बटेश्वर मंदिरों के बाद हम चौसठ योगिनी मंदिर गए जो कि मितावली गांव में हैअगर आपने बटेश्वर मंदिरों का ब्लॉग नहीं देखा तो कृपया करके इसे क्लिक करें - बटेश्वर
यहां पर अभी कोई भी टिकट नहीं है अंदर आने के लिए, हालांकि यह मंदिर भी आरके लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के संरक्षण में है।
मंदिर पहुंचने के लिए लगभग आपको 100 सीढ़ियां चढ़ने पड़ेगी।
चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में।
मुरैना शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर यह अनोखा मंदिर संत 1323 मैं, महाराज देव पाल ने बनवाया था।
इस मंदिर में 64 छोटे-छोटे मंदिर है जिसमें शिवलिंग रखे हुए हैं, इसलिए यहां की स्थानीय लोग इसे ekattarso महादेव मंदिर बुलाते हैं।
पर जब इस मंदिर पर और खोज हुई तो पता चला यहां चौसठ योगिनी की मूर्ति थी इसलिए इसे चौसठ योगिनी मंदिर भी कहा जाता है।
इन योगिनी को मां दुर्गा की सहयोगी माना जाता है। माना जाता है कि इन्हें मां दुर्गा का आशीर्वाद मिला हुआ है और यह योग की प्राचीन पद्धति से भी जुड़ी हुई है।
ऐसे सिर्फ चार ही मंदिर है भारत में, दो उड़ीसा में और दो मध्यप्रदेश में।
यह मंदिर गोला कार ढंग में बनाया गया है, और यही बात इसे खास बनाती है। इस आकार की वजह से इस मंदिर को आज तक कोई भी भूकंप हिला नहीं पाया।
शायद इसी वजह से ऐसा कहा जाता है कि हमारे भारतीय संसद की बनावट किसी की नकल है।
बातें और भी हैं इस मंदिर की जैसे कि ऐसा भी माना जाता है कि यह एक विश्वविद्यालय के रूप में भी था और यहां गणित ज्योतिष और धर्मों की पढ़ाई लिखाई होती थी।
माना यह भी जाता है कि यह तंत्र विद्या काले जादू का किसी जमाने में केंद्र भी था।
मंदिर के बीचोंबीच एक मंडप है जो कि एक बार फिर गोलाकार रूप में है और जहां शिवलिंग रखा हुआ है और क्योंकि यह जगह एएसआई के कंट्रोल में है तो इसलिए यहां कोई भी पूजा-अर्चना नहीं कर सकता।
बाहरी दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं की आकृतियां बनी हुई है और एक बात जो इस मंदिर को खास बनाती है और वह है इसके बारिश के पानी को सहेजने की इंजीनियरिंग।
मेरा अनुभव
बटेश्वर के बाद जब मैं और सौरभ यहां आए तो हम दोनों एक बार फिर इस मंदिर को देखकर अचरज में पड़े।
कितने बुद्धिमान रहे होंगे वह लोग जिन्होंने एक छोटी सी पहाड़ी पर एक ऐसा रूप बनाया जो किसी भी भूकंप के झटकों को झेल सके।
बारिश के पानी को बचाने की इंजीनियरिंग की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। अच्छी बात और भी यह थी कि बटेश्वर की तरह यहां भी बहुत कम लोग आए थे।
तंत्र विद्या और काले जादू की बात हुई है तो मैं आपको बता दूं कि मेरा ड्रोन यहां पर आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था जब मैं इसे मंदिर के अंदर हो रहा था। ऐसा लगा जैसे किसी ने से पकड़ कर नीचे फेंक दिया हो। आप देख सकते हैं कि कितनी तेज गिरा था यह|।
यह एक छोटी सी जगह है पर बेहद खूबसूरत है। आप जब भी ग्वालियर या आगरा आए तो इस जगह को जरूर देखें।
एक आखरी बात हम दोनों ने यह छोटे मंदिर गिने भी थे। सौरभ में गिने थे 66 और मुझे मिले 65। आप जब यहां आए तो मुझे जरुर बताइएगा कि आपने कितने गिने।
पिलुआ डैम
हमारी आज की trip देखा जाए तो यहीं खत्म हो गई थी पर रास्ते में हम लोग पिलुआ डैम कुछ समय के लिए रुके।
यह डैम संघ नदी पर बनाया गया है जो कि ट्रिब्यूटरी है आसन नदी की, काफी सुंदर जगह है।
यहां कैसे पहुंचे
हम लोग यहां अपनी कार से आए थे और यह जगह गूगल मैप्स पर भी है चौसठ योगिनी मंदिर बटेश्वर मंदिरों से सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी पर है। मतलब पहले बटेश्वर पड़ता है और बाद में यह मंदिर। अगर आप बाहर से आ रहे हैं तो आप यह दोनों जगह एक दिन में ही देख सकते हैं।
नजदीकी airport ग्वालियर में है वहां से आपको इस जगह के लिए टैक्सी लेनी पड़ेगी।
नजदीकी रेलवे स्टेशन मुरैना में है और इस मंदिर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।
नजदीकी बस अड्डा मुरैना में है, हालांकि इस जगह पहुंचने के लिए आपको टैक्सी लेनी ही पड़ेगी।
आशा करता हूं कि यह blog आपको पसंद आया होगा। मैं फिर आऊंगा एक नई डेस्टिनेशन के साथ।तब तक के लिए इजाजत चाहता हूं| ईश्वर आपको खुश रखे स्वस्थ रखे।