
मध्यप्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन इसकी आबादी कम है क्योंकि इसका अधिकतर भाग जंगल और प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ है। यहाँ पहाड़ों पर गुजरते हुए नदियां झरनो (फॉल्स-Waterfall) का रूप ले लेती हैं इसलिए यहाँ वाटर फॉल बहुतायत में मिलते हैं। रीवा से 85 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व की ओर मऊगंज तहसील में बहुत प्रपात स्थित है।



कुण्ड के दक्षिण भाग में एक गुफा है। जिसमें शंकर जी की मूर्ति स्थापित है। यहीं नजदीक एक सिद्ध महात्मा भी निवास करते हैं। इस कुण्ड के समीप ही अष्टभुजा देवी का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है यहाँ प्रतिवर्ष दो बार मेला लगता है। मकर संक्रांति का मेला जिसमें से एक है। इस कुण्ड में नदी की धारा सतत प्रवाहित होती रहती है। कुण्ड में जल पश्चिम दिशा में रहता है। इस कुण्ड की विशेषता यह है कि इसकी जल धारा चट्टानों से टकराकर रुई के ओलों के समान दिखाई देती है। यह दृश्य दर्शनीय एवं सम्मोहक है। वर्षा के अंत में यहाँ प्राकृतिक दृश्य आत्मा को अत्यंत पुलकित करने वाला है। इस प्रपात के पानी का प्रवाह केवल गर्मी की ऋतु में कम होता है। शेष वर्ष भर पानी गिरता रहता है।

ओड्डा नदी, सीतापुर से निकलकर 40 किलोमीटर दूरी के बाद मऊगंज से 15 किलोमीटर दूर बहुत ग्राम के निकट, बहुत जलप्रपात का निर्माण करती है। इस प्रपात की गहराई 465 फुट हैं। इसे रीवा जिले का सबसे गहरा प्रपात होने का गौरव प्राप्त हुआ है। बहुती ग्राम के दो किलोमीटर पहले उत्तर दिशा को बहने वाली ओड्डा नदी अर्द्धचन्द्राकार होकर पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होने लगी है। इस स्थान पर नदी का बहुत चौड़ा पाट (स्थान) है। यह दृश्य भी बड़ा भयावह है।
आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेन्ट बॉक्स में बताएँ।
जय भारत
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।