तेलंगाना के रामप्पा मंदिर के बाद यूनेस्को ने अब गुजरात के धोलावीरा को भी वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है। कच्छ इलाके के खडीर में स्थित धोलावीरा एक ऐतिहासिक स्थान है। अपनी अनूठी विरासत के तौर पर मशहूर धोलावीरा में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पाए जाते हैं। करीब पांच हजार साल पहले धोलावीरा विश्व एक का प्राचीन महानगर था।
धोलावीरा को लगाकर अब भारत में कुल 40 वर्ल्ड हेरिटेज स्थल हैं। इसके साथ ही गुजरात में धोलावीरा को मिलाकर कुल 4 वर्ल्ड हेरिटेज साइट हो गए हैं। धोलावीरा के अलावा गुजरात में पावागढ़ स्थित चंपानेर, पाटन और अहमदाबाद में रानी की वाव को भी वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिला हुआ है।
धोलावीरा 'खडीर द्वीप' की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर बसा है। धौलावीरा की खुदाई में मनहर और मानसर नालों के बीच अवशेष मिले हैं। हड़प्पाई संस्कृति वाले इस नगर की योजना समानांतर चतुर्भुज के रूप में की गयी थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धोलावीरा को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यहां अवश्य जाना चाहिए, विशेषकर उन लोगों को जो इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में दिलचस्पी रखते हैं। यूनेस्को के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समाचार से बहुत प्रसन्नता हुई। धोलावीरा एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था और हमारे अतीत के साथ हमारे सबसे महत्वपूर्ण संपर्कों में एक है। यहां जरूर जाना चाहिए, विशेषकर उन लोगों को जो इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में रुचि रखते हैं। मैं अपने विद्य़ार्थी जीवन के दिनों में पहली बार धोलावीरा गया था और मैं उस स्थान से मंत्रमुग्ध हो गया था। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे धोलावीरा में विरासत संरक्षण और जीर्णोद्धार से संबंधित पहलुओं पर काम करने का अवसर मिला। हमारी टीम ने वहां पर्यटन के अनुकूल बुनियादी ढांचा बनाने के लिए भी काम किया था।
हड़प्पा संस्कृति से जुड़ा यह शहर धोलावीरा दक्षिण एशिया में तीसरी से मध्य-दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व काल की चंद सबसे अच्छे से संरक्षित प्राचीन शहरी बस्तियों में से है। अब तक खोजे गए 1,000 से अधिक हड़प्पा स्थलों में छठा सबसे बड़ा और 1,500 से अधिक वर्षों तक मौजूद रहा धोलावीरा न सिर्फ मानव जाति की इस प्रारंभिक सभ्यता के उत्थान और पतन की पूरी यात्रा का गवाह है बल्कि शहरी नियोजन, निर्माण तकनीक, जल प्रबंधन, सामाजिक शासन और विकास, कला, निर्माण, व्यापार और आस्था प्रणाली के संदर्भ में भी अपनी बहुमुखी उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है। धोलावीरा में नियोजित ढंग से अलग-अलग नगरीय आवासीय क्षेत्र विकसित किए गए थे। हड़प्पा सभ्यता के प्रारंभिक हड़प्पा चरण के दौरान 3000 ईसा पूर्व के शुरुआती साक्ष्य मिले हैं। यह नगर लगभग 1,500 वर्षों तक खूब फला-फूला जिससे वहां काफी लंबे समय तक लोगों के निरंतर निवास करने के संकेत मिलते हैं। यहां पर उत्खनन के जो अवशेष हैं वे स्पष्ट रूप से बस्ती की उत्पत्ति, उसके विकास, चरम पर पहुंचने और फिर बाद में उसके पतन का संकेत देते हैं जो इस नगर के स्वरूप एवं स्थापत्य तत्वों या घटकों में निरंतर होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ विभिन्न अन्य विशेषताओं में दिखाई देते हैं।
कैसे पहुंचे धोलावीरा-
धोलावीरा भुज से करीब 250 किलोमीटर दूर है। धोलावीरा आने के लिए रेल, बस या हवाई जहाज से पहले आपको भुज आना होगा। भुज राजधानी अहमदाबाद से करीब 335 किलोमीटर दूर है। भुज से धोलावीरा जाने में सड़क मार्ग से करीब पांच घंटे लगते हैं।