एक यायावर होने के कारण मैं विश्व की अनोखी यात्राओं के बारे में पता करता रहता हूँ। इस सफ़र में मुझे एक ऐसी यात्रा के बारे में पता चला जिसकी शुरुआत 1950 में सिडनी की एक कम्पनी ‘अल्बर्ट टूर एंड ट्रेवल्स’ ने की थी। बस की यात्रा बहुत कारणों से दिलचस्प है, जैसे - कोलकता से लंदन का बस रूट, बस में हेयर सलून लाइब्रेरी, होटल की व्यवस्था और एयर लाइन का भी सफ़र।
भारतवर्ष पर जब ब्रिटिश का राज था तब कोलकता ब्रिटिश इण्डिया का बहुत महत्वपूर्ण भाग था और लंदन ब्रिटेन की राजधानी होने के कारण। लंदन से कोलकता आने जाने वाले लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा थी पर उस समय हर कोई ऐरोप्लेन से सफ़र नहीं कर सकता था। और इसी को मद्दे नज़र रखते सिडनी की ट्रेवल कम्पनी ने लंदन से कोलकता तक के बस रूट का इंतज़ाम कर मुनाफ़ा कमाने का सोचा। ख़ैर, जब तक यह बस चालू हुई तब तक भारतवर्ष आज़ाद हो गया था और कुछ नए देश भी उभर आए थे।
इस बस यात्रा को दिलचस्प बनाने का काम बस में उपलब्ध सेवाएँ बहुत ख़ूबी से करती थी। बस से यात्रा 20,000 किलोमीटर की होने के कारण बस का सफ़र 45 दिन तक चलता था। अब ऐसे में यात्री के 45 दिन की सभी ज़िम्मेदारी बस को ही उठानी थी। इसलिए बस में सोने, खाने, पढ़ने, और तो और बाल कटवाने तक का भी इंतज़ाम था। अगर बस में सोया नहीं जा सकता था तो कम्पनी रात में होटेल्स में रुकने का इंतज़ाम करती थी। बहुत-सी बस एयर कंडीशन नहीं हुआ करती थी तो वो लोग टैगलाइन लगा देते थे कि "सफ़र में अपने घर जैसा आराम।" अगर रास्ते में कोई दिलचस्प जगह मिले तो बस वहाॅं रोक कर यात्रियों को जगह से रूबरू होने का मौक़ा भी देती थी।
इस बस रूट की शुरुआत कोलकाता से होती थी और नई दिल्ली, पश्चिमी पाकिस्तान, काबुल, तेहरान, इस्तांबुल, ईरान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, ऑस्ट्रिया, पश्चिमी जर्मनी, बेल्जियम होते हुए लंदन पहुँचती थी। कुछ यात्री अपनी यात्रा के लिए पासपोर्ट और वीज़ा का इंतज़ाम ख़ुद कर लेते थे और जो यात्री नहीं कर पाते थे उन्हें पासपोर्ट और 10 फ़ोटो एजेंसी को दे देना होता था फ़िर बाक़ी काम कम्पनी कर देती थी। उस समय की सबसे सुविधाजनक बस यात्रा यही थी।
आज लोग इस यात्रा के बारे में सुन यकीन तक नहीं करते हैं और करे भी क्यों? ऐसा रूट तो हमें मैप पर भी नहीं दिखता। पर यकीन कीजिए ऐसा रूट तब भी था और अब भी है!
ब्रिटेन से भारतवर्ष को आज़ादी मिलने के बाद पाकिस्तान देश का भी जन्म हुआ। अब रूट पाकिस्तान से होकर गुज़रता था और भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अच्छे न होने के कारण काफ़ी बार बस के यात्रियों के लिए पाकिस्तान से भारत या भारत से पाकिस्तान के बॉर्डर बन्द होते थे। यात्रियों के लिए कम्पनी ने ऐसी समस्या के लिए एयरलाइन से ले जाने का वादा किया था।
1950 में शुरू हुई इस यात्रा के बारे में इतना कुछ तो जान लिए पर इसका टिकट कितने का था ये बताना तो रह गया। कोलकाता से लंदन की बस का टिकट 145 पाउण्ड हुआ करता था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीज़ों का बदलना और शीतयुद्ध के कारण इस यात्रा को सम्भव कर पाना बहुत कठिन होते जा रहा था जिसके चलते 1972 में टिकट का किराया बढ़ाकर 305 डॉलर कर दिया गया। और 1973 में बहुत ज़्यादा परेशानी के चलते अल्बर्ट टूर एंड ट्रेवल्स ने इस यात्रा पर पूर्णविराम लगा दिया।
बावजूद इसके यदि आप चाहें तो इस यात्रा का आनन्द बेशक आप भी ले सकते हैं परन्तु बस से नहीं, अपनी सवारी से! और साथ ही साथ रूट से गुजरने वाले सभी देश की परमिशन के साथ!