दिल्ली के नज़दीक वीकेंड पर जाएँ अलवर राजस्थान के इस ऐतिहासिक क़िले में

Tripoto

शुक्रवार की शाम थी। मन किया कि चलो कहीं घूमने चला जाए। किसी ऐसी जगह जहाँ थोड़ा सुकून हो, थोड़ी शांति हो। कुछ अच्छा नया देखने को मिल जाए, तो क्या कहने। इंटरनेट पर मैं ऐसी ही किसी जगह को सर्च कर रहा था कि पता चला कि दाधीकर किला नाम की एक जगह है। दिल्ली से पास में ही है अलवर में। मैंने एक होटल बुक किया और शनिवार की टिकट ले ली। मुझे नहीं पता था कि अनजाने में ही सही, लेकिन अपने सबसे यादगार वीकेंड की ट्रिप बुक कर रहा हूँ।

Photo of दिल्ली के नज़दीक वीकेंड पर जाएँ अलवर राजस्थान के इस ऐतिहासिक क़िले में by Manglam Bhaarat

कहाँ पर है दाधीकर फोर्ट?

दाधीकर फोर्ट राजस्थान के अलवर जिले के पास अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। कहते हैं कि आभानेरी के राजा ने यहाँ पर अपना कैंप लगाया था, वो भी तब जब बाढ़ के कारण उनका सब कुछ खत्म हो गया था। अब उनका यही किला एक ऐतिहासिक धरोहर बन गया है, जिसे होटल की शक्ल दे दी गई है।

दाधीकर किले तक कैसे पहुँचें?

आप यहाँ आने के लिए दिल्ली या गुड़गाँव से अलवर की ट्रेन पकड़ सकते हैं जहाँ तक पहुँचने में मुश्किल से आपको 2 से 3 घंटे लगेंगे। मैंने रानीखेत एक्सप्रेस की बुकिंग की थी। अलवर पहुँचने के बाद मैंने एक ऑटो किया, जिसने सीधा मुझे दाधीकर किले तक पहुँचा दिया।

अगर आपका बजट थोड़ा बेहतर है, तो आप दिल्ली से अलवर और वापस दिल्ली की कैब भी बुक कर सकते हैं। इसमें आप अलवर की दूसरी जगहें भी देख पाएँगे।

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दाधीकर किले में क्या क्या मिलेगा?

अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित इस किले को दुनिया के सभी आकर्षणों को सोचकर सजाया गया है। राजस्थानी संस्कृति से मेल खाने के लिए कमरों को ख़ूबसूरती से सजाया गया है। शाम को किले की छत पर नाश्ते की व्यवस्था होती है और पहाड़ियों के पीछे आप डूबते हुए सूरज को देखने का लुत्फ़ उठाते हैं। किला शहर की हलचल से दूर एक छिपी हुई जगह पर स्थित है।

किले में शाम को मेहमानों को राजस्थानी संस्कृति का अनुभव कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मेहमानों का स्वागत टैरेस पर ढेर सारे फूलों से किया जाता है। राजस्थानी नृत्य प्रदर्शन, संगीत और रात के खाने के सामानों की एक विशाल श्रृंखला के साथ शामें जगमगा उठती हैं।

ठहरने का किराया

एक दिन ठहरने का किराया केवल 6,000 रुपए।

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ऐसे प्लान करें अपना ट्रिप

दिल्ली से दधिकर किले और अलवर में सिर्फ एक वीकेंड लगेगा। आप शनिवार की सुबह किले तक पहुँच सकते हैं, पूरा दिन किले की खोज में बिता सकते हैं। अगली सुबह नाश्ते के बाद किले से बाहर निकलें, घूमने की जगहों की यात्रा करें और शाम को 7-8 बजे तक दिल्ली/गुड़गांव लौट आएं। अगली सुबह ऑफिस ज्वाइन करें। और सच मानिए, ये सफ़र आपके लिए एक यादगार वीकेंड से कम नहीं होगा।

दाधीकर किले में घूमने की जगहें

(1) मूसी महारानी की छत्री: दधीकर किले से लगभग 8.5 किमी की दूरी पर स्थित, मूसी महारानी छत्री एक स्मारक है जो महाराजा भक्तावर सिंह और उनकी पत्नी मूसी महारानी के सम्मान में 1815 ईस्वी में बनाया गया था। लाल बलुआ पत्थर और सफेद रंग में निर्मित यह सुंदर स्मारक पृष्ठभूमि में अरावली के साथ संगमरमर भव्य दिखता है।

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(2) सागर झील: सिटी पैलेस और मूसी महारानी की छत्री के ठीक पीछे स्थित सागर झील को एक पवित्र स्नान घाट माना जाता है। कई मंदिरों और कब्रों से घिरी यह फ़िरोज़ा झील देखने के लिए एक सुंदर नज़ारे दिखाती है।

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(3) बाला किला : यह किला अलवर शहर की ओर मुख किए हुए अरावली पर्वतमाला पर स्थित है। इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में हसन खान मेवाती ने करवाया था और तब से यह कई राजवंशों के अधीन है।

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(4) सिलीसेढ़ झील : अलवर शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित यह एक सुंदर झील है। यहाँ नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है और साफ झील के पानी पर नाव की सवारी एक बहुत ही सुंदर अनुभव प्रदान करती है।

(5) अलवर संग्रहालय और सिटी पैलेस : सिटी पैलेस बाला किला के नीचे बना 18वीं शताब्दी का शानदार किला है। निचली मंजिलों का उपयोग सरकारी कार्यालयों के रूप में किया जाता है, जबकि ऊपरी मंजिलों को संग्रहालय में बदल दिया गया है।

अलवर उनके लिए एक परफेक्ट घूमने की जगह है जो दिल्ली के नज़दीक वीकेंड की जगह देख रहे हं। दाधीकर किले का अनुभव आप निश्चित रूप से याद रखेंगे। तो आप कब प्लानिंग कर रहे हैं घूमने की, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

यह एक अनुवादित आर्टिकल है, ओरिजिनल आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें।

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