लंदन से जीतकर ले आई गई थी भगवान विष्णु की ये प्रतिमा,मन्दिर में ही हो जाते हैं चार धाम के दर्शन

Tripoto
3rd Oct 2020
Photo of लंदन से जीतकर ले आई गई थी भगवान विष्णु की ये प्रतिमा,मन्दिर में ही हो जाते हैं चार धाम के दर्शन by Yadav Vishal
Day 1

सलाम नमस्ते केम छू दोस्तों 🙏

अगर चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं आप और पैसे की कमी की वजह से नहीं कर पा रहे हैं तो चले आइए मेरे शहर गोरखपुर में। वैसे हमारे शहर में बहुत कुछ हैं देखने लायक, पर मैं उस मंदिर के बारे में आपको बताऊंगा जहा मैं बचपन से जाता हूं जो कि मेरे घर से बहुत ही करीब हैं पर जब मुझे वहा की कहानी पता चली तो मुझे लगा की मुझे ये बात आप तक पहुंचना चाहिए।

गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज रोड पर भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा के होंठ दिनभर में तीन तरह से बदलते हैं। मतलब भगवान की मुस्कान दिनभर में तीन तरह की होती है। प्रतिमा में सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग छवियों में श्री विष्णु के दर्शन भक्तों को होते हैं।

भगवान विष्णु केे भक्तों में इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था है। दूर-दूराज से भक्त भगवान के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। हरेक बृहस्पतिवार को यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। साथ ही साल में एक बार नौ दिवसीय विष्णु महायज्ञ भी आयोजित होता है। स्थानीय कलाकारों की ओर से रामलीला का मंचन भी प्रतिवर्ष किया जाता है।

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स्थानीय मिस्त्री को दिखी थी प्रतिमा

भगवान विष्णु की यह प्रतिमा 12वीं सदी के पाल वंश के समय की है। असुरन चौराहे के आस-पास पहले बड़ा पोखरा हुआ करता था। यहां लोग अपने जानवरों को चराने के साथ ही यहां से घास इत्यादि काटकर ले जाते थे। स्थानीय गोरख मिस्त्री को पोखरे में एक काले रंग का शिलापट्ट दिखाई पड़ा। वह उस शिलापट्ट पर रोज अपने खुरपे की धार को तेज करता था। एक दिन उसने सोचा कि इस पत्थर को क्यों न घर लेकर चलूं। शिलापट्ट को पलटने पर उसे भगवान विष्णु की प्रतिमा दिखी।

गोरख ने प्रतिमा को साफ किया और घर लेते आया। लेकिन उसे प्रतिमा को अपने घर में रखने की इजाजत नहीं मिली। उसने पड़ोसी शिव पूजन मिस्त्री के घर पर प्रतिमा रखवा दी। इस बात की जानकारी उस वक्त के अंग्रेज कलेक्टर सिलट को हुई। उसने प्रतिमा को वहां से उठवाकर नंदन भवन में रखवा दिया। कुछ ही दिनों के बाद कलेक्टर ने प्रतिमा को 15 सितंबर 1914 को जिले के मालखाने में रखवा दिया। तत्कालीन जमींदार राय बहादुर धर्मवीर राय आदि ने प्रयास किया कि भगवान विष्णु की प्रतिमा फिर से नंदन भवन में आ जाए। लेकिन सिलट ने उसे विवादित बताकर प्रतिमा को लखनऊ म्यूजियम में भेजवा दिया।

15 फरवरी, 1915 को यह प्रतिमा लखनऊ के अजायबघर में रखवा दी गई और उस पर अंग्रेज अफसरों का पहरा हो गया। वहां से इस प्रतिमा को लंदन ले जाने की तैयारी होने लगी। मझौली राज स्टेट की महारानी श्याम कुमारी को जब यह खबर लगी तो उन्होंने काफी प्रयास करके प्रतिमा को वापस मंगवाया। उन्होंने अपने पति राजा कौशल किशोर प्रसाद मल्ल की स्मृति में असुरन पर एक मंदिर का निर्माण कराया और वहीं प्रतिमा स्थापित कराई गई।

काले पत्थर की है प्रतिमा

मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की काले (यानी कसौटी) पत्थर की प्रतिमा अति दुर्लभ है। कसौटी पत्थर की चार भुजाओं वाली सिर्फ दो मूर्तियां देश में हैं। एक तिरुपति बालाजी में और दूसरी गोरखपुर के विष्णु मंदिर में।

मंदिर में हो जाते हैं चार धाम के दर्शन

मंदिर के चारों कोनों पर बद्री विशाल, जगन्नाथ, भगवान द्वारिकाधीश एवं रामेश्वर की स्थापना की गई है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर की परिक्रमा करने से चारों धाम करने का फल श्रद्धालुओं को मिल जाता है।

Photo of लंदन से जीतकर ले आई गई थी भगवान विष्णु की ये प्रतिमा,मन्दिर में ही हो जाते हैं चार धाम के दर्शन by Yadav Vishal
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