धारचूला: उत्तराखंड की इस जगह पर मैंने भारत और नेपाल दोनों देख लिए

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Photo of धारचूला: उत्तराखंड की इस जगह पर मैंने भारत और नेपाल दोनों देख लिए by Rishabh Dev

उत्तराखंड में कई बेहद उत्तम और प्रिय जगहें हैं। ऐसी जगह पर आकर वाक़ई में अच्छा लगता है। कुमाऊँ यात्रा के दौरान मुझे उत्तराखंड की एक अलग ही सुंदरता देखने को मिली। पिथौरागढ़ को एक्सप्लोर करने के बाद मैं धारचूला के लिए निकल पड़ा। धारचूला उत्तराखंड के सबसे दूरस्थ शहरों में एक है। पिथौरागढ़ ज़िले में आने वाला धारचूला नेपाल बॉर्डर पर स्थित है। धारचूला में आप भारत और दोनों देशों में घूम सकते हैं।

पिथौरागढ़ से मैं सुबह-सुबह धारचूला के रास्ते पर निकल पड़ा। पिथौरागढ़ उत्तराखंड के सबसे बड़े पहाड़ी शहरों में से एक है। इस जगह पर घूमना भी एक सुकून है। पिथौरागढ़ से निकलने के बाद मैंने एक जगह पर अपनी स्कूटी में पेट्रोल भरवा लिया। पिथौरागढ़ से थारचूला लगभग 95 किमी. की दूरी पर है। गर्मियों के मौसम में सुबह-सुबह पहाड़ों पर सर्दी होती है। स्कूटी चला रहा था तो ठंड और ज़्यादा लग रही थी। मैं घुमावदार रास्ते से बढ़ता जा रहा था।

धारचूला

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पहाड़ों में कुछ दिन गाड़ी चलाने के बाद अब मुझे पहाड़ी सड़क का काफी आईडिया हो गया था। पहाड़ पर गाड़ी चलाने के कुछ बेसिक नियम है। सबसे बड़ा नियम है कि आपका हमेशा अपनी साइड में रहना है। चाहे रोड ख़ाली ही क्यों ना हो क्योंकि घुमावदार रास्ते पर सामने से कब गाड़ी आ जाए पता नहीं चलता है। बाक़ी हॉर्न और ब्रेक तो अपनी उँगलियों पर दबे होने चाहिए। रास्ते में एक जगह रूककर पराँठा और चाय का नाश्ता किया।

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रास्ते में मुझे अस्कोट और जौलजीबी जगह मिली। जौलजीबी गौरीगंगा नदी के किनारे स्थित है। जौलजीबी से ही एक रास्ता मुनस्यारी की ओर जाता है और एक रास्ता धारचूला की तरफ़ जाता है। कुछ देर बाद मैं धारचूला पहुँच गया। धारचूला में मैं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के रेस्ट हाउस में ठहरा। धारचूला तक आने का रास्ते एकदम बढ़िया है, बस आख़िर में थोड़ा-थोड़ा ख़राब है। जब इस रास्ते पर मेरी स्कूटी चली गई तो बाक़ी गाड़ियाँ तो आराम से आ जाएंगी।

नेपाल

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धारचूला वो जगह है जो दो देशों के बीच बंटी हुई है। भारत में इस जगह को धारचूला कहते हैं और नेपाल के हिस्से में जो जगह है उसे धार्चुला कहते हैं। दोनों देशों के बीच में काली नदी बहती है। दोनों देशों को जोड़ने के लिए एक पुल भी बना हुआ है। धारचूला से आदि कैलाश और कैलाश मानसरोवर यात्रा गुजरती है। धारचूला वो जगह है, जहां इस इलाक़े का अंतिम पेट्रोल पंप है। इसके आगे कोई पेट्रोल पंप नहीं है।

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होटल में सामान रखने के बाद मैं पुल की तरफ़ निकल पड़ा। पुल के इस तरफ़ भारतीय सेना के जवान तैनात थे। उन्होंने एक रजिस्टर पर एंट्री की और आधार नंबर नोट किया और नेपाल जाने की अनुमति मिल गई। तो भारत से नेपाल जाना वाक़ई में इतना आसान है। पुल के दूसरी तरफ़ भी नेपाल के सैनिक तैनात हैं। कुछ ही मिनटों में मैं हिन्दुस्तान से नेपाल पहुँच गया। अब मुझे पता नहीं था कि मैं यहाँ क्या करूँ? तो मैं बस टहलने लगा। दुकानों पर लिखे नाम और बिकने वाले सामानों को गौर से देखने लगा।

धार्चुला

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धार्चुला नेपाल के एक ज़िले में से एक है। नेपाल के धार्चुला से राजधानी काठमांडू लगभग 1000 किमी. की दूरी पर है। पता नहीं यहाँ से काठमांडू पहुँचने में कितने दिन लगते होंगे? मुझे नेपाल का धार्चुला हिन्दुस्तान जैसा ही लग रहा था। लोग और वेशभूषा लगभग एक जैसी ही थी और दुकानों पर हिन्दी में लिखा हुआ था। यहाँ के लोग हिन्दी और नेपाली भाषा बोलते हैं। धार्चुला में भारतीय नोट भी चलते हैं। मैंने नेपाल की पहली यात्रा की याद के तौर पर एक दुकान से नेपाली टोपी ख़रीदी।

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मैंने एक दुकान पर चाऊमीन खाई। मैंने दुकानदार को भारतीय नोट दिया और उसने बचे हुए पैसे नेपाली नोट में दिए। इस प्रकार मेरे पास नेपाली नोट आ गए। दोनों देश के बीच जो पुल बना हुआ है, वो सुबह खुल जाता है और शाम को 6 बजे बंद हो जाता है। उस बीच दोनों देशों के लोगों का आना-जाना बना रहता है। एक बार अगर पुल बंद हो गया तो फिर आपको उसी देश में रात गुज़ारनी पड़ेगी। मैं कुछ घंटे नेपाल में गुज़ारने के बाद वापस हिन्दुस्तान आ गया।

धारचूला की शाम

दिन में मैंने कुछ घंटे आराम किया। शाम के समय मैंने स्कूटी उठाई और निकल पड़ा सूर्यास्त देखने के लिए। मैं धारचूला से बाहर ऊँचाई वाली जगह पर पहुँचा। यहाँ से मुझे दोनों देश दिखाई पड़ रहे थे। दोनों देश के बीच बस एक नदी का अंतर है। शाम के समय धारचूला और भी खूबसूरत दिखाई दे रहा।

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इस जगह पर आकर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के शानदार नज़ारे देखने को मिला। जब अंधेरा होने लगा तो मैं वापस धारचूला लौट आया। मेरा होटल बिल्कुल नदी किनारे था तो रात में काली नदी का आवाज़ सुनाई दे रही थी। मेरी खिड़की से नेपाल दिखाई दे रहा था। कभी इस नेपाल को भी अच्छे से घूमा जाए। फ़िलहाल तो शानदार और जबरदस्त धारचूला की यात्रा पूरी हुई। धारचूला को देखे बिना उत्तराखंड की कुमाऊँ यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।

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