‘घूमते रहना’ हर किसी का सबब नहीं होता है, लेकिन वो सबब मेरा है। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था, मैंने कभी नई-नई जगहों पर जाने के बारे में नहीं सोचा था। सोचा था कि एक बढ़िया-सी नौकरी होगी और ज़िंदगी सेट रहेगी। लेकिन ज़रूरी तो नहीं, जैसा आप सोचें वैसा ही हो, बस ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। मेरी मुलाकात एक बेतरतीब घुमक्कड़ लड़की से हो गई और फिर मेरी ज़िंदगी में बहुत कुछ बदल गया।
मैं दिल्ली में अच्छा भला नौकरी कर रहा था। कंपनी नई थी इसलिए काम करने में मज़ा आ रहा था और सीखने को भी बहुत कुछ मिल रहा था। लेकिन अचानक कंपनी में कुछ बड़ी परेशानियाँ आई और मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी। नौकरी चले जाने पर मैं डिप्रेशन में आ गया, अभी कुछ महीने ही तो नौकरी की थी। इसलिए सेविंग भी ज्यादा नहीं थी, दिल्ली जैसे शहर में बिना पैसे के गुज़ारा करना बड़ा मुश्किल होता है। मैं नौकरी ढ़ूढ़ता रहा लेकिन कुछ अच्छी खबर हाथ नहीं लगी।
वो मुलाकात जिसने बदला ज़िंदगी का नज़रिया
नौकरी ना मिलने पर मैं फ्रीलांस करने की भी कोशिश करने लगा। तब मुझे नोएडा के एक आफिस से काॅल आया। अगले दिन जब मैं आफिस पहुँचा तो वहाँ एक लड़की बैठी थी। पहले तो मैंने उस लड़की की ओर ध्यान नहीं दिया लेकिन वो बार-बार अपने मोबाइल में घुसकर खिल खिलाकर हँस रही थी, जिससे मेरा ध्यान उस ओर चला गया। जब वो हँस रही थी तो मुझे उसका एक टूटा हुआ दाँत दिखाई दिया। तब मेरे दिमाग में आया कि कहीं तो इस लड़की को देखा है। जिस रजिस्टर में मैंने एंट्री की थी, मैंने उसे खोलकर देखा और अपने से पहले वाले नाम को पढ़ा।
मैंने उस नाम को फेसबुक पर सर्च किया और एक प्रोफाइल खुल गई, हंसती हुई एक लड़की की। मुझे लगा कि ये वही लड़की है लेकिन अब समस्या थी कि बात कैसे करूं और क्या करूं? तब मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और एक मैसेज डाल दिया। जो कुल मिलाकर ये कहता था कि ‘मेरे सामने एक लड़की बैठी है, बिल्कुल आपकी तरह लग रही है, आप ही हैं क्या? ’ कुछ देर बाद जवाब भी हाँ था और खिलखिलाता हुआ चेहरा अब मोबाइल नहीं, मेरी ओर देख रहा था।
मुझे ये तो पता था कि ये लड़की घुमक्कड़ है लेकिन ये नहीं पता था कि इससे मिलकर मैं वही बनने वाला हूँ। मैं कुछ जगहों पर घूमा था, उसी के बारे में मैंने उस लड़की को बताया। घुमक्कड़ी की बातें करते हुए जब मुझे लगा कि ये मुलाकात खत्म ही होने वाली है और शायद ही फिर कभी मिलें, तभी उसने कहा, "मैं छत्तीसगढ़ जा रही हूँ, तुम चलोगे?" मैंने पल भर में सोचा कि बेरोजगार हूँ, घूम ही आता हूँ। मैंने चलने के लिए हामी भर दी। कुछ दिनों बाद मैं, छोटी सी मुलाकात वाली लड़की के साथ छत्तीसगढ़ की यात्रा पर निकल गया। इस सफर में हमने छत्तीसगढ़ के बस्तर को करीब से देखा। वहाँ के परिवेश को देखा, लोगों से मुलाकात की और वहाँ की संस्कृति को भी जानने का मौका मिला। इस सफर में हमने पूरे बस्तर को नापा। इस सफर में हमने क्या-क्या देखा, उस का कुछ हिस्से को बताता हूँ।
1. दंतेवाड़ा मंदिर
दंतेवाड़ा मंदिर, बस्तर के दंतेवाड़ा के शहर में पड़ता है। पूरे बस्तर में इस मंदिर की बहुत मान्यताएँ है, दूर-दूर से लोग यहाँ दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पास से ही शंखिनी-डंकिनी नदी भी बहती है। मंदिर का पूरा परिसर भव्यता और अपने पौराणिक स्वरूप के साथ शानदार लगता है। मंदिर में प्रवेश के लिए आपको लुंगी या धोती पहनकर जाना होगा। इस शहर का नाम इसी मंदिर के नाम पर पड़ा है।
2. चित्रकूट वाॅटरफाल
चित्रकूट वाॅटरफाल छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में स्थित है। इसे भारत का नियाग्रा वाॅटरफाल भी कहा जाता है। इन्द्रवती नदी पर बने इस वाॅटरफाल की उँचाई लगभग 29 मीटर है, इसकी चैड़ाई मौसम के हिसाब से बदलती रहती है। यहाँ का मनमोहक दृश्य ऐसा है कि यहाँ से लौटने का मन ही नहीं करता है। दूर-दूर तक सिर्फ पहाड़, जंगल और पानी की कलकल करती मधुर आवाज़।
3. पुरखौती मुक्तांगन
पुरखौती मुक्तांगन, नए रायपुर में स्थित है। ये एक प्रकार से पार्क की तरह है जहाँ पूरे बस्तर की संस्कृति को मूर्तियाें, मंदिरों और घरों में बनाकर दिखाया गया है। ये संरचनाएँ बेहद खूबसूरत हैं, शाम के समय तो यहाँ लोग भी बहुत होते हैं और सुंदरता भी बहुत होती हैं। यहाँ आने के बाद आप कह सकते हैं ‘आमचे बस्तर’ यानी 'मेरा बस्तर'।
बस्तर घूमते-घूमते उस अजनबी लड़की से मेरी दोस्ती हो गई। वो अपने घुमक्कड़ी के सफर की कहानी सुनाती और उन किस्सों को सुनकर मुझे लगता कि मैं उस जगह पर क्यों नहीं गया? मुझे उनकी जैसी दिक्कतों का सामना क्यों नहीं करना पड़ा? मुझे बुरा लग रहा था कि नौकरी सिर्फ पैसा देती है लेकिन सुकून ये किस्से देते हैं। जो इस लड़की के पास बहुत थे और मेरे पास निल बटे सन्नाटा।
4. अबूझमाड़ के जंगल
अबूझमाड़ के जंगल पूरे बस्तर के चारों ओर हैं। ये देखने में बहुत सुंदर लगते हैं, बिल्कुल उत्तराखंड और हिमाचल की तरह। बारिश के दौरान तो ये रास्ते और जंगल और भी खूबसूरत लगने लगते हैं। पहले मैं सोचता था कि छत्तीसगढ़ गर्म क्षेत्र होगा जो गर्मी से हमें झुलसा देगा लेकिन यहाँ आकर ऐसा मौसम देखा तो दिल खुश हो गया। आसपास घास की तरह दिखने वाली धान से तो पूरा छत्तीसगढ़ भरा हुआ है। वो धान का हरे-भरे खेत देखने में बेहद प्यारे लगते हैं। दूर तलक धान और उसके पीछे अबूझमाड़ की पहाड़ी। अबूझमाड़ की पहाड़ी में सुंदरता का रस है जो इस क्षेत्र को सुंदरता से भरा रखता है।
हम बस्तर के जंगल में, फिसलते रास्तों के बीच हाथ में चप्पल लेकर पैदल चले। लोगों से कैसे मिला जाता है, कैसे उनसे बातें की जाती हैं? ये सब इस लड़की को देखकर ही समझ में आ रहा था। इस सफर में मुझे भी बहुत सारे किस्से मिल रहे थे और एक बड़ा सबक भी। सबक ये कि अपनी जिंदगी को अब मशीन नहीं बनने देना है, कुछ अलग करना है ठीक मेरी इस दोस्त की तरह। जिसने मुझे घुमक्कड़ बनाया, जिसने मुझे दुनिया को नापना सिखाया, वो भी कदमों से।
उस सफर के बाद मैं उसके साथ कभी भी किसी सफर पर नहीं गया क्योंकि मुझे उनके साथ नहीं, उसके जैसा चलना था। बस्तर के उस सफर को बीते हुए अब करीब 6 महीने हो गए हैं और 6 महीनों में मैं भारत के कई शहरों को पैदल नाप आया हूँ। जहाँ मुझे सुकून तो मिला ही, मुझे अपनी कहानियाँ भी मिलीं, अपना अनुभव मिला। सोशल मीडिया और फोन से मैं उस दोस्त से टच में रहता हुँ और अपने हर शहर की कहानी उसको सुनाता हूँ और वो शाबाश! बहुत अच्छे! जैसी प्रतिक्रिया देकर मेरा हौंसला बढ़ाती है। मैं उस टूटे हुए दांत वाली खुशमिज़ाज लड़की को दिल से शुक्रिया कहना चाहता हूँ जिसकी वजह से मेरा सफर कुछ अलग लेकिन लाजवाब हो गया।