वर्क फ्रॉम होम सुनने में जितना आसान लगता है असल में उतना होता नहीं है। घर से काम करने के जितने फ़ायदे हैं उससे कहीं ज़्यादा उसके नुकसान भी हैं। घर से काम करने में आराम तो बहुत मिलता है लेकिन बीच-बीच में होने वाली परेशानियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। सोचिए जब आप घर में लैपटाॅप पर काम कर रहे हैं तभी मम्मी कहती हैं कि ये काम कर दो, घर के बच्चों का शोर और बेवजह आने वाले मेहमान। ये सब वजहें जो वर्क फ्राॅम में आपको परेशान कर देती हैं। कम शब्दों में कहें तो घर से काम करना आलस, डिस्टर्बेंस और आराम इन तीनों का कॉम्बो पैकेज है।
इसके बावजूद लोग घर से काम करना पसंद करने लगे हैं। अगर आप भी ऐसी ही समस्याओं में उलझ कर रह गए हैं तो इससे निकलने का रास्ता हम आपको बता देते हैं। आपकी इस मुश्किल को हल करने के लिए हमने दिल्ली के कुछ ऐसे कैफों की लिस्ट तैयार की है जहाँ से आप वर्क फ्रॉम होम करने का भरपूर मज़ा उठा सकते हैं। इन सभी कैफों में वाई फाई भी है जिससे आपकी काम करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
1. आईवी एंड बीन
दिल्ली के शाहपुर जाट इलाके में बसे इस प्यारे से कैफे की बात ही निराली है। कैफे में घुसते ही आपका स्वागत चमकदार लैंप से होता है। कैफे तक जाने के रास्ते को भी खूब सजाया गया है। रास्ते के दोनों तरफ रोशनी की गई है जिससे लगता है जैसे तारों से भरे रास्ते में चल रहे हों। इस कैफे की एक और बात है जो इसे बाकी सबसे अलग बनाती है और वो है इसका नाम। कैफे का नाम ऑस्ट्रेलियाई किताब पर रखा गया है जो कि बच्चों की मनपसंद किताबों में से एक है।
यकीन मानिए इस कैफे से प्यारी जगह आपको दिल्ली में और कहीं नहीं मिलेगी। कैफे को रोचक बनाने के लिए रंगों का भरपूर इस्तेमाल किया गाय है। कैफे में एक तरफ किताबों का भी अच्छा कलेक्शन है। आप कैफे में बैठकर इन किताबों को पढ़ सकते हैं या अपने साथ भी लेकर जा सकते हैं। बस शर्त ये है कि उतने समय तक आपको कोई और किताब कैफे में रखनी होती है। एक नए आइडिया पर काम करने वाले इस कैफे में एक बार आना तो बनता है।
कहाँ: 119, सिशान हाउस, शाहपुर जाट, नई दिल्ली
क्या खाएँ: ब्रिटिश और इंडियन
खर्च: 1200 रुपए दो लोगों के लिए।
2. कैफे लोटा
राष्ट्रीय क्राफ्ट म्यूज़ियम के अंदर बसे इस कैफे में न आने की मेरे पास कोई ठोस वजह नहीं है। बाजरा और रेड राइस के खास कॉम्बो वाले इस कैफे में आपके पास भारत के अलग-अलग हिस्सों का खाना-खाने का भी विकल्प है। इसलिए चाहे आप बढ़िया खाने की तलाश में हों या काम करने की प्रेरणा ढूंढ रहे हों तो ये कैफे आपके लिए परफेक्ट जगह है।
कहां: राष्ट्रीय क्राफ्ट म्यूज़ियम, भैरोन मार्ग, प्रगति मैदान
क्या खाएं: नॉर्थ इंडियन, साउथ इंडियन, बिहारी खाना
खर्च: 1200 रुपए दो लोगों के लिए
3. सोशल
ऑफिस और कैफे का सटीक मिश्रण वाली इस जगह के बारे में जितना कहा जाए कम है। ये एक ऐसी जगह है जहां पर काम करते हुए एक पल के लिए भी थकान नहीं होगी। दिल्ली की ये जगह कलाकारों की मनपसंद जगहों में से एक है। इस बेहद कूल कैफे से आखिर कौन काम करना नहीं चाहेगा।
कहां: कनॉट प्लेस, हौज़ ख़ास विलेज, एपिकुरिया फूड मॉल, नेहरू प्लेस, डिफेंस कॉलोनी, डीएलएफ साइबर सिटी
क्या खाएं: कॉन्टिनेंटल, अमेरिकन, एशियन, नॉर्थ इंडियन
खर्च: 1200 रूपए दो लोगों के लिए
4. द पॉटबेली रूफटॉप कैफे
फ़्री वाईफाई और लाज़वाब खाने वाला ये कैफे शाहपुर जाट इलाके की जान है। एक और बात है जो इस कैफे को सबसे अलग बनती है और वो है यहां पर मिलने वाला बिहारी खाना। ये दिल्ली का पहला बिहारी रेस्त्रां भी है और यही वजह है पूरे दिल्ली में इससे बेहतर बिहारी खाना कहीं और नहीं मिलेगा। हिप्पी कल्चर से प्रभावित इस कैफे को बेहतरीन तरीके से सजाया गया है और इसकी सुंदरता देखने लायक है।
कहां: 116 - सी, 4 फ्लोर, शाहपुर जाट
क्या खाएं: बिहारी खाना
खर्च: 1000 रुपए दो लोगों के लिए
5. कोस्ट कैफे
दिल्ली में कोस्टल खाने की बात हो और इस कैफे का ज़िक्र ना आए ऐसा बिल्कुल मुमकिन नहीं है। यहां पर मिलने वाले खाने का मिज़ाज थोड़ा तीखा ज़रूर है पर यहां पर फिश और चिकन की वरायटी इतनी है कि आप सोच नहीं सकते। यहां पर वेजेटेरियन खाना भी मिलता है और वो भी बहुत स्वादिष्ट है। अगर आप भी दिल्ली कि चकाचौंध से दूर काम करने के लिए एक शांत जगह तलाश रहें हैं तो कोस्ट कैफे से अच्छा और कोई ऑप्शन नहीं है।
कहां: एच - 2 एंड 3 फ्लोर, हौज ख़ास विलेज
क्या खाएं: कॉन्टिनेंटल खाना
खर्च: 1300 रूपए दो लोगों के लिए
6. अनॉदर फाइन डे कैफे
इस छोटे और शांत कैफे में बैठकर काम करने का एक अलग अनुभव है। कैफे ज़्यादा बड़ा नहीं है पर इसकी बनावट में एक अलग तरह का जादू है।
कहां: ग्राउंड फ्लोर, एमपीडी टावर, डीएलएफ गोल्फ कोर्स रोड
क्या खाएं: कॉन्टिनेंटल
खर्च: 800 रुपए दो लोगों के लिए
कैफे में बैठकर काम करने का मज़ा थोड़ा अलग ज़रूर है पर एक बार सबको ज़रूर करना चाहिए।
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