ताजमहल हो या कुतुब मिनार, थार रेगिस्तान हो या चार मिनार, भारत में अद्भुत अजूबों की कोई कमी नहीं है। और हाल ही में भारत के रत्नों की इस लंबी लिस्ट को बढ़ाने के लिए एक और धरोहर जुड़ गई है, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी। और ये सिर्फ भारत के लिए ही खास नहीं है, बल्कि ये दुनिया का सबसे ऊंचा स्मारक है।
ये सब सुनके आपको भारत की महानता और अपने भारतीय होने पर तो बहुत गर्व हुआ होगा। तो बस इस गर्व को घर में बैठ कर ही महसूस न करें बल्कि खुद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की विशालता को देखकर आएँ। कैसे जाएँ और क्या करें जैसे सारे सवालों के जवाब मैं आपको दे देता हूँ।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
31 अक्टूबर 2018 को भारत के प्रधान मंत्री ने दुनिया की इस सबसे ऊँची प्रतिमा का उद्घाटन किया | इस प्रतिमा को भारत में "एकता का प्रतीक" भी कहा जा रहा है। यह प्रतिमा भारत के राजनेता और लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की है। इसलिए प्रतिमा को उनकी 143 वीं जयंती पर लोगों के लिए सार्वजनिक रूप से खोला गया था | ये मूर्ति गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया गांव में सरदार सरोवर बांध के पास में स्थित है।
इस भीमकाय प्रतिमा की कुल ऊँचाई 208 मीटर (आधार 58 मीटर + ऊँचाई 182 मीटर) है।
3 साल और 9 महीनों में 3400 मजदूरों और 250 इंजीनियरों ने मिलकर 208 मीटर ऊँची ये विशाल प्रतिमा बनाई है| इससे पहले दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा चीन में स्थित 153 मीटर ऊँची स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध की थी|
ये प्रतिमा 180 कि.मी. प्रति घंटे तक की तेज़ हवा की रफ़्तार झेल सकती है | साथ ही आस-पास के 12 कि.मी. के इलाक़े में आए 10 कि.मी. गहरे 6.7 रिक्टर स्केल के भूकंप के झटके सहन कर सकती है |
इस विशालकाय प्रतिमा को बनवाने का अनुमानित खर्च 2979 करोड़ बताया जा रहा है | अगले 15 वर्षों तक रख रखाव और संचालन का खर्च 43.8 करोड़ सालाना की दर से 657 करोड़ आएगा | इस अजूबे की खूबसूरती बनाए रखने में 12 लाख रुपये प्रति दिन का खर्च आएगा |
टिकट
एक भारतीय के लिए प्रवेश शुल्क सिर्फ 120 रुपये रखा गया है | इस इलाके में एक छोटी गैलेरी भी बनवाई गई है | आप 350 रुपये का प्रवेश शुल्क दे कर इस गैलेरी को देख सकते हैं |
इस भीमकाय प्रतिमा को अभी तक 15000 लोगों द्वारा देखे जाने का अनुमान लगाया गया है |
पीतल से बनी इस प्रतिमा के कारण गुजरात में पर्यटन बढ़ने वाला है | प्रतिमा को देखने आए सैलानी अच्छी कमाई का ज़रिया बन सकते हैं |
शुभ यात्रा!
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