होली का त्योहार, जिसे "रंगों का त्योहार" भी कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में भारतीय समुदायों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसका सेलिब्रेशन विभिन्न रीति-रिवाजों, परंपराओं और उत्सव के तरीकों से भरा होता है। हालांकि भारत जैसे विशाल देश में होली पर्व को अलग-अलग राज्य में अलग-अलग अंदाज के साथ मनाया जाता है। लेकिन बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में बड़े ही विचित्र तरीके से होली खेली जाती है। यहां चिता भस्म की होली होती है, जो कि ‘मसाने की होली’ नाम से प्रसिद्ध है।
बनारस, जिसे वाराणसी भी कहा जाता है, भारत में हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ पर होली का त्यौहार बहुत ही अनोखे और पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है, जिसे "मसान होली" के नाम से जाना जाता है। मसान होली विशेष रूप से वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मनाई जाती है, जो कि एक प्रसिद्ध श्मशान घाट है। इस विशेष होली में, साधुओं और शिव भक्तों का समूह मणिकर्णिका घाट पर एकत्रित होता है और श्मशान के आस-पास होली खेलता है। इस दौरान, वे भजन-कीर्तन भी करते हैं और शिव को समर्पित विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। मसान होली का यह उत्सव मृत्यु के प्रति एक अलग दृष्टिकोण प्रदान करता है और जीवन की नश्वरता के साथ-साथ इसकी सुंदरता का जश्न मनाता है।
क्यों शुरू हुई ये परंपरा ?
ऐसा माना जाता हैं रंगभरी एकादशी के दिन जब भगवान शिव जी माता पार्वती का गौना कराने के बाद उन्हें काशी लेकर आए थे। तब उन्होंने सब के साथ गुलाल से होली खेली थी, परन्तु वे भूत, प्रेत, पिशाच,किन्नर जीव जंतु आदि के साथ होली नहीं खेल पाए थे। फिर उन्होंने शमशान में रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद सब के संग मसान की होली खेली बस तब से यह पर्व यहां धूम धाम से मनाया जाता हैं।
कैसे मनाते हैं यह त्योहार?
मसान होली में वाराणसी के लोग श्मशान घाट पर एकत्र होकर अद्वितीय रूप से इस त्यौहार को मनाते हैं। यहाँ पर रंग-बिरंगे गुलाल के साथ-साथ आपसी मिलन-जुलन, नृत्य, और भजन-कीर्तन का आनंद लिया जाता है। लोग एक दूसरे पर रंग फेकते हैं और इस मौके पर खुशियों का आनंद लेते हैं। साधुओं द्वारा की जाने वाली पूजा-अर्चना और हवन के दौरान महादेव की आराधना की जाती है, और भक्त भगवान शिव की आराधना में भाग लेते हैं। यह एक अत्यंत भक्तिपूर्ण और धार्मिक आयोजन है जो लोगों को अपने आत्मिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
यह त्योहार मानने का यह हैं उद्देश
मसान होली की परंपरा के अनुसार, यह माना जाता है कि मृत्यु और जीवन दोनों ही शिव के नृत्य के रूप हैं। इसलिए, मृत्यु को विजयी बनाने के लिए और जीवन के साथ इसके संबंध को सम्मानित करने के लिए, लोग इस घाट पर होली के त्यौहार के दौरान रंग और गुलाल खेलते हैं। इस त्योहार में धार्मिक समर्पण और सेवा की भावना होती है। लोग अपने पुराने जीवित और मृत रिश्तेदारों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिले यही कामना करते हैं।
मसान होली का आयोजन भक्तिभाव और आत्मिक साधना के लिए होता है। लोग इस अवसर पर मसानों की श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और आत्मा के मोक्ष की कामना करते हैं। इस त्योहार में सामाजिक एकता को महत्वपूर्णता दी जाती है। लोग मिलकर अपने समुदाय के सदस्यों के साथ एकता और समर्थन का वातावरण बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
बनारस की मसान होली इसकी अद्वितीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के कारण न केवल भारतीयों बल्कि विश्व भर के पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बन गई है। यह वाराणसी की सांस्कृतिक विविधता और गहराई को दर्शाता है।
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