# कामाक्षा मंदिर करसोग हिमाचल प्रदेश
जून 2017
*पूरे देश में कामाक्षा के तीन ही मंदिर हैं.
...पहला असम का प्रसिद्व पौराणिक शक्तिपीठ कामाख्या देवी मंदिर है.
...दूसरा तमिलनाडू का कांचीपुरम।
...तीसरा कामाक्षा मंदिर मंडी जिले के करसोग में है. *मंडी जिले की करसोग तहसील के गांव काव में स्थित इस मंदिर में भगवान परशुराम के आगमन का उल्लेख मिलता है. वे प्रदेश में पांच काव, ममेल, निरमंड, निरथ और दत्तनगर गए.
*मान्यता है कि देवी की शक्तिपीठ सतयुग की है. हालांकि, मानता हैं कि मंदिर परशुराम या फिर पांडव काल का हो सकता है. क्योंकि, सतयुग का मंदिर आज तक टिका रहना संभव नहीं है।
*पुजारियों के मुताबिक, कामाक्षा देवियों की देवी है. इसे काली पीठ के नाम से भी जाना जाता है. इसका पौराणिक महत्व है. यह देवी राजाओं की भी कुलदेवी रही है. सुकेत, बुशहर और कुल्लू रियासत से देवी का गहरा संबंध रहा है.
*मंदिर में पांडव काल की मूर्तियां मौजूद हैं. ये मूर्तियां अष्टधातु की बनी हुई हैं. मेले के दौरान इन सब मूर्तियों को रथ पर विराजमान किया जाता है. साल में दो बार मेले का आयोजन होता है. इनके दर्शन करने हजारों की भीड़ उमड़ती है. लोग दूर-दूर से दर्शन करने यहां आते हैं. पौराणिक मान्यता है कि कामाक्षा मंदिर में दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है.
*कामाक्षा देवी का मंदिर पौराणिक शैली में तैयार किया गया है. पहले यह पत्थर का ही था. करीब डेढ़ दशक पहले इसे लकड़ी का बनाया गया.
इस पवित्र मंदिर को जून 2017 में देखने का सौभाग्य मिला। मंदिर से भीतर माता जी की पुरातन काली मूर्ति शोषोबित है। मंदिर में बहुत शांति थी। तंग गलियों से गुजर कर मंदिर में जाना पढ़ता है। खूबसूरत करसोग घाटी से गुजर कर मंदिर में गए थे। करसोग घाटी के खूबसूरत फूल हमारा स्वागत कर रहे थे।
कैसे जाए: करसोग मंडी से 107 किलोमीटर की दूरी पर है। मंडी हिमाचल का प्रसिद्ध जगह है। निकटतम रेलवे स्टेशन कीर्तपुर पंजाब में है जो 125 किलोमीटर पर स्थित है। निकटतम एयरपोर्ट भुंतर का है जो 60 किलोमीटर पर है।
धन्यवाद।