दिसंबर 2022 में मैंने एवेरेस्ट बेस केम्प ट्रेक किया था। ट्रेक के दौरान जहाँ जहाँ इंटरनेट मिल पाता था ,वहां से इस ट्रेक के कुछ किस्से अपने फेसबुक वाल पर शेयर करता रहता था। आज के इस आर्टिकल में मेरे उन्हीं छोटे छोटे किस्सों का संग्रह है। यहाँ आज चार किस्से शेयर कर रहा हूँ -
1.Indian's are not helpful :
इनसे मिलिए ये हैं सुकेतु और हीना जी,बेसिकली गुजराती हैं पर रहते महाराष्ट्र में हैं।अभी हम नामचे बाजार से उपर पहुंच गए हैं और हम 8 लोग हैं।
यहां नेपाल में एक दो लोगों ने हमसे कहा कि इंडियंस के साथ ट्रेक करने का उतना मजा नही आता, क्योंकि एकतरह से वो लोग थोड़े कंजूस भी होते हैं और उनका दिल बड़ा नही होता, कम हेल्पफुल होते हैं।
अभी रात को हम काफी देर एक दो नेपाली लोगो से डिनर के समय पर इस चीज पर हंसते हंसाते फ्रेंडली बहस कर रहे थे।ठंड बहुत हैं,फोन बैट्री को चार्ज करने ,wifi चलाने के भी काफी सारे पैसे लगते हैं तो हम गपशप ही करते हैं शाम को।हमने उनको इतनी तक गारंटी दी कि अगर आप बिना पैसे भी इंडिया आ जाओगे ना तो वहां कोई ना कोई खाना खिला देगा,ट्रांसपोर्ट के पैसे ना हो तो कोई लिफ्ट दे देगा।
होता ही हैं आज कितने लोग लिफ्ट लेकर ना के बराबर पैसा खर्च करके पूरा इंडिया घूम रहे हैं। यह डिस्कशन वही खत्म हुआ,जस्ट फ्रेंडली डिस्कशन ही था।
अब ये जो कपल हैं।ये दोनों इस महंगी जगह में भी हम सबको अपने साथ लाया हुआ खाना जबरदस्ती खिला रहे हैं।आज मैंने शाम का खाना थोड़ा जल्दी खा लिया और जब ये 7 लोग खा रहे थे तब मैने नही खाया तो इन्होंने मुझे अपना खाना ऑफर किया।वैसे तो रोज ही सबको नई नई चीजे खाने को दे रहे हैं।पर जैसे ही मैं सोने के लिए रूम में आया और हीना आंटी मेरे रूम के बाहर आई मेरे फेवरेट थेपले और आम का अचार दे गई। बोला इसको अभी ही खा लेना।
जहां मोबाइल चार्ज का 200npr और पावर बैंक चार्ज का 1000 npr देना पड़ रहा हैं वहां ये लोग अपने साथ लाए 20000mah के बड़े वाले पावर बैंक से सबको फोन चार्ज करने दे रहे हैं।यही नहीं गर्म पानी की केतली ये ले आएं,ब्लूटूथ स्पीकर पर हम लोगों के फेवरेट गाने बजा रहे हैं और फिर अपने पैसों से इन सबको चार्ज कर रहे हैं और हमें ये सर्विस फ्री में लेने दे रहे हैं। चाय पर हम फालतू पैसा खर्च न करे इसीलिए हमें ये ऑर्गेनिक चाय के पैकेट भी हीना आंटी ने दे दिए।ये दोनों तो इतनी मदद कर रहे हैं कि क्या कहें। मेरे मित्र हिमांशु ने आज ट्रेक के दौरान एक 40–50kg सामान पीठ पर ढो रहे शेरपा को अपनी बॉटल से पानी पिला दिया।उसकी प्यास का अंदाजा भी खुद हिमांशु ने उसको देख कर लगाया।जहां दूर दूर तक ठंडा पानी भरने को नहीं मिलता ,ट्रेक के दौरान पानी बचा कर रखना पड़ता हैं वहां भी हम लोग बिना स्वार्थ के मदद कर ही देते हैं ।
वो भाई याद आ रहा हैं जो कह रहा था कि इंडियंस आर नॉट डेट हेल्पफुल....
(यह पोस्ट चार दिन रात को टाइप की थी,बस अंकल आंटी से परमिशन लेनी थी इसीलिए आज पोस्ट की हैं। परमिशन लेली लेकिन इंटरनेट अभी एक wifi से 4 दिन बाद मिला।नेपाल की sim यहां हर जगह नही चलती। अब शायद इंटरनेट वापस 4 दिन बाद मिले)
2. रॉयल नेपाल एयरलाइन्स की शानदार फ्लाइट :
2023 के शुरू के दो दिन में दो नए अनुभव लिए,एक तारिख को "Royal नेपाल एयरलाइंस" की फ्लाइट से दिल्ली आना हुआ था।यह विमान काफी बड़ा और एक लाइन में 8 सीट्स वाला था।इस तरह के विमान में यह मेरा पहला अनुभव रहा, इसी में सबकी अपनी पर्सनल स्क्रीन थी, जिसमें आप पहले से अपलोडेड टीवी सीरियल,गाने,फिल्म्स,डॉक्यूमेंट्री देख सकते हैं,फ्लाइट के बारे में सब जानकारी ले सकते हैं ,विमान कितनी ऊंचाई पर हैं,क्या स्पीड हैं,क्या तापमान हैं ये जानकारियां भी सब अपनी अपनी स्क्रीन पर ले सकते हैं। मील और साथ में जूस या कोल्ड ड्रिंक इसमें फ्री थी, जिसमें जैन फूड तक का भी ऑप्शन था।यह यात्रा काठमांडू से दिल्ली तक की थी।जबकि अगर यही यात्रा में इंडिगो के विमान से करता तो पैसा भी ज्यादा लगता और ये कोई सुविधा नहीं मिलती।
हाँ ,दूसरा अनुभव दिल्ली पहुंच कर IMAX में अवतार देखने का था।
3. पुरे एवेरेस्ट बेस केम्प में हर जगह से दिखाई देता यह पर्वत एवेरेस्ट नहीं कोई और हैं -
यह फोटो एवरेस्ट बेस कैंप के दौरान दैबोचे टाउन से पेंगबोचे टाउन तक के ट्रेक के दौरान ली गई हैं।मेरे पीछे एक स्तूप दिख रहा हैं जिसके लेफ्ट साइड से ही बोद्धिस्थ लोग निकल कर आगे बढ़ते हैं,मैने पिछली पोस्ट में बताया था। ये जो एक पर्वत पीछे दिख रहा हैं वो नेपाल का एक सबसे प्रसिद्ध पर्वत हैं,नाम हैं: "अमा डाबलम पर्वत"...
इसकी ऊंचाई करीब 6800 मीटर हैं।एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक्स के दौरान यह पर्वत कई दिनों तक आपको दिखाई देता हैं,यां यूं बोलो कि यह आपके साथ साथ ही चलता हैं।ट्रेक के दौरान इसको काफी करीब से देखने का भी मौका मिलेगा।किसी ने बताया था कि एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले आपको करीब 2 या 3 महीनों में एवरेस्ट के आसपास के कई सारे 7000मीटर से ऊंचे पहाड़ों को चढ़ना होता हैं,उसके बाद आपको एवरेस्ट चढ़ने की परमिशन मिलती हैं।यह पहाड़ उन्ही पहाड़ों में से एक हैं।इसकी पीक पर पहुंचने के लिए भी एक्सपीडिशन जाते हैं।इसके बारे में कहा जाता हैं कि अगर आपने केवल इस पर्वत को ही अगर बिना कोई मेडिकल समस्या के फतह कर लिया तो एवरेस्ट भी आसानी से हों जाएगा। क्योंकि इसमें कठिनाई एवरेस्ट के बराबर ही मिलती हैं ,केवल बस यह एवरेस्ट से काफी कम दिन लेता हैं।
आपको इसकी पीक पर जाने वाले लोग भी उधर काफी मिलेंगे।यह इस पहाड़ की खूबसूरती कहो या कुछ और,आपको हर जगह ,हर गेस्ट हाउस में एवरेस्ट से ज्यादा इस के फोटो,पेंटिंग्स आदि देखने को मिलेंगे। इसी पहाड़ के नाम पर नेपाल में एक फिल्म कंपनी भी हैं,ऑपरेटिंग सिस्टम ios 7 के वॉलपेपर्स में भी इसका फोटो इस्तेमाल हुआ,इसपर कई गाने और एल्बम भी नेपाल में बनी हैं।
4.रोमांच भी और आध्यात्मिकता भी -
हिमाचल,नेपाल,लद्दाख और भूटान के कई ट्रेक्स में बोद्धिस्ठ स्तूप,प्रेयर व्हील्स ,प्रेयर फ्लैग्स और बोद्धिस्ट मंत्र उकेरी हुई ऐसी शिलाएं मिलती हैं। नेपाल के क्षेत्र के ट्रेक्स में ऐसी शिलाओं या स्तूपों के दोनों तरफ रास्ते होते हैं एक आने वालों के लिए और एक जाने वालों के लिए। बोद्धिस्ट लोग हमेशा इनके लेफ्ट से होकर ही आगे बढ़ते हैं।
Ebc के दौरान,कई जगह स्तूप बीच में होते थे और लेफ्ट वाला रास्ता थोड़ा चढ़ कर उपर की तरफ होता था और राइट साइड वाला रास्ता बिना चढ़ाई वाला मिलता था।चढ़ाई देखते ही हम राइट वाले रास्ते से आगे जाने की कोशिश करते थे ताकि चढ़ना ना पड़े,तो पोर्टर हमें वापस आने को बोलते थे।वो मानते थे कि अभी लेफ्ट से जाओ,वापसी ट्रेक में राइट वाले रास्ते से आना होगा तो आपके ट्रेक के साथ साथ कई स्तूप और शिलाओं की परिक्रमा भी पूरी हो जाएगी।
इन सब के अलावा ट्रेक के कई किस्से TRIPOTO पर ही अन्य आर्टिकल्स में लिखे हुए हैं। इसके अलावा कुछ आर्टिकल्स आपको मेरे फेसबुक प्रोफाइल पर पढ़ने को मिल जाएंगे।
-ऋषभ भरावा