इंद्रहार पास ट्रेक: कुदरती खूबसूरती से भरी एक ट्रेक जिसका रास्ता पहाड़ों के दिल से होकर गुजरता है

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Photo of इंद्रहार पास ट्रेक: कुदरती खूबसूरती से भरी एक ट्रेक जिसका रास्ता पहाड़ों के दिल से होकर गुजरता है by Deeksha

पहाड़ों में हर दिन कुछ नए नजारों वाला होता है। रातभर के आलस के बाद सुबह का सूरज कुछ नई ऊँचाइयों को छूने की आशा के साथ उगता है। हिमाचल भारत की उन जगहों में से है जहाँ से सबसे खूबसूरत सनराइज और सनसेट के नजारे दिखाई देते हैं। ये वो जगह भी है जहाँ सबसे कठिन लेकिन मजेदार ट्रेकिंग रास्तों का भी दुरुस्त इंतजाम है। हिमाचल में आते ही लगता है मानो प्रकृति से इंसानी दिमाग को शांत करने की जिम्मेदारी उठा ली है। हम रिलैक्स होने के लिए पहाड़ों का रुख करते हैं और ट्रेकिंग करने जाते हैं। हिमाचल की एक खूबसूरत ट्रेक है इंद्रहार पास ट्रेक जो आपको एकदम तरोताजा कर देगी।

इंद्रहार पास ट्रेक

कम शब्दों में कहा जाए तो इंद्रहार पास ट्रेक हिमालय के सबसे खूबसूरत ट्रेकिंग रास्तों में से है। हिमालय के खूबसूरत नजारे और जंगलों के बीच से गुजरने वाली ये ट्रेक पहाड़ों के सबसे खूबसूरत तोहफे में से है। ये ट्रेक पहाड़ों के शानदार नजारों से भरी हुई है। इसके साथ ही इस ट्रेक पर फूलों से भरे बुग्याल और धौलाधार पर्वतमाला का भी बढ़िया दृश्य देखने के लिए मिलेगा। इंद्रहर पास असल में कांगड़ा और चंबा घाटी के बीच में बना हुआ है जो दोनों को एक दूसरे से अलग करता है। इस पास की चोटी से नीचे के गाँवों का मोहक नजारा भी दिखाई देता है। अगर आपको रोमांच पसंद है और आप हिमाचल में हैं तब आपको ये ट्रेक जरूर करनी चाहिए।

इंद्रहार पास ट्रेक रूट

इस ट्रेक की शुरुआत मैक्लोडगंज से होती है। हिमाचल का मैकलोडगंज वो जगह है जो दलाई लामा का घर भी है। इस ट्रेक के शुरुआती 2 किलोमीटर में खड़ी चढ़ाई है लेकिन धर्मकोट गाँव के गालू देवी मंदिर के बाद ये चढ़ाई आसान होती जाती है। इसके बाद ट्रेक में आपको ढेर सारे छोटे झरनों के साथ-साथ बलूत और देवदार के पेड़ों का खूब साथ मिलेगा। इसके बाद आप चलते चलते त्रिउंड पहुँचेंगे। त्रिउंड टॉप से आपको नीचे बसी कांगड़ा घाटी के बेशकीमती नजारे दिखाई देंगे जो आपको बहुत अच्छे लगेंगे। हिमाचल के धौलाधार पर्वतमाला की मोहक छटा देखते ही आप दिल दे बैठेंगे।

ट्रेक के दूसरे हिस्से में आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी। इस हिस्से में आपको जगह जगह पर खड़ी चढ़ाई भी मिलेगी। इसके साथ ही आपको कुछ खूबसूरत झील भी देखने के लिए मिलेंगी। मंकियानी और करेरी झील की सुंदरता इस ट्रेक पर आने वाले घुमक्कड़ों को खुश कर देती है। ये दोनों झीलें इतनी सटीक जगह पर हैं जिससे आपको आराम करने के लिए भी अच्छी जगह मिल जाती है। झीलों के साथ-साथ आपको रास्ते में रोडोडेंड्रॉन के जंगल भी पर करने होंगे। हरे-भरे धौलाधार के बीच रोडोडेंड्रॉन के लाल फूलों की चमक देखने लायक होती है।

ट्रेक के तीसरे और आखिरी चरण में आपको अपने दिन की शुरुआत सुबह जल्दी कर देनी चाहिए। क्योंकि आज आपको लाका से चलकर इंद्रहार पास जाना होता है और फिर उसी दिन आपको वापस लौटकर लाका आ जाना होता है। आज का दिन आपके लिए थकान भरा हो सकता है इसलिए बेहतर यही होगा कि ट्रेक पर वही चीज़ें लेकर जाएँ जो आपके लिए आवश्यक हैं। ट्रेक के पहले घंटे में आपको लाहेश गुफाएँ पार करनी होती हैं। इन गुफाओं को आप इनके बढ़िया आर्किटेक्चर से पहचान सकते हैं। लेकिन क्योंकि इन गुफाओं के अंत में खड़ी चढ़ाई है इसलिए यहाँ आपको बेहद चौकन्ना रहने की जरूरत है। इंद्रहर पास तक पहुँचने के पहले के आखिरी कुछ घंटे सबसे ज्यादा कठिन हैं। पूरी ट्रेक की तुलना में ये रास्ता सभी मुश्किल और थकान भरा है। लेकिन पास पर आते ही आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी। हिमालय की पीर पंजाल पर्वतमाला और मणि महेश कैलाश के घिरा हुआ ये पास बेहद खूबसूरत है। पास पर कुछ समय बिताने के बाद आपको वापस लाका की ओर रवाना हो जाना चाहिए। लाका में एक दिन कैंप करने के बाद आप वापस मैक्लोडगंज की ओर बढ़ सकते हैं।

कितनी मुश्किल है ये ट्रेक?

इंद्रहार ट्रेक सभी लोगों के लिए बढ़िया है। चाहे आपको ट्रेकिंग करने का उतना अनुभव ना भी हो, उसके बावजूद आप इस ट्रेक पर आ सकते हैं। इंद्रहार ट्रेक में शुरुआती चढ़ाई आसान है। त्रिउंड तक चढ़ाई आसान है और इसको पूरा करने में आपको ज्यादा परेशानी नहीं आएगी। हालांकि त्रिउंड के बाद चढ़ाई थोड़ी-थोड़ी मुश्किल होती जाती है। लेकिन यदि आप गर्मियों के समय इस ट्रेक पर आएंगे तब आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी। गर्मियों के मौसम में ये पूरा इलाका हरे-भरे बुग्याल और फूलों की चादर से ढक जाता है जिसके कारण ट्रेक करना आसान हो जाता है। सर्दियों की तुलना में गर्मी में कैंप करना भी आसान हो जाता है। शुरू में ये ट्रेक देवदार और बलूत के पेड़ों के बीच से होकर गुजरती है लेकिन 12,000 फीट की ऊँचाई तक पहुँचते ही पूरा लैंडस्केप बदल जाता है। इस ट्रेक में आपको खड़ी चढ़ाई नहीं मिलेगी। इसलिए इसको करना आसान है। कुल मिलाकर ये ट्रेक ट्रेकिंग का शौक रखने वाले सभी लोगों के लिए बढ़िया है।

खास बात ये भी है कि ये ट्रेक कांगड़ा और चंबा के नजदीक से होकर गुजरती है। इस ट्रेक पर चलते-चलते आपको हिमालय पर्वत श्रृंखला के खूबसूरत नजारे दिखाई देते रहेंगे। लेकिन जो चीज इस ट्रेक को दूसरों से अलग बनाती है वो है इसकी ऊँचाई। इंद्रहार पास ट्रेक की ऊँचाई धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। 6,381 फीट से लेकर 14,245 फीट तक ले जाने वाली ये ट्रेक आपको जरूर पसंद आएगी। जान लेने वाली बात ये भी है कि 6,000 फीट से 14,000 फीट की ऊँचाई तक पहुँचने में आपको केवल तीन दिनों का समय लगता है जो इसको और भी ज्यादा रोमांचक बना देता है।

कब जाएँ?

गर्मियों के समय में इंद्रहार पास में तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस रहता है। इसलिए यहाँ गर्मियों में मौसम सुखद होता है। गर्मियों के समय ट्रेक का ज्यादातर हरे-भरे बुग्यालों और पत्थरों से होकर गुजरता है जिसको पर करने में आपको परेशानी नहीं होनी चाहिए। गर्मी में इंद्रहार ट्रेक करने का यही फायदा है। मार्च के खत्म होते-होते यहाँ जमी हुई बर्फ पिघल जाती है जिसके कारण ये जगह तरह-तरह के पौधों से भर जाती है। यदि आप उन लोगों में से हैं जिन्हें हरे भरे रास्तों पर ट्रेकिंग करना पसंद आता है तब आपको मार्च के बाद इस ट्रेक पर जाना चाहिए। वहीं ठंड के मौसम में इस पास की शकल एकदम अलग होती है। घाटी का पूरा इलाका जो नवंबर के पहले से हरे-भरे लहलहाते पौधों से भरा हुआ था, नवंबर में वही जगह बर्फ की मोटी चादर से ढक जाती है। जैसे ही आप ऊपर ट्रेक करना शुरू करेंगे, तापमान और ज्यादा कम होता जाएगा। इसलिए इंद्रहार ट्रेक पर जाने से पहले अच्छे से तैयारी करना बहुत महत्वपूर्ण है।

इन बातों का रखें ध्यान:

1. क्योंकि इस ट्रेक में ऊँचाई बहुत तेजी से बढ़ती है इसलिए यदि आपको सांस लेने में तकलीफ़ होती है तो इस ट्रेक पर न जाना बेहतर रहेगा।

2. ट्रेक करते समय हमेशा अपने पास पानी, खाने का सामान और कुछ जरूरी दवाइयाँ ज़रूर रखें।

3. ये ट्रेक आसान जरूर है लेकिन कुछ जगहों पर चढ़ाई मुश्किल हो जाती है इसलिए अपने शरीर की काबिलियत को समझकर ही ट्रेक करने जाएँ।

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