किसी भी जगह पर जाने के लिए सबसे पहला कदम होता है उस जगह के बारे में अच्छी तरह से जानकारी बटोर लेना। अक्सर लोग कहते हैं कि उन्हें बिना किसी तरह की प्लैनिंग के घूमना पसंद है पर बात जब एवरेस्ट बेस कैंप चढ़ने की हो तो ये कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह ट्रेक बाकी ट्रेक्स की तरह कोई आम ट्रेक नहीं है। इस ट्रेक को पूरा करने के लिए आपको कुछ 130 किलोमीटर चलना होगा पर इतना चलने के बाद जब माउंट एवरेस्ट अपनी बाहें खोल कर आपके सामने खड़ा होगा, आप अपनी सारी थकान भूल जाएंगे।
इंटरनेट पर एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक से जुड़ी जानकारी लिए तमाम साइट्स मिल जाएंगी। इस गाइड में मुख्यता 4 भाग हैं जो कि एवरेस्ट कैंप ट्रेक के लिए सबसे जरूरी हैं।
1. बजट
एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक एक काफी महंगी ट्रेक है। तो अगर आप इस ट्रेक पर जाने का मन बना रहें हैं तो अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार रहिएगा। बहुत सारी ट्रैवल कंपनियां हैं जो कि इस ट्रेक पर ले जाने के लिए पूरा पैकेज ऑफर करती हैं। इनके पैकेज लेने पर लगभग 1 लाख रुपए तक का खर्च आता है। अगर आप पहली बार इतनी लंबी ट्रेक पर जा रहें हैं तो मेरी मानिए किसी ट्रैवल कंपनी के साथ ही जाना चाहिए। इससे आप टेंशन फ़्री हो कर सिर्फ ट्रेक पर ध्यान दे सकते हैं। हालांकि इन कंपनियों के पैकेज अक्सर महंगे होते हैं क्योंकि हर खर्च के साथ इसमें कुछ हिस्सा कंपनी का प्रॉफिट भी होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यहां आपको पैकेज के दाम के अलावा और ऊपर से भी कुछ पैसे देने होंगे। जैसे काठमांडू से लुक्ला तक का प्लेन का किराया। ट्रेक करने के लिए काठमांडू से आपको एक परमिट लेना होता है जिसके पैसे आपको खुद से ही भरने होंगे। इन सबके अलावा सागर मथा नेशनल पार्क में घुसने की फ़ीस भी आपको अपनी ही जेब से देनी होगी। यह सब खर्च ज़रूरी भी हैं क्यूंकि इन सबके बिना आप इस ट्रेक पर नहीं जा पाएंगे।
अगर आप किसी ट्रैवल कंपनी के साथ नहीं जाना चाहते हैं और अपने आप से इस ट्रेक पर जाना चाहते हैं तब भी लगभग 70 हज़ार से 80 हज़ार तक का खर्च उठाने के लिए तैयार रहिएगा। हालांकि खुद से किसी भी ट्रेक पर जाने का अपना अलग ही मज़ा है। सारी प्लैनिंग आपकी अपनी होती है जिसका भी एक अलग ही रोमांच है। पर यदि आप अपने आप से इस ट्रेक पर जा रहें हैं तो कुछ बातें हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है। यह ट्रेक मुश्किल नहीं है पर इसका मतलब यह नहीं है कि यह आसान ट्रेक है। एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक के लिए मेरी मानिए तो अपने साथ हर समय एक गाइड ज़रूर रखिए। पहाड़ों में अक्सर लगता है कि सीधे रास्ते हैं इसलिए खो जाने का डर नहीं है पर ऐसा नहीं होता है। पहाड़ जितने अच्छे दोस्त होते हैं उससे कहीं ज़्यादा घातक दुश्मन साबित हो सकते हैं।
इसके अलावा आपको अपना सामान उठाने के लिए मदद की जरूरत होगी। इसलिए आपके कुछ पैसे पोर्टर पर भी खर्च होंगे। इन्हे पैसे देने में कतराइएगा एकदम नहीं क्यूंकि आपका शौक यहां के लोगों के लिए इनकी जीविका चलाने का साधन है। ट्रैवल कंपनी के साथ जाने में एक और फ़ायदा भी है। इनके ट्रेक पैकेज में आपको वो सभी उपकरण भी दिए जाते हैं जो आपको इस ट्रेक को पूरा करने के लिए चाहिए होंगे और आपके रहने खाने की जगह तय होती है। अपने आप की प्लैनिंग में यह भी एक चीज है जिस पर आपको ख़ास ध्यान देना होगा। बाकी रहने खाने की व्यवस्था करनी होगी सो अलग।
2. कैसे करें पैकिंग?
घुमक्कड़ों की अक्सर आदत होती है एकदम आखिरी मिनटों में पैकिंग करने की। इससे होता यह है कि हम जरूरत से ज़्यादा चीज़ें लेकर यात्रा पर निकल पड़ते हैं। ऐसी चीजें जिनकी आपको शायद जरूरत भी ना हो। मेरी मानिए तो एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रेक में यह गलती एकदम मत करिएगा। एडवांस में ही अपना रग्सैक पैक कर लें। अब सवाल ये आता है कि इतने लंबे ट्रेक के लिए क्या लें जाएं और क्या नहीं। क्यूंकि यह एक अच्छी ऊंचाई वाली ट्रेक है पैकिंग में आपको बहुत सोच समझ कर कपड़े रखने होंगे। जिससे आपका बैग भी ज़्यादा भारी ना हो और आप सारा सामान भी रख लें। एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक पर 2 बैग ले जाना उचित होगा। एक छोटा बैग जो कि ट्रेक करते समय आपके पास रहेगा और दूसरा आपका रग्सैक जो पोर्टर ऊपर तक पहुंचाएंगे।
छोटे बैग में यह रखें :
- बफ़ जो एक मास्क कि तरह होता है और धूप से बचने के लिए बहुत ज़रूरी है
- धूप से बचने के लिए टोपी और क्रीम
- हेड लैंप
- केमल बैक बॉटल जिसमें आप पानी स्टोर करेंगे
- एक बॉटल जिसमें यदि फिल्टर करने का सिस्टम हो तो ज़्यादा बेहतर रहेगा
- प्रोटीन चॉकलेट
- बारिश के बचने के लिए रेन जैकेट या पोंचो
रग्सैक में :
- स्लीपिंग बैग। ध्यान रहे कि आपका स्लीपिंग बैग -8 डिग्री तक का तापमान सह सके
- ट्रेक्किंग के लिए जूते और साथ ही कोई नॉर्मल जूते
- फ्लीस जैकेट। अगर आपको ज़्यादा ठंड लगती है तो आप दो भी रख सकते हैं
- डाउन जैकेट
- 3 से 4 जोड़ी थर्मल
- 5-6 टीशर्ट। यह टीशर्ट ड्राई फिट हों तो अच्छा रहेगा
- ट्रेक्किंग पैंट
- गर्म टोपी, ग्लव्स (वॉटरप्रूफ और नॉर्मल) और मोजे
आपके रग्सैक का वज़न 12-13 किलो से ज़्यादा ना हो वरना आपको इसके भी अलग से पैसे देने पड़ेंगे।
3. क्या रास्ता लें?
वैसे तो इस ट्रेक को पूरा करने के लिए 2-3 रास्ते हैं पर क्यूंकि यह एक अच्छी ऊंचाई वाली ट्रेक है इसलिए सबसे सीधा रास्ता लेना सही रहेगा। अगर आप पहले भी ऐसे ही किसी ट्रेक पर जा चुके हैं तो आप अपने मन के अनुसार कोई भी रास्ता चुन सकते हैं। सीधे रास्ते से जाने में आपको बाकी दूसरे रास्तों की तुलना में प्रकृति सुंदरता शायद कुछ कम देखने को मिले पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यही रास्ता सबसे बेस्ट है।
पहले दिन काठमांडू (1400 मीटर) पहुंचे। यहां से आपको लुक्ला (2860 मीटर) के लिए प्लेन लेना होगा। वैसे तो आप काठमांडू से लुक्ला तक सड़क के रास्ते से भी आ सकते हैं पर उसके लिए आपको तीन दिन एक्स्ट्रा लग जाएंगे। उसमे भी काठमांडू से लुक्ला के लिए सीधी सड़क नहीं है। आपकी गाड़ी कुछ दूर तक ही आ पाएगी जिसके बाद आपको हाईक करके लुक्ला पहुंचना पड़ेगा।
दूसरे दिन लुक्ला से चलकर फाकदिंग (2610 मीटर) पहुंचिए। लुक्ला से फाकड़िंग का रास्ता लगभग तीन घंटे का है। बेहतरीन नजरों से भरा ये रास्ता आपको थकने का मौका नहीं देगा।
इस दिन नामचे बाज़ार ( 3440 मीटर) आइए। फाकडिंग से नामचे बाज़ार का रास्ता थोड़ा लंबा और कठिन है। रास्ते में आपको एक सस्पेंशन पुल और एक चेक प्वाइंट भी मिलेगा। एक बार आप चेक प्वाइंट पहुंच जाइए फिर यहां से नमचे बाज़ार बस 10 मिनट की दूरी पर है।
यह एक लम्बी और थका देने वाली ट्रेक है इसलिए समय समय पर शरीर को आराम देना बहुत ज़रूरी है। इसलिए ये दिन आराम करने के लिए रखिए। हमारे शरीर को इतनी ऊंचाई की आदत नहीं होती है और यहां तक आ कर धीरे-धीरे ऑक्सीजन का स्तर भी कम होना शुरू हो चुका रहेगा। इसलिए ख़ास कर ट्रेक करते समय सेहत का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है।
यात्रा के पांचवे दिन नामचे बाज़ार से निकल कर देबुचे आइए। देबूचे आने के लिए चढ़ाई करने को तैयार रहिएगा।
इस दिन तक आपको देबुचे से चल कर दिंगबोचे आ जाना चाहिए। चल कर क्यूंकि डेबूचे से यहां तक का रास्ता ज़्यादा कठिन नहीं है। यहां पहुंचने में आपको तीन घंटे लग सकते हैं। पर क्यूंकि रास्ता सीधा है इसलिए आपको ज़्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए।
इस दिन को फिर से आराम करने के लिए रखिए। दिंगबोच एक छोटा सा गांव है पर क्योंकि यह ट्रेक के रास्ते में आता है इसलिए यह गांव बहुत विकसित हो गया है। चाहें तो यहां पैदल घूमिए। लोकल बेकरी में केक का स्वाद लीजिए। वैसे इतनी ऊंचाई पर केक खाने का भी अपना अलग ही मज़ा है।
इस दिन लोबुचे ( 6119 मीटर) के लिए निकलिए। दींगबोचे से यहां तक का सफर थका देने वाला है। इसलिए उचित यही रहेगा की आपको पिछले दिन अच्छे से आराम कर लेना चाहिए। रास्ते में आपको कई ऐसी चीजें मिलेंगी जिनको देख कर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे।
लोबूचे से गोरक्षेप के लिए चलिए आज। आपको यहां तक आने में 6 घंटे तक का समय लग जाएगा। पर क्यूंकि रास्ता ज़्यादा मुश्किल नहीं है इसलिए थकान कुछ कम होगी। गोरक्षेप पहुंच कर कुछ देर रुक कर आराम कर लेना चाहिए। यह आपकी यात्रा का आखरी पड़ाव है। इसके बाद बस एक घंटे की चढ़ाई बचती है और उसके बाद आपकी आंखों के सामने वो होगा जिसके लिए आप इतनी लंबी ट्रेक करके आ रहें हैं।
एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने के बाद आप चाहें तो काला पत्थर ट्रेक भी कर सकते हैं। मेरी मानिए तो आपको ये ट्रेक ज़रूर करनी चाहिए। बेस कैंप की तुलना में यहां से माउंट एवरेस्ट ज़्यादा बेहतर दिखाई देता है। एवरेस्ट बेस कैंप पर ज़्यादा समय के लिए रहने का ऑप्शन नहीं है। इसकी वजह से कम ऑक्सीजन लेवल और हाई अल्टिट्यूड। इसलिए यहां कुछ देर रहने और यहां के नजरों को मन भर देख लेने के बाद आपको उसी दिन वापस गोरक्षेप के लिए निकल जाना होगा।
इन बातों का रखें ध्यान:
1. इस ट्रेक पर जाने से पहले एक ट्रैवल इनश्योरेंस ज़रूर करवा लें
2. काठमांडू के बाद आपको ए टी एम् मिलने बंद हो जाएंगे इसलिए अपने पास पर्याप्त पैसे रखें
3. एक दिन में 400 से 500 मीटर से ज़्यादा की चढ़ाई ना करें
4. हर 600- 800 मीटर के बाद एक दिन आराम करने के लिए रखें
5. कोशिश कीजिए ट्रेक करते समय वेजेटेरियन खाना ही खाएं। यहां खाने के बहुत सारे ऑप्शन मिल जाएंगे पर वो महंगे और बासी हो सकते हैं
6. अपने साथ कुछ दवाइयां ज़रूर रख लें
7. अगर आपके पास फिल्टर बॉटल नहीं है तो आप अपने पास पानी साफ करने वाली टैबलेट भी रख सकते हैं
8. ट्रेक पर जाने से पहले एक्यूट माउंटेन सिकनेस के बारे अच्छी तरह से ज़रूर पढ़ लेना चाहिए।
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