाई में मिला है।

दुलादेव मंदिर

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

बीजामंडल मंदिर को देखने के बाद मैं लोगों से पूछते पूछते दुलादेव मंदिर पहुँच गया। दुलादेव मंदिर खजुराहो के सबसे नवीनतम मंदिर में से एक है। कहा जाता है कि ये खजुराहो का सबसे अंतिम मंदिर है जिसे सबसे बाद में बनाया गया था। इस मंदिर को 1000 से 1150 इसवी के दौरान चंदेल वंश के शासनकाल में बनवाया गया था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा होती है। मन्दिर की नक्काशी शानदार है। खजुराहो आएँ तो इस मंदिर में आना ना भूलें। शाम होने चली थी और सूर्यास्त होने वाला था। दुलादेव मंदिर को देखने के बाद मैं पश्चिमी मंदिर समूह की तरफ चल दिया। पश्चिमी मंदिर समूह के पास में एक शानदार और बड़ा सा तालाब है। पूरा तालाब कमल के फ़ूलों से भरा हुआ था। यहीं पर बैठकर मैंने शानदार सूर्यास्त देखा और फिर अपने होमस्टे आ गया। अगले दिन कुछ और नई जगह देखने जाना था।

दिन 2

पूर्वी मंदिर समूह

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

अगले दिन सुबह-सुबह उठा तो बहुत तेज बारिश हो रही थी। बारिश कम हुई तो मैं मंदिरों को देखने के लिए निकल पड़ा। मेरे होमस्टे के पास में पूर्वी मंदिर समूह के तीन मंदिर थे, ब्रम्हा मंदिर, जवारी मंदिर और वामन मंदिर। मैं सबसे पहले ब्रम्हा मंदिर को देखने गया। तालाब किनारे बना ये छोटा-सा मंदिर देखने में वाकई में खूबसूरत लग रहा था। नक्काशी भी शानदार देखने को मिली। पुष्कर के बाद मैंने दूसरा ब्रम्हा मंदिर देखा। ब्रम्हा मंदिर को देखने के बाद मैं जवारी मंदिर देखने के लिए चल पड़ा। ब्रम्हा मंदिर के पास में ही जवारी मंदिर है।

जवारी मंदिर के एक बड़े चबूतरे पर बना हुआ है। जब मैं वहाँ पहुँचा तो कड़ाके की बारिश हो रही थी। मैं कुछ देर मंदिर के अंदर ही बैठा रहा। उसके बाद जब बारिश धीमी नहीं हुई तो रेनकोट पहना और वामन मंदिर को देखने के लिए निकल पड़ा। बारिश की वजस से मंदिरों में भीड़ नहीं थी और मेरे लिए ये एक बढ़िया मौका था। मैं पैदल-पैदल ही वामन मंदिर पहुँच गया। वामन मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान वामन को समर्पित है। वामन मंदिर की नक्काशी बेहद दिलचस्प और देखने लायक है।

पश्चिमी समूह मंदिर

Photo of मानसून में ऐसे की मैंने मध्य प्रदेश के दिलकश खजुराहो की यात्रा, वो भी दो दिन में by Rishabh Dev

पश्चिमी समूह मंदिर खजुराहो की सबसे लोकप्रिय जगह है। खजुराहो के इस मंदिर समूह में जाने के लिए ऑनलाइन टिकट खुद से बुक करना पड़ता है। ऑर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया की बेवसाइट पर जाकर 50 रुपए का टिकट लिया। वीकेंड होने की वजह से पश्चिमी मंदिर समूह में काफी भीड़ थी। ऐसा लग रहा था कि मंदिर में कोई मेला लगा हो। अब मुझे जल्दी-जल्दी मंदिरों को देखना था। सबसे पहले लक्ष्मी मंदिर, नंदी मंडप, लक्ष्मण मंदिर, महादेव कांदरिया मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वनाथ मंदिर और पार्वती मंदिरों को देखने में काफी समय लग गया। इसके बाद आखिर में जैन मंदिर भी देखा। इस तरह दो दिन में मैंने खजुराहो की लगभग सारी जगहों को अच्छे से एक्सप्लोर किया। मानसून में खजुराहो देखने लायक होता है। आपको मानसून में एक बार खजुराहो जरूर आना चाहिए।

क्या आपने मध्य प्रदेश के खजुराहो की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads