बात जब आती है पहाड़ों की तो मन से आवाज़ आती है हिमाचल। लेकिन हिमाचल में क्या? त्रिउंड, घूम चुके; ताप्तापानी, सर झुका चुके; मैक्लोडगंज, फ़ोटो खिंचा चुके; स्पिति, कितनी बार घूमें। सब हो गया तो धौलाधर की इन पहाड़ियों के बारे में जानने की ज़रूरत है।
फ़ेमस काँगड़ी चाय, दूर तलक फैली हरियाली, नैरो गेज में चलती टॉय ट्रेन, यूनेस्को की लिस्ट में इसका नाम इसके ट्रेक और पहाड़ियों से होता हुआ दूर तक गया है।
यहाँ के गरली और परागपुर गाँव की झलक नहीं देखी तो शायद कुछ अधूरा रह गया। बड़ी हवेलियों, मेन्शन, बेशक़ीमती इमारतें, मिट्टी के पलस्तर किए हुए घरों से सजे इस गाँव को हिमाचल सरकार ने 1997 में हेरिटेज गाँव की लिस्ट में जोड़ा था।
शैटो गरली
शैटो गरली का ये घर लगभग 20 सालों से मरम्मत माँग रहा था, और 2012 में एक हेरिटेज होटल बन गया है। किसी फ़िल्म सेट सा दिखता इसका आर्किटेक्चर अपने में ब्रिटिश, पुर्तगाली, मुग़ल, काँगड़ी और राजस्थानी रंग उकेरे है। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसे इतना नाम क्यों हासिल है।
कई क़िस्म का खाना मिलता है इस घर में लेकिन यहाँ आए हैं तो शैटो गरली का देसी स्वाद ना चखना ग़लत होगा। पूल के नज़दीक बैठकर वाइन का आनन्द लेना में आख़िर किसे सुकून नहीं मिलेगा।
जिन्हें एडवेंचर का थोड़ा बहुत शौक़ है, नज़दीक के जंगलों में रात के वक़्त सफ़ारी में निकल सकते हैं। बीज़ नदी के पास मछली पकड़ने का शौक़ भी लोग पूरा करते हैं।
शैटो गरली के नज़दीक
शैटो गरली से 70 किमी0 दूरी पर बसा है धर्मशाला। तिब्बत सरकार का मुख्यालय है यहाँ पर और दलाई लामा का निवास स्थान भी। भारतीय और विलायती टूरिस्टोंं के लिए यहाँ पर कई क़िस्म के फ़ूड सेन्टर हैं, तिब्बत से जुड़ाव के कारण ढेर सारे मठ भी। भारत का सबसे ज़्यादा ऊँचाई पर क्रिकेट ग्राउंड भी यहीं पर है।
भागसु नाग का झरना देखने लायक जगहों में एक है। क़रीब 20 मीटर ऊँचाई है इस झरने की जहाँ तक पहुँचने का रास्ता लगभग एक किमी0 ट्रेक करके पूरा होता है। मैगी और खाने की दुकानें आपको कदम कदम पर मिलेंगी। और मॉनसून में तो ये जगह जन्नत बन जाती है।
शैटो गरली से 115 किमी0 दूरी पर बीर बिलिंग है। पैराग्लाइडिंग के लिए भारत में सबसे अव्वल इसका ही नाम है और दुनिया में दूसरा। समुद्रतल से 8000 फ़ीट से शुरू पैराग्लाइडिंग 4500 फ़ीट पर जाकर ख़त्म होती है। अपने जीवन का सबसे ज़्यादा सही निर्णय यहाँ आकर पता लगता है।
चिन्तपूर्णी कहें या फिर छिनमस्ता मंदिर, इसी जगह का नाम है। भारत के 52 शक्तिपीठों में एक। मान्यता है कि छिन्नमस्ता मंदिर वही स्थान है जहाँ सती के पैर गिरे थे। यह मंदिर जलस्तर से 940 मीटर की ऊँचाई पर है। यह मंदिर सोलन सिंघी रेंज की सबसे ऊँची चोटियों में से एक पर स्थित है।
ज्वालामुखी मंदिर दूसरा शक्तिपीठ है जो शैटो गरली से 16 किमी0 दूर है। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु सती का शव काट रहे थे तो उनकी जीभ यहाँ गिरी थी। यहाँ पर नीले रंग की ज्वाला हमेशा जलती रहती है।
भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर एक चट्टान को काट कर बनाया गया है। बिल्कुल सही पढ़ा आपने, एक चट्टान को काटकर। यह मंदिर शैटो गरली से 60 किमी0 की दूरी पर है। सबसे कम प्रसिद्ध लेकिन जानने देखने जगहों में एक नाम इस मंदिर का भी है।
महाराणा प्रताप सागर बाँध जब बना होगा तो कितना ख़ूबसूरत दृश्य होगा, इस जगह को देखकर लगता है। अपने नज़दीक की सारी रंगत इस बाँध के होने से और नुमाया हो जाती है। स्वीमिंग, वॉटरपूल, कैनोइंग और सेलिंग जैसे पानी वाले खेल यहाँ होते देखने को मिलेंगे। ये वो जगह हैं जहाँ अपना कैमरा निकाले बिना नहीं रह सकते।
रहने की सुविधा
शैटो गरली में रहने की व्यवस्था शानदार है। बस खर्चा थोड़ा ज़्यादा हो सकता है-
1. सिंगल कमरा- क़ीमत ₹4,000।
2. स्टैण्डर्ड कमरा- कुल तीन कमरे हैं। इसमें दो लोग एक साथ रहने की व्यवस्था है। एक रात की क़ीमत ₹2,500 प्रति व्यक्ति।
3. डीलक्स कमरा- कुल आठ कमरे। दो लोगों के एक साथ कमरे की व्यवस्था है। एक कमरे की क़ीमत ₹6,000 प्रति व्यक्ति।
4. प्रीमियम कमरा- कुल चार कमरे। दो लोगों के एक साथ कमरे की व्यवस्था है। एक कमरे की क़ीमत ₹7,000 प्रति व्यक्ति।
5. सुईट- कुल तीन कमरे। दो लोगों के एक साथ कमरे की व्यवस्था है। एक कमरे की क़ीमत ₹7,500 प्रति व्यक्ति।
इन क़ीमतों में टैक्स नहीं जोड़ा गया है। अगर इतना किराया दे रहे हैं तो सोचिए सुविधा किस स्तर की होगी।
कैसे पहुँचे शैटो गरली
यह धर्मशाला से 70 किमी0, अमृतसर से 125 किमी0 और नई दिल्ली से 425 किमी0 दूर है।
रेल मार्ग- दिल्ली से पठानकोट (स्लीपर किराया ₹315) तक ट्रेन जाती है। यहाँ से आपको टॉय ट्रेन में गुलेर (किराया ₹50) तक जाना होगा।
सड़क मार्ग- दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़ से लगातार गरली-परागपुर के लिए बसें चलती रहती हैं, किराया ₹800 तक।
अगर दिल्ली से ख़ुद गाड़ी चलाकर जा रहे हैं तो एनएच 44 से एनएच 205, एनएच 503 और एनएच 3 का रास्ता पकड़ें। चंडीगढ़ से जा रहे हों तो एनएच 205, एनएच 503 और एनएच 3 से कलोह उपारला में मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड 46 और यहाँ से गरली सदवान रोड।
हवाई मार्ग- सबसे नज़दीक में गग्गल हवाई अड्डा (45 किमी0 दूर) है। दिल्ली से हवाई किराया ₹5,000तक। वहीं अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर (170 किमी0 दूर) है। दिल्ली से हवाई किराया ₹3,300 तक होगा।
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