उत्तराखंड की भूमि को देवों की भूमि कहा जाता है,जिसका कारण है वहां पर प्राचीन काल से स्थित देवी देवता और ऋषि मुनियों का होना।प्रकृति और आस्था का केंद्र माना जाता है उत्तराखंड।जहां प्रकृति के साथ ही साथ देवी देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त है। हर साल लाखो की संख्या में श्रद्धालु यहां आशीर्वाद लेने पहुंचे है।मन और आत्मा की शांति के लिए कई सारे आश्रम भी है जहां लोग कुछ पल सुकून के बिता सकते है।ऐसी ही एक जगह अल्मोड़ा के खूबसूरत वादियों में स्थित है जहां पर पर्यटक अपनी योग और ध्यान के लिए जाते है इस जगह का नाम है डोल आश्रम जिसे श्री कल्याणिका हिमालय देवस्थानम के नाम से भी जाना जाता है।तो आइए जानें है इस आश्रम के विषय में।
डोल आश्रम
उत्तराखंड के अल्मोड़ा से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित डोल आश्रम को श्री कल्याणिका हिमालय देवस्थानम के नाम से भी जाना जाता है।यह आश्रम एक ऊंची पहाड़ी पर हरे भरे घने जंगलों के बीच स्थित है।इस आश्रम का निर्माण योग और ध्यान के लिए किया गया था।यह न केवल एक आश्रम है बल्कि आध्यात्मिक आस्था का केंद्र भी है।डोल आश्रम की स्थापना सन् 1991 में किया गया था।इस आश्रम का उद्देश्य ना सिर्फ योग और ध्यान को सीखना है बल्कि यह आश्रम वैदिक शिक्षा का भी एक केंद्र है।यह आश्रम गरीब परिवार के बच्चों के लिए एक संस्कृत गुरुकुलम का भी संचालन करता है। इस आश्रम के मुख्य महंत बाबा कल्याण दास जी महाराज हैं।महाराज जी का मानना है कि यह सिर्फ साधु संत के रहने ओर माला जपने वाला मठ नहीं है बल्कि यह आश्रम आध्यात्मिक व साधना का केंद्र हैं जहां हजारों श्रद्धालु साधना और ध्यान कर सके।इस आश्रम से न सिर देश बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते है।
क्यो है यह आश्रम ख़ास
योग और ध्यान का केंद्र डोल आश्रम आध्यात्मिक और वैदिक शिक्षा का केंद्र तो है ही साथ ही इस आश्रम को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में भी जाना जाता है।जिसका कारण है यहां स्थित श्रीयंत्र।कहा जाता हैं कि यह श्रीयंत्र विश्व का सबसे बड़ा और सबसे भारी श्रीयंत्र है।अष्ट धातु से निर्मित यह श्रीयंत्र लगभग डेढ़ टन (150कुंतल) वजन और साढ़े तीन फुट का है।इस यंत्र की स्थापना का अनुष्ठान 18 अप्रैल 2018 से शुरू होकर 29 अप्रैल 2018 तक चला था, और आपको बता दूं कि इस आश्रम के मुख्य आकर्षण का केंद्र यह श्रीयंत्र है।इस आश्रम के आकर्षण का एक और कारण यहां स्थित 126 फुट ऊंचे तथा 150 मीटर व्यास के श्रीपीठम भी है।इस श्री पीठम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें एक साथ 500 लोग बैठ कर ध्यान और योग कर सकते है।
आश्रम का इतिहास
कहते है डोल आश्रम की स्थापना तपस्वी बाबा कल्याणदासजी ने किया था।बाबा कल्याणदासजी ने बारह वर्ष की आयु में गृह त्याग कर भारत के विभिन्न धार्मिक स्थानों का भ्रमण किया।जब बाबा जी जब कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए तो वहां उन्हें मां भगवती के दर्शन हुए और यही पर वो हिमालय में एक आश्रम बनाने के लिए प्रेरित भी हुए।उसके बाद उन्होंने अल्मोड़ा के हरे भरे घने जंगलों में डोल आश्रम का निर्माण करवाया।
आश्रम की सुविधाएं
इस आश्रम में आपको हर प्रकार की सुविधाएं मिलेंगे। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को रहने ,खाने और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।मेडिटेशन के लिए यहां पर एक हाल है जहां एक साथ 500 लोग योग और ध्यान कर सकते है।चिकित्सा सुविधा के तहत यहां पर एक डिस्पेंसरी खोली गई है जिसे प्रसव पीड़ित महिलाओं को तत्काल सेवा देने के लिए एक एंबुलेंस की सुविधा भी की गई है। बच्चो को शिक्षा प्रदान करने हेतु यहां पर एक संस्कृत विद्यालय भी खोला गया है जहां आस पास के गरीब बच्चो को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।इस आश्रम में बाहर से आए हुए श्रद्धालुओं के लिए आश्रम में रहने ओर खाने के लिए 120 लोगों की क्षमता वाला इन-हाउस मेस भी है साथ ही गर्म और ठंडा पानी आदि जैसी सुविधा भी उपलब्ध है।
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से
अगर आप सड़क मार्ग से यहां जाना चाहते है तो आपको आनंद विहार दिल्ली से बस द्वारा हल्द्वानी पहुंचना होगा। वहां से आप टैक्सी से डोल आश्रम पहुंच सकते है।
ट्रेन द्वारा
यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जो डोल आश्रम से 64 किमी दूर है। यहां से आप निजी साधनों द्वारा आश्रम पहुंच सकते है।
हवाई मार्ग से
यहां का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है जो डोल आश्रम से 97 किमी दूर है।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल हमे कमेंट में जरुर बताए।
क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।