अगर आप सोचते हैं कि हमारे देश में राजस्थान ही वो राज्य है जहाँ किले ही किले हैं तो आपको फिर घूमना शुरू कर देना चाहिए।
क्योंकि पूरा भारत में कभी राजा ही राजा हुआ करते थे और उनके किले आज भी किसी न किसी रूप में बने हुए हैं।
यदि आपको ऐसे किले देखने हों तो आपको किसी प्रदेश में जाने की जरूरत नहीं है बल्कि एक क्षेत्र ही आपको इन अनछुए किलों की सैर कर देगा।
दिल्ली से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुंदेलखंड की धरा पर आपको बेहिसाब किले मिले जाएंगे।
बुंदेलखंड के कुछ किलों के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन कुछ अब भी कुछ ऐसे किले हैं जो लोगों की नजरों से दूर हैं।
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हम आपको बुंदेलखंड के ऐसे ही खूबसूरत किलों की सैर कराते हैं जहाँ हर घुमक्कड़ को जरूर जाना चाहिए।
1. रामपुरा किला
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के रामपुरा गाँव में ही रामपुरा किला है। चंबल के हरे-भरे जंगलों से घिरे इस खूबसूरत किले को कुशवाहा राजपूत ने बनवाया था। लगभग 600 साल पुराना किला आज अपने स्वरूप में बना हुआ है। इस समय महाराजा समर सिंह इस किले के राजा हैं। उन्होंने इस किले के कुछ हिस्से को होमस्टे में तब्दील कर दिया है। जिससे यहाँ आने वाले लोग यहाँ ठहर सके और यहाँ का अनुभव कर सकें। बुंदेलखंड आएं तो रामपुरा किले आना भूलें।
कानपुर से दूरीः 165 किमी.।
2. कलिंजर फोर्ट
कलिंजर बुंदेलखंड की फेमस जगहों में से एक है लेकिन ओरछा और खजुराहो जैसे मशहूर नहीं है। कलिंजर पहाड़ की एक चोटी पर स्थित है। इस किले के 7 प्रवेश द्वार हैं और यहाँ पर कई स्मारकों और मूर्तियों का खजाना है। बेहद शानदार आर्किटेक्चर वाले इस किले को चंदेल वंश के राजाओं ने बनवाया था। कलिंजर में नीलकंठ मंदिर हैं जिसमें 18 भुजाओं वाली मूर्ति है। इसके अलावा किले के पत्थरों पर देवी-देवताओं की मूर्ति उकेरी हुई है। इस किले से बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। बांदा जिले में स्थित ये किला आपकी बकेट लिस्ट में होना ही चाहिए।
बांदा से दूरीः 65 किमी.।
3. गढ़ कुण्डार किला
ओरछा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित गड़ कुंडार किला कुड़ार गाँव में स्थित है। गाँवों से थोडी ही दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित ये किला बेहद रहस्यमयी है। इस किले को खेत सिंह खंगार ने बनवाया था। इस किले की खास बात ये है कि इसे 12 किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है लेकिन पास आओगे तो कहीं गायब हो जाएगा। कहते हैं कि इसे किले में 70 लोगों की बारात गायब हो गई थी। इसे किले के तीन मंजिला तो खुले लेकिन अंधेरे की वजह से नीचे के 7 तल बंद कर दिए गए हैं। गढ़ कुंडार किला हर किसी को देखना चाहिए।
ओरछा से दूरीः 50 किमी.।
4. समथर किला
समथर बुंदेलखंड की एक छोटी-सी जगह है, यहीं पर खूबसूरत किला है, समथर किला। इस किले के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है जो किसी का भी मन मोह लेगी। इस किले को समतल जैसी जगह पर बनवाया गया था इसलिए उसी आधार पर इसका नाम समथर रखा गया। दुर्भाग्य से ये खूबसूरत किला अभी आम लोगों के लिए खुला नहीं है। किले में अभी भी राजा रणजीत सिंह जूदेव और उनका परिवार रहता है। इस किले का दीदार बाहर से ही किया जा सकता है।
झांसी से दूरीः 70 किमी.।
5. तोड़ी फतेहपुर फोर्ट
बुंदेलखंड के खूबसूरत किलों में से एक है तोड़ी फतेहपुर किला, जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं। हालांकि रखरखाव की कमी की वजह से किले का ज्यादातर हिस्सा खंडहर बन जा चुका है। इसके बावजूद इस किले में बहुत कुछ है। पहाड़ी पर स्थित ये किला 5 एकड़ में फैला हुआ है। टोड़ी फतेहपुर का किला 4 भागों में बंटा हुआ है, गुसैन महल, रनवास, राजगढ़ पैलेस और रंगमहल। किले की छज्जों और दीवारों पर नक्काशी शानदार है। कुछ भी कहा जाए, ये किले देखने लायक है।
झांसी से दूरीः 73 किमी.।
6. बरुआसागर किला
झांसी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बरुआसगर कस्बे में शानदार किला है। इस किले को चंदेल राजा उदित सिंह ने बनवाया था। झील के किनारे बने इस किले से बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। ये किला बहुत बड़ा नहीं है लेकन यहाँ पर आपको सुकून जरूर मिलेगा। बाद में ये किला झांसी की रानर लक्ष्मीबाई का समर पैलेस बन गया। जहाँ वे कुछ समय बिताने के लिए आती थीं। पंचायत शैली में बने इस किले में कई कमरे हैं। झांसी आएं तो इसे किले को भी देख सकते हैं।
झांसी से दूरीः 22 किमी.।
7. जगमनपुर फोर्ट
बुंदेलखंड के रामपुरा किले से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत जगमनपुर किला है। इसे मानसूनी किला भी कहा जाता है। उस समय ये किला और भी खूबसूरत हो जाता है। ये किला 5 नदियों के संगम के तट पर स्थित है। किले से नदियों के खूबसूरत नजारे को देखा जा सकता है। इस किले को 1593 में जगमन शाह ने बनवाया था। बाद के राजाओं ने इसमें और भी चीजें जोड़ी। किले में अंदर जाने के लिए दो बड़े गेट हैं। किले के अंदर मंदिर भी बने हुए हैं। रामपुरा किले को देखने जाएं तो जगमनपुर फोर्ट भी साथ में देख लें।
कानपुर से दूरी: 170 किमी.।
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