प्रकृति का अनछुआ खजाना : धारचूला

Tripoto
28th Nov 2020
Photo of प्रकृति का अनछुआ खजाना : धारचूला by Yadav Vishal
Day 1

'ये हसीं वादियां, ये खुला आसमां...' 'रोजा' फ़िल्म का ये गाना आज भी उतना ही फ्रेश लगता है, जितना पहली बार सुन कर लगा था।हसीं वादियों की तलाश करते-करते हमारी खोज रुकी एक ऐसी जगह पर, जिसके लिए जन्नत शब्द छोटा पड़ जाए।उत्तराखंड और नेपाल के बॉर्डर पर स्थित इस जगह की आधी हवा भारत की है, आधी नेपाल की। यहां के पानी में भारत की खुशबू है तो नेपाल की निश्चलता।हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ ज़िले में पड़ने वाले ख़ूबसूरत कस्बे धारचूला की।

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धारचूला का इतिहास –

धारचूला के इतिहास पर नजर डालने पर पता चलता है कि धारचूला का इतिहास कत्युरी राजवंश से संबंधित है। प्राचीन समय के दौरान धारचूला ट्रांस हिमालयी व्यापार मार्गों के लिए जाना जाता था। धारचूला के निवासियों की आय का एक मात्र साधन वस्तु विनिमय प्रणाली थी। तिब्बतियों के साथ खाने पीने और कपड़ो की वस्तुओं का आदान प्रदान करके अपना जीवन यापन किया करते थे। यहाँ के निवासियों पर कष्ट के बादल उस समय टूट पड़े जब सन 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद तिब्बतियों से उनका व्यापारिक संबध ख़त्म हो गए। हालाकि जल्द ही उन्होंने खेती, व्यवसाय और अन्य गतिविधियों के साथ अपने जीवन यापन का विकल्प तलाश लिया।

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पर्यटन का केंद्र बिन्दु कैसे बना?

1962 के युद्ध के बाद भारत सरकार की मदद से यह पर्यटन का केंद्र बिन्दु बना। दरअसल, धारचूला का एक भाग भारत जैसा है, तो वहीं दूसरा नेपाल जैसा है। यही कारण है कि इसने लोगों को आकर्षित किया। धीरे-धीरे एक बड़ी संख्या में सैलानी यहां आने लगे, जो बदस्तूर जारी है।

हिमालयी चोटियों से घिरे धारचूला के नाम के पीछे भी अपना एक तर्क है।यह धार यानि कि पहाड़ी और चूला यानि चूल्हा शब्द से मिलकर बना हुआ है।इसकी बनावट भी कुछ चूल्हे जैसी प्रतीत होती है।यही कारण है कि इसे धारचूला के नाम से जाना जाता है। अपनी यात्रा के दौरान जब आप यहां के स्थानीय लोगों से मिलेंगे, तो एक पल के लिए अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि ये लोग भारतीय ही हैं।ये लोग देखने में कॉफी हद तक बिल्कुल वैसे ही लगते हैं, जैसे ये नेपाल के हो।

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धारचूला पर्यटन में घूमने लायक दर्शनीय और आकर्षण स्थल –

यू तो धारचूला में हर एक चीज़ देखने लायक है, फिर भी अगर कुछ खास चीज़ों की लिस्ट तैयार करने को कहें तो कुछ इस प्रकार होगी

ओम पर्वत

धारचूला का मशहूर ओम पर्वत पश्चिमी नेपाल और उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित हैं। बता दें कि इसकी आदिनाथ चोटी बहुत करीब है जोकि पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ हैं। ओम पर्वत 6191 मीटर की ऊँचाई पर स्थित और कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाना जाता हैं। ओम पर्वत की ट्रेकिंग के दौरान आपको प्रकृति की सुंदरता का सही अंदाजा लगेगा।

जौलजिबी -

धारचूला पर्यटन में घूमने वाली जगह जौलजीबी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। धारचूला से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह आकर्षित स्थान गोरी और काली नदी का संगम स्थल हैं। नवंबर महीने के दौरान जौलजीबी में लगने वाला वार्षिक मेला नेपाल के पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता हैं।

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काली नदी –

धारचूला की प्रमुख काली नदी उत्तराखंड राज्य की राजसी नदी हैं जोकि भारत और नेपाल की सीमा को अलग अलग करती हैं। पनबिजली उत्पादन के लिए यह नदी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जोकि 3600 मीटर की ऊंचाई से नीचे उतरती हैं। काली नदी का नाम यहाँ स्थित देवी काली के एक छोटे से मंदिर के नाम पर रखा गया हैं। पर्यटक इस नदी के आसपास की गतिविधियाँ और पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

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अस्कोट मुस्क डियर सेन्चुरी -

धारचूला घूमने लायक जगह अस्कोट अभ्यारण वन्यजीव प्रेमियों और वनस्पति विज्ञान के लिए जाना जाता हैं और ऐसे पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नही है जोकि प्रकृति को करीब से महसूस करना चाहते हैं और वन्य प्राणियों को देखने के शौकीन हैं। अस्कोट वन्यजीव अभ्यारण पिथौरागढ़ से लगभग 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थति हैं। यहाँ पाए जाने वाले जानवरों में काला भालू, चीयर, कोकलास, भील, तीतर, हिमालयी, चौकोर, हिम तेंदुए और कस्तूरी मृग आदि देखने को मिलते हैं।

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चिरकिला बांध -

धारचूला का फेमस चिरकिला बांध काली नदी के ऊपर बनाया गया हैं। एक किलोमीटर लम्बी झील से सटा यह 1500KW का डेम धारचूला से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पयर्टक इस बाँध के देखने के लिए भारी संख्या में आते हैं।

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नारायण आश्रम -

धारचूला पर्यटन स्थल की यात्रा के दौरान आप कुमाऊ क्षेत्र में स्थित नारायण आश्रम का दौरा भी कर सकते है। यह आश्रम जैन, प्रकृति, संस्कृति और पहाड़ी क्षेत्र की संस्कृति का शानदार उदहारण प्रस्तुत करता हैं। यह आश्रम शांति का प्रतीक हैं इसके अलावा एक पुस्तकालय और एक ध्यान कक्ष भी आश्रम में स्थित है।

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धारचूला घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –

धारचूला के मौसम में काफी विविधता देखने को मिलती हैं। यहाँ सर्दियों में मौसम अधिक ठंडा रहता है तो गर्मियों में अधिक गर्म रहता है। इसलिए धारचूला के लिए सबसे अच्छा समय मानसून के अंत में और सर्दियों के शुरूआती दौर का माना जाता हैं।

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धारचूला टूरिज्म में कहां रुके –

धारचूला और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप यहाँ किसी अच्छे निवास स्थान की तलाश कर रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि धारचूला में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल मिल जाएंगे। यदि आप ओर भी अच्छी सुविधा देख रहे है तो पिथौरागढ़ का रुख किया जा सकता है।

होटल ज्योनार पैलेस (Hotel Jyonar Palace)

पार्वती रिज़ॉर्ट (Parwati Resort)

ओजस्वी रिसॉर्ट (Ojaswi Resort)

विजय माउंट व्यू रिज़ॉर्ट (Vijay Mount View Resort)

जोहर हिलटॉप रिज़ॉर्ट (Johar Hilltop Resort)

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धारचूला में खाने के लिए प्रसिद्ध व्यंजन –

धारचूला अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए तो प्रसिद्ध है ही लेकिन यहाँ का भोजन भी बहुत स्वादिष्ट होता हैं। धारचूला के लजीज भोजन का स्वाद आपको उंगलिया चाटने पर मजबूर कर देगा। धारचूला के स्थानीय व्यंजनों में गढ़वाली और कुमाउनी दोनों प्रकार के व्यंजन पर्यटकों को चखने के लिए मिल जाएंगे। इसके अलावा यहाँ दाल, चावल, चिकन, मटन, भट्ट की चुरदकानी, अरसा, काफल, फन्नु, बादी, रस, गुलगुला, कंडेली का साग, पलाऊ आदि शामिल हैं।

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कैसे पहुंचे?

हवाई यात्रा : पंतनगर सबसे नजदीकी ऐयरपोर्ट है।टैक्सी से आप आसानी से पंतनगर से धारचूला पहुंच सकते हैं।

रेल यात्रा : तनकपुर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।यह पिथौड़ागढ़ से तकरीबन 150 किमी की दूरी पर है।यहां से धारचूला के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं।

सड़क यात्रा : धारचूला रेलवे लाइनों से भले जुड़ा न हो, पर सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हैय अलमोड़ा, पिथौड़ागढ़, काठगोदाम, तनकपुर आदि से बस या टैक्सी से धारचूला पहुंच सकते हैं।

धारचूला खूबसूरती के साथ ही इस बात का भी सबूत देता है कि इंसान दीवारें खड़ी करने के लिए खूबसूरत से खूबसूरत चीजों का भी बंटवारा कर देते हैं। यहां हर जगह आपको नेपाल और भारत के बीच की समानताएं नजर आएंगी।

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