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केदारनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है और भोलेनाथ के भक्त निकल पड़े हैं अपने आराध्य के दर्शन को।केदारनाथ वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पांडवो को साक्षात दर्शन दिए थे।कहते है आज भी इस स्थान पर भगवान शिव का वास है जो भी सच्चे मन से यहां जाता है उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।मान्यता है की महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव अपने पापों की मुक्ति के लिए इसी स्थान पर शिव का दर्शन कर पापो से मुक्त हुए थे। आज भी लोग इस स्थान पर अपनी चारों धाम यात्रा पूरी कर अपने पापों से मुक्ति के लिए पहुंचते है।पर क्या आप जानते है कि केदार नाथ की यात्रा नेपाल के डोलेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है।अब आप कहेंगे की उत्तराखंड के धाम की यात्रा नेपाल में कैसे पूरी होगी।तो आज हम आपको इसी विषय में बताएंगे,तो आइए जानते है डोलेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में और इसका केदारनाथ से क्या संबंध है।
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डोलेश्वर महादेव मंदिर
डोलेश्वर महादेव मंदिर नेपाल के जिला भक्तपुर के सूर्येबिनायक में स्थित है।यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हिंदुओ का एक पवित्र स्थान है।मान्यता है की इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग 4000 वर्ष पुराना है और इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी।कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वंभू है और यह शिवलिंग केदारनाथ के शिवलिंग का सिर है।अतः केदारनाथ में भक्त केवल भगवान शिव के शरीर के ही दर्शन करते है और जब तक कोई नेपाल में स्थित डोलेश्वर महादेव के दर्शन नहीं कर लेता उसकी यात्रा अधूरी ही मानी जाती है।
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डोलेश्वर मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भोलेनाथ का आशीर्वाद चाहते थे लेकिन भगवान शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे।पांडव उन्हें खोजते हुए केदारनाथ पहुंच गए ।जहां भगवान शिव बैल का रूप धारण किए हुए बाकी बैलो में छुपे हुए थे,मगर पांडव उन्हें पहचान गए ।भगवान शिव को जब लगा की वो उन्हें पहचान गए तो वे उसी रूप में धरती में समाने लगे लेकिन पांडवो ने उनका पूछ पकड़ कर उन्हे रोक लिया।मगर पांडवो ने देखा की उनका कूबड़ वाला अंग तो वही था किंतु उसमे सिर गायब था।ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में कूबड़ वाली संरचना को पवित्र बैल के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर की वास्तुकला
डोलेश्वर मंदिर नेपाल में स्थित है और उसकी बनावट और वास्तुकला से साफ साफ नेपाल की संस्कृति और सभ्यता झलकती है।इस मंदिर का निर्माण पारंपरिक नेवारी वास्तुकला में की गई है।इस मंदिर में लकड़ी की अद्भुत नक्काशी और पैगोडा शैली का डिजाइन किया गया है।मंदिर की पैगोडा-शैली की संरचना में कई स्तर हैं, जिनमें से प्रत्येक को जटिल नक्काशीदार लकड़ी के तत्वों से सजाया गया है। लकड़ी की नक्काशी पौराणिक डिजाइनों, धार्मिक प्रतीकों और नेवारी कलात्मकता के विशिष्ट पैटर्न को चित्रित करती है।यह मंदिर धार्मिकता का प्रतीक होने के साथ ही साथ अद्भुत कलाकारी का भी उदहारण है।
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केदारनाथ की यात्रा डोलेश्वर मंदिर से होती है पूरी
कहते है केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा डोलेश्वर महादेव मंदिर नेपाल जा कर ही पूरी होती है।ऐसी मान्यता है की केदारनाथ में भगवान भोलेनाथ का शरीर और मुख डोलेश्वर महादेव मंदिर में है इसी कारण जब तक भक्त दोनो स्थान पर दर्शन न कर ले ये यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।
मंदिर की टाइमिंग
मंदिर के दर्शन करने हेतु अगर आप इच्छुक हैं तो आपको बता दें की मंदिर खुलने और बंद होने का समय सुबह 05:30 बजे से शाम 07:00 बजे तक का है।
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